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एजेंडा आजतक के महामंच में पहले दिन मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के सीनियर एक्जीक्यूटिव ऑफिसर, सेल्स एंड मार्केटिंग शशांक श्रीवास्तव ने शिरकत की और उन्होनें मारुति सुजुकी के एजेंडे के बारे में खुलकर बातचीत की. इस कार्यक्रम के दौरान शशांक ने कंपनी की पहली इलेक्ट्रिक कार से लेकर जीडीपी में ऑटो सेक्टर के योगदान और ग्रास रूट लेवल पर मूलभूत सुविधाओं सहित कई पहलुओं पर अपनी राय रखी.
शशांक श्रीवास्तव ने कहा कि, "देश के GDP में ऑटो सेक्टर की हिस्सेदारी 7.1 फीसदी है, जो कि साल 1992-93 में तकरीबन 2.1 प्रतिशत था. अगले चार साल में कुल जीडीपी में इसकी हिस्सेदारी 12.5% तक होने की उम्मीद है. आपको यह जानकर खुशी होगी, देश की जीएसटी कलेक्शन में 15 प्रतिशत का योगदान अकेले ऑटो सेक्टर देता है. ये 100 बिलियन डॉलर की बहुत बड़ी इंडस्ट्री है, जिसको लेकर उम्मीद की जा रही है कि, निकट भविष्य में ये तकरीबन 150 बिलियन डॉलर की इंडस्ट्री होगी. ऑटो सेक्टर में 4 करोड़ लोगों को रोजगार मिलता है."
ऑटो सेक्टर अपने लक्ष्य तक कैसे पहुंचेगा इसके बारे में शशांक बताते हैं कि, हमारे यहां पर आर स्क्वॉयर फैक्टर (.98) बहुत मायने रखता है. देश में एक्सपोर्ट बहुत ही तेजी से बढ़ रहा है और इंडिया की डेमोग्रॉफी पर गौर करें तो 65 फीसदी आबादी 35 साल से कम उम्र की है. बढ़ता इंफ्रास्ट्रक्चर, लोगों का नजरिया, हमारी टेक्नोलॉजी और अन्य कई फैक्टर हैं जो लक्ष्य तक पहुंचने में ऑटो सेक्टर की मदद करेंगे. पैसेंजर व्हीकल सेग्मेंट में 60 लाख गाड़ियों की बिक्री का टार्गेट है, जो कि इस साल 40 लाख वाहनों का था.
कंपनी ने कितने उतार चढ़ाव देखें?
ऑल्टो से लेकर इलेक्ट्रिक व्हीकल तक मारुति ने कितने उतार चढ़ाव देखे हैं, इस बारे में शशांक कहते हैं कि, "जब सबसे पहले लिब्रलाइजेशन हुआ तो कहा गया कि, मारुति सुजुकी ग्लोबल ब्रांड से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएगी. लेकिन हमने अच्छा काम किया. जब हमने एस्टीम कार लॉन्च की उस वक्त जो ब्रांड्स बाजार में थें वो आज बाहर हो चुके हैं, लेकिन हमने फिर भी टिके रहें."
बिग कार्स बाजार में बढ़ती हिस्सेदारी:
शशांक ने बताया कि, "साल 2001 और 2002 में लेबर इश्यू हुआ और साल 2003 में हमने IPO लॉन्च किया. हमने पब्लिक और सरकार दोनों के लिए काफी वेल्थ क्रिएट किया है. लोग कहते थें कि, मारुति केवल छोटी कारों में ही सफल हो सकती है और बड़ी गाड़ियों में बेहतर परफॉर्म नहीं कर पाएगी. लेकिन अब हम 10 लाख से 20 लाख रुपये की कैटेगरी में नंबर वन हो चुके हैं. 10 लाख रुपये से कम कीमत वाली गाड़ियों के बाजार में मारुति सुजुकी की हिस्सेदारी 60 प्रतिशत का हो चुका है."
