scorecardresearch
 

इंडिया मांगे मोर विकास: किसानों की खुशहाली के बिना विकास बेमानी

एजेंडा आज तक के पहले दिन का आठवां सत्र रहा विकास के नाम. इस सत्र का नाम रखा गया था इंडिया मांगे मोर विकास. इस सत्र में संजीव गोयनका, केंद्रीय मंत्री कमलनाथ और सुब्रत राय सहारा ने अपने विचार रखे.

Advertisement
X

एजेंडा आज तक के पहले दिन का आठवां सत्र रहा विकास के नाम. इस सत्र का नाम रखा गया था इंडिया मांगे मोर विकास. इस सत्र में संजीव गोयनका, केंद्रीय मंत्री कमलनाथ और सुब्रत राय सहारा ने अपने विचार रखे. चर्चा की शुरुआत में कमलनाथ ने इस महामंच के लिए आज तक को बधाई दी.

Advertisement

गांवों के लोगों के लिए विकास दर के मायने अलग
कमलनाथ ने कहा, हमें अपने निजी क्षेत्र को इसकी उद्यमिता दिखाने का मौका देना चाहिए. कमलनाथ ने आगे कहा, 'हमारी जो आर्थिक नीति है उसकी नजर नौजवान और किसान पर है. जब तक किसान की क्रय शक्ति नहीं बढ़ेगी तब तक इस विकास का कोई फायदा नहीं होगा. ऐसा लगता है कि एफडीआई का विरोध करने वालों ने कभी खेत नहीं देखा.' कमलनाथ ने कहा, 'हमारी विकास दर के कोई मायने नहीं अगर किसान और नौजवान खुशहाल नहीं हैं. विकास दर के मायने गांव में रहने वाली जनता के लिए अलग हैं.

आज पब्लिक सेक्‍टर का अर्थ बदल गया है
इसी चर्चा को आगे बढ़ाते हुए सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत राय ने कहा, 'मौजूदा विकास दर से रोजगार की स्थिति में सुधार होने की संभावना कम है और साथ ही अमीर और गरीब के बीच फासला और बढ़ने की भी संभावना है.' उन्‍होंने कहा कि नेहरू जी ने पब्लिक सेक्टर की शुरुआत कर विकास की अच्छी शुरुआत की थी लेकिन आज पब्लिक सेक्टर का अर्थ बदल गया है. पब्लिक सेक्टर को चलाने वाले लोगों में त्याग की भावना कम होती है.'

Advertisement

सुब्रत राय ने कहा कि देश के विकास में प्राइवेट सेक्टर की भूमिका अहम है. उन्‍होंने आगे कहा, देश के कई नौजवान बेहतरीन उद्यमी बन सकते हैं, पर उन्हें पूंजी की जरूरत है. पूंजी के बिना कोई भी व्यवसाय को आगे नहीं ले जा सकता. सरकार की नीतियों पर बोलते हुए सुब्रत राय ने कहा, 'भारतीय उद्यमी बेहद ही उम्दा किस्म के हैं लेकिन सरकार की नीतियां कुछ खट्टी हैं और कुछ मीठी और नीतियों को लागू करने में कई दिक्कतें हैं.' उन्‍होंने कहा कि अधिकार कर्तव्यों का पालन करने के लिए दिए जाते हैं ना कि इसका निजी फायदा उठाने के लिए.'

विरोध की राजनीति बंद होनी चाहिए
इसी चर्चा को आगे बढ़ाते हुए संजीव गोयनका ने कहा, सरकार एक माहौल बनाती है जिससे उद्योग विकास दर में योगदान कर सकें. विरोध करने के लिए सिर्फ विरोध करना गलता है और विरोध की राजनीति बंद होनी चाहिए. उनका इशारा एफडीआई के विरोध की तरफ था. गोयनका ने आगे कहा, 'भारतीय उद्यमी को खुला छोड़ दीजिए, वो आपको बहुत आगे ले जा सकता है. शासन और नीतियों में सुधार करके ही आर्थिक माहौल को सुधारा जा सकता है.'

केवल कानून बदलने से नहीं रुकेगा भ्रष्‍टाचार
भ्रष्टाचार के सवाल पर कमलनाथ ने कहा कि यह एक बहुत बड़ी चुनौती है. केवल कानून बदलकर भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता. कमलनाथ ने कहा, भ्रष्टाचार कम करने के लिए रवैये में बदलाव भी जरूरी है. वित्तीय घाटा को कम करने के लिए भी कदम उठाने की जरूरत है.

Advertisement
Advertisement