Agenda Aajtak 2021: 'एजेंडा आजतक' के कार्यक्रम में शुक्रवार को शामिल हुए बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा (Sambit Patra) और कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) के बीच में तीखी नोकझोंक देखने को मिली. वहीं, कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल ने बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरा और कहा कि रोजगार पर सरकार से सवाल न करें तो किससे करेंगे.
गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान किसी को तकलीफ थी तो हम लोगों ने उसकी मदद की. यही राष्ट्रवाद है. हमने इस देश को मजबूत करने के लिए लड़ाई लड़ी है. संबित ने जो बात कही, मैं उसे सही नहीं मानता हूं. सरकार जो भी हो, वह सिर्फ गंगा माता पर ही बात नहीं करेगी. सरकार को देश की सभी जनता की बात करेगी, फिर चाहे वह किसी भी धर्म के या फिर किसी राज्य के लोग हों.
हार्दिक पटेल ने कहा कि संबित पात्रा की बातें सिर्फ हिंदू-मुस्लिम, भारत-पाकिस्तान तक ही सीमित रहती है, लेकिन किसानों, महिलाओं के लिए बात नहीं करते हैं. जब तीन कानून लागू किए गए तब संबित पात्रा उसके फायदे गिना रहे थे और जब उसे वापस लिया गया, तब भी उन्होंने उसके फायदे गिनाए. केंद्र सरकार ने जो भी वादे किए थे, उसमें से एक भी वादा पूरा नहीं किया गया. इसीलिए राष्ट्र और राष्ट्रवाद के नाम पर बहस छेड़ी जाती है.
कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल ने कहा कि 700 किसानों की मौत के बाद माफी मांगी गई. एक आदमी की मौत होती है तो पूरे गांव में खाना नहीं खाया जाता है. एक साल के बाद कृषि कानून वापस लिए गए. किसान सालभर से बात कर रहे थे. देश का युवा रोजगार मांग रहा है, उसे सरकार रोजगार नहीं दे रही है, लेकिन किसानों को बिना मांगे कृषि कानून दे दिया.
महंगाई-बेरोजगारी के मुद्दे पर घेरा-कन्हैया
वहीं, कन्हैया कुमार ने महंगाई-बेरोजगारी के मुद्दे पर केंद्र सरकार पर भी हमला बोला. उन्होंने कहा कि रसोई गैस की कीमत रोजाना बढ़ रही है और 45 सालों में बेरोजगारी सबसे ज्यादा है. रोज रसोई गैस की कीमत बढ़ रही है. पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ रहे हैं. कोई दिन नहीं गुजरेगा, जब आप अखबार में पढ़ेंगे कि कोई न कोई सरकारी संस्थान बेच दिया गया. हम निजीकरण के खिलाफ नहीं हैं. मेरा यह कहना है कि इस देश में जब सरकारी संस्थान नहीं होंगे, तब निजीकरण भी काम नहीं कर पाएगा.
उन्होंने कहा, ''हमारा यह अनुभव है, सरकारी स्कूलों में जो फीस नहीं दे सकते, वे वहां पढ़ते हैं और जो फीस दे सकते हैं, वे प्राइवेट में पढ़ते हैं.'' इन सवालों का जवाब देने के बजाए ये लोग बोको हराम करते हैं. आप बोको हराम नहीं, आरएसएस से हैं. आरएसएस ने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा नहीं लिया था. आरएसएस ने कभी भी देश के तिरंगे झंडे को स्वीकार नहीं किया. भारत का पांच हजार सालों का इतिहास है. हर इंसान देश का नागरिक है और सभी को बराबरी का हक दिया गया है.