मोदी सरकार 2.0 का एक साल पूरा हो चुका है. इस मौके पर आयोजित आजतक के खास कार्यक्रम e-एजेंडा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी शिरकत की. अमित शाह ने e-एजेंडा आजतक के 'मोदी 2.0 का एक साल' सत्र में भाग लिया और अपनी राय रखी. केंद्रीय गृह मंत्री ने इस मौके पर पार्टी में अपने रोल को लेकर भी बात की.
गृह मंत्री और पार्टी अध्यक्ष दोनों में सहज क्या था? इस सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मेरा रोल मैं तय नहीं कर सकता. यह मेरी पार्टी तय करती है. ये बात तो निश्चित है मेरे जैसे कार्यकर्ता के लिए. न मैं अपने-अपने आप अध्यक्ष बना हूं न ही मैं अपने आप गृह मंत्री बन सकता हूं. जब तक पार्टी और प्रधानमंत्री तय नहीं करते मैं गृह मंत्री नहीं बन सकता था. लेकिन मैं यह मानता हूं कि जो भी दायित्व मुझे दिया जाएगा मेरे अनुभव और सूझबूझ का पूरा उपयोग कर, दमतोड़ परिश्रम कर उसको देश के भले के लिए सफल बनाने का प्रयास करूंगा और मुझे लगता है कि मैंने किया भी है.
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अपने पूरे राजनीतिक सफर पर बात करते हुए अमित शाह ने कहा कि मैं अपने राजनीतिक सफर को एक सामान्य पार्टी कार्यकर्ता के तौर पर ही देखता हूं जो अपनी पार्टी के सिद्धांतों पर भरोसा रख कर, अपने पार्टी के सिद्धांतों पर अडिग रह कर, पार्टी के अनुशासन में रह कर पार्टी की योजना पर काम करता है, वह बूथ कार्यकर्ता से लेकर पार्टी का अध्यक्ष भी बन सकता है और देश का गृह मंत्री भी बन सकता है.
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अपनी बात जारी रखते हुए अमित शाह ने आगे कहा कि मैं अपने राजनीतिक सफर की इतनी ही व्याख्या करना चाहता हूं और पार्टी के करोड़ों कार्यकर्ताओं को कहना चाहता हूं कि पार्टी के सिद्धांतों पर अगर हम अडिग रह कर पार्टी की योजना को ही अपनी योजना मानकर काम करेंगे तो मुझे लगता है कि हमें व्यक्तिगत तौर पर काम करने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
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जे पी नड्डा को पार्टी की कमान देने के मुद्दे पर अमित शाह ने कहा कि नड्डा जी को मैंने यह काम नहीं सौंपा है, यह पार्टी के संसदीय बोर्ड का निर्णय है. नड्डा जी बहुत वरिष्ठ नेता हैं और हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. हिमाचल से लेकर, बिहार से लेकर, दिल्ली तक राष्ट्रीय महासचिव से लेकर केंद्रीय मंत्री तक अनेक भूमिकाएं उन्होंने सफलता पूर्वक निभाई हैं.
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इस