SUV सेग्मेंट में बने नंबर वन:
स्पोर्ट यूटिलिटी व्हीकल सेग्मेंट को लेकर शशांक ने कहा कि, "पिछले 3-4 सालों में बड़ी और SUV गाड़ियों के प्रति लोगों का रूझान बढ़ा है, हालांकि छोटी गाड़ियों की डिमांड जरूर कम हुई है. हमारा लक्ष्य बाजार में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी का है, अगर आप एसयूवी को हटा दें यानी कि नॉन-एसयूवी सेग्मेंट में हमारी हिस्सेदारी तकरीबन 65 प्रतिशत है. लेकिन जब आप SUV को शामिल करते हैं तो हमारी हिस्सेदारी 43-44 प्रतिशत तक आ जाती है."
वो आगे कहते हैं कि, "साल 22-23 की पहली तिमाही में SUV सेग्मेंट में बाजार में हमारी हिस्सेदारी केवल 8 प्रतिशत थी. लेकिन हमने पिछले साल विटारा, जिम्नी, फ्रांक्स और ब्रेजा का फेसलिफ्ट लॉन्च किया है. अब हमारी SUV सेग्मेंट में मारुति सुजुकी नंबर वन पोजिशन पर आ चुकी है. हमने हमेशा बाजार के रूझान और ग्राहकों के डिमांड के अनुसार गाड़ियों को बाजार में उतारा है."
इलेक्ट्रिक वाहनों में भी होंगे नंबर वन:
इलेक्ट्रिक वाहन सेग्मेंट में मारुति सुजुकी की क्या योजना है, इसके बारे में शशांक कहते हैं कि, "हमने जो प्रोजेक्ट किया है कि, 2030 तक इलेक्ट्रिक वाहनों योगदान तकरीबन 20 प्रतिशत होगी, जो कि इस समय तकरीबन 2 प्रतिशत है. इसका मुख्य कारण ये है कि बैटरी की कॉस्ट ज्यादा है और अभी बेहतर चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध नहीं है. जब हम बाजार में आएंगे तो इलेक्ट्रिक वाहन सेग्मेंट में भी लीडर होंगे."
कैसी होगी Maruti की पहली इलेक्ट्रिक कार?
बता दें कि, मारुति सुजुकी ने इस साल ऑटो एक्सपो के दौरान अपनी पहली इलेक्ट्रिक कार के तौर पर eVX एसयूवी को पेश किया था. इसके बारे में शशांक कहते हैं कि, "हम अगले साल बाजार में अपनी पहली इलेक्ट्रिक कार लॉन्च करने जा रहे हैं. ये मिड-साइज एसयूवी होगी. इसमें कंपनी 60kW की क्षमता का बैटरी पैक इस्तेमाल कर रही है. जो कि सिंगल चार्ज में 550 किलोमीटर तक चलेगी."
मारुति सुजुकी EVX को मिलाकर साल 2031 तक कुल 6 इलेक्ट्रिक वाहन पेश करेगी. हमारी योजना है कि, 2030 तक मारुति सुजुकी की ओवरऑल सेल में अकेले इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी तकरीबन 15% की होगी.
इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर करने में सरकार की भूमिका कैसी है?
सरकार की भूमिका और प्रोत्साहन को लेकर शशांक कहते हैं कि, "जो मौजूदा हुकूमत है उन्होनें इलेक्ट्रिक वाहन और जनरल इकोनॉमी के लिए बहुत अच्छा काम किया है. छोटे इलाकों में भी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट को बढ़ाया है. ऑटो इंडस्ट्री के ग्रोथ के लिए मेक-इन-इंडिया, फेम2 और पीएलआई जैसी स्कीमों ने अहम भूमिका निभाई है. इसके अलावा हमें उम्मीद है कि, सरकार इन मामलों में और भी ज्यादा सहयोग करेगी.
GST दर में कम हो अंतर:
वाहनों के अलग-अलग सेग्मेंट के हिसाब से जीएसटी दरों में बड़ा अंतर देखने को मिलता है. इसके बारे में शशांक ने कहा कि, "इलेक्ट्रिक वाहनों पर जीएसटी महज 5 फीसदी है और बाकी वाहनों पर ये जीएसटी 45 फीसदी है. ऐसे में ये एक बड़ा अंतर है. यदि सरकार इस अंतर को कम करती है तो ये ऑटो सेक्टर को और मजबूती देगा. "