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अमेरिका का नाम लिए बिना विदेश मंत्री एस जयशंकर बोले- बोलेंगे तो सुनना भी पड़ेगा

दिल्ली में आयोजित एजेंडा आजतक में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत की कूटनीति और इसमें पीएम मोदी के योगदान पर खुलकर बात की. इस दौरान उन्होंने अमेरिका का नाम लिए बिना कहा कि अगर बोलेंगे तो सुनना भी पड़ेगा. ऐसा नहीं होगा कि वन वे (एक तरफा) कम्यूनिकेशन हो.

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एजेंडा आज तक में विदेश मंत्री एस जयशंकर
एजेंडा आज तक में विदेश मंत्री एस जयशंकर

भारत की विदेश नीति पर एस. जयशंकर जिस तरह से भारत का पक्ष रखते हैं, उसकी प्रशंसा होती रही है. अमेरिका में मानवाधिकार मुद्दों को लेकर भारत की आलोचना का भी जवाब विदेश मंत्री देते रहे हैं. एजेंडा आज तक के मंच पर भी विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका का नाम लिए कहा कि अगर कोई देश हमारे आंतरिक मुद्दों पर टिप्पणी करेगा तो उसे भी हमारी बातें सुननी पड़ेंगीं. उन्होंने कहा कि हमें नहीं लगता है कि किसी भी और देश को यह हक है कि वो हमारे अंदरूनी मामलों में टिप्पणी करें. 

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एस जयशंकर ने कहा कि आज ग्लोबलाइजेशन का दौर है. लेकिन फिर भी अगर कोई देश भारत के अंदरूनी मामलों पर टिप्पणी करता है तो मेरा इतना ही कहना है कि आप बेशक हमारे ऊपर टिप्पणी करें लेकिन फिर सुनने की भी कृपा करें. क्योंकि उसके बाद मैं बोलूंगा और जब मैं बोलूंगा तो आपने जो कहा है उस पर तो बोलूंगा ही, साथ ही आपकी जो स्थिति है उस पर भी बोलूंगा. विदेश मंत्री ने साफ करते हुए कहा कि ऐसा नहीं हो सकता है कि सभी बातें वन वे में हो. उन्होंने कहा कि बोलना और सुनना भी ग्लोबलाइजेशन का हिस्सा है. 

विदेश मंत्री ने किया था जोरदार पलटवार
अप्रैल 2022 में एस जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की ओर से भारत में मानवाधिकार पर टिप्पणी करने पर जोरदार पलटवार किया था. दरअसल अमेरिका ने कहा था कि भारत में बढ़ रहे मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर वह चिंतित हैं. जिसके जवाब में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पलटवार करते हुए कहा था कि भारत भी अमेरिका को लेकर चिंतित है.

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रूस से तेल खरीदने पर भी बोले विदेश मंत्री
पश्चिमी देशों की ओर से रूस पर आर्थिक प्रतिबंध के बाद भी जारी तेल खरीद पर उठाए गए सवाल पर भी विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जवाब दिया था. जयशंकर ने कहा था कि भारत अपने लोगों के हितों को देखते हुए ही फैसला करेगा. उनके जवाब की तारीफ चीनी मीडिया में भी हुई थी. एजेंडा आजतक में विदेश मंत्री ने कहा कि लोग हमारी मजबूरियां और बयान के परिप्रेक्ष्य को पूरी तरह से समझ नहीं पाए. मैं उन्हें अपने दृष्टिकोण के हिसाब से उन्हें समझाने की कोशिश कर रहा था. उन्होंने कहा कि कभी-कभी समझाने में जोर लगाना होता है. 

भारत अपने नागरिकों के हितों के पक्ष में
रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर हुए वोटिंग में अनुपस्थित रहने और किसी का पक्ष नहीं लेने वाले सवाल पर उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि भारत ने किसी का पक्ष नहीं लिया. उन्होंने कहा कि भारत ने अपने नागरिकों का पक्ष लिया. हमें देखना पड़ा कि भारत के नागरिकों का हित किसमें है.

जी 20 से क्या होगा हासिल
अगले साल भारत की अध्यक्षता में होने वाली जी-20 समिट को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत की अध्यक्षता ही गौरव का विषय है. जी-20 की परिभाषा से ही स्पष्ट है कि इसमें शामिल सभी देश असाधारण हैं. उन्होंने कहा कि जी-20 और नौ अतिथि देशों समेत 43 डेलीगेशन का आना भारत के लिए गौरव की बात है.

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उन्होंने कहा कि यह समिट जिस समय पर हो रहा है वो काफी महत्वपूर्ण है. आज तनाव का समय है. विश्व में खाद्य और कर्ज समस्या चरम पर है. आज के ध्रुवीकरण दुनिया में सबका साथ और सबका विश्वास रखना संभव नहीं है. लेकिन फिर भी इस समिट के जरिए सबको साथ लेना हमारी जिम्मेदारी है. 

आज ग्लोबलाइजेशन का जमानाः जयशंकर
समिट के दौरान विदेश मंत्री ने कहा कि आज ग्लोबलाइजेशन का जमाना है. अब वो जमाना खत्म हो गया है जब विदेश नीति का असर सीमित होता था. उन्होंने कहा, "अब जो दुनिया में होता है उसका असर आपके घर तक होता है. महामारी और यूक्रेन युद्ध इसका ताजा उदाहरण है."

एस जयशंकर ने कहा कि विदेश में पढ़ रहे हमारे छात्रों और प्रवासियों का हित और सुरक्षा की जिम्मेदारी भी बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि आज के ग्लोबलाइजेशन युग में विदेश नीति को पढ़ना और समझना बहुत जरूरी है.

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