आजतक एजेंडा में बोलते हुए केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शाह बानो केस के बारे में कहा कि साल 1986 को लोग सिर्फ शाह बानो केस से जोड़ते हैं. उन्होंने कहा कि शाह बानो मामले में देशविरोधी और राष्ट्रविरोधी तत्वों के सामने घुटने टेके गए.
राज्यपाल ने कानून को लेकर कहा कि मैंने बार-बार जोर देकर कहा था कि आने वाली संसद इसे बदल सकती है, लेकिन राष्ट्रविरोधी और देशविरोधी स्वर में बोलने वाले लोग, हिंसा की बात करने वाले लोग, उनके सामने घुटने टेकना ये अपने आप में राष्ट्रीय अपराध था. मेरे पास उस जमाने की क्लिपिंग है. कानून इतना महत्वपूर्ण नहीं है, लेकिन जिन लोगों को आपने आदर दिया, जो वो जुबान बोल रहे थे कि हम सुप्रीम कोर्ट की ईंट से ईंट बजा देंगे. संसद के सदस्यों की टांग तोड़ दो, ये सब इंडिया गेट मीटिंग में बोल रहे थे. मेरी आपत्ति इस बात पर थी.
आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि साल 1947 से पहले जो लोग कह रहे थे कि भारत में दो राष्ट्र हैं, 1986 में उसी सोच के वारिस कह रहे थे कि हमारी पहचान अलग है क्योंकि ये नहीं कह सकते थे कि दो राष्ट्र हैं. मेरा स्टैंड उस अलग पहचान के खिलाफ था. देश को कमजोर करने वाली भाषा के खिलाफ मेरा स्टैंड था और आज भी मैं उसी पर कायम हूं. मेरी कसोच में कोई बदलाव नहीं है.
इसके साथ ही राज्यपाल ने कहा कि मैं इसे तुष्टिकरण इसलिए नहीं मानता क्योंकि ये पूरे मुस्लिम समुदाय का तुष्टिकरण नहीं है. ये केवल एक कौम के 10 लोगों की मर्जी का काम करते हुए चले जाइए तो ये आम आदमी का तुष्टिकरण कैसे हुआ. हां 10-50 लोगों या चंद संस्थाओं को तुष्टिकरण कह सकते हैं, लेकिन पूरे समुदाय का तुष्टिकरण कैसे कह सकते हैं.