'एजेंडा आजतक' के सत्र 'सोशल नेटवर्किंगः कमाल या जंजाल' में लेखक चेतन भगत, सामाजिक कार्यकर्ता किरण बेदी व केंद्र सरकार में राज्यमंत्री मनीष तिवारी ने बड़ी बेबाकी से अपने विचार रखे.
'एजेंडा आजतक' के सत्र 'सोशल नेटवर्किंगः कमाल या जंजाल' के दौरान इंडिया टुडे ग्रुप के एडिटर-इन-चीफ अरुण पुरी और रेखा पुरी.
चेतन भगत ने कहा, 'पालघर फेसबुक विवाद को लेकर सोशल मीडिया पर डर के सवाल उठने लगे हैं. हर चीज का उपाय कानूनी नहीं हो सकता है.'
चेतन भगत ने कहा कि सोशल नेटवर्किंग साइट के कई फायदे हैं. उन्होंने कहा कि देश में सोशल साइटों को सेंसर करने का विचार गलत है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग इसका गलत इस्तेमाल करते हैं, उसकी निंदा भी होना चाहिए.
पूर्व आईपीएस अधिकारी और सामाजिक कार्यकर्ता किरण बेदी ने कहा कि सोशल मीडिया के बारे में एक ठोस पॉलिसी की जरूरत है. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के इस्तेमाल को लेकर लोगों को शिक्षित करना भी जरूरी है.
सूचना प्रसारण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मनीष तिवारी ने कहा कि बोलने की आजादी का इस्तेमाल किसी की भावना को ठेस पहुंचाने के लिए नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि आम आदमी को एक संचार का माध्यम मिला है, इससे न लड़ना चाहिए, न ही झगड़ना चाहिए.
मनीष तिवारी ने कहा कि सरकार ने कानून 12 साल पहले बनाए थे. इसके क्रियान्वयन में कमी रह सकती है.
चेतन भगत ने इस मुद्दे पर विस्तार से बातें करते हुए कहा कि दरअसल सोशल मीडिया गप्पें मारने के लिए बना है. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया सागर जैसा है, जिस पर सेंसरशिप लगाना आसान नहीं है. उन्होंने कहा कि विचारों की आजादी पर पाबंदी लगाने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया का फ्री रहना बेहद जरूरी है.
मनीष तिवारी ने कहा कि सोशल मीडिया विज्ञान का चमत्कार है और इसे गले लगाना चाहिए.
किरण बेदी ने कहा कि हम कानून तो बना लेते हैं, पर उसे मौजूदा माहौल में ढलने में, यानी पूरी तरह से लागू होने में वक्त लगता है. उन्होंने कहा कि यह मीडियम तेज है, महंगा नहीं है और ग्लोबल है.
चेतन भगत ने इस मुद्दे पर विस्तार से बातें करते हुए कहा कि दरअसल सोशल मीडिया गप्पें मारने के लिए बना है. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया सागर जैसा है, जिस पर सेंसरशिप लगाना आसान नहीं है. उन्होंने कहा कि विचारों की आजादी पर पाबंदी लगाने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया का फ्री रहना बेहद जरूरी है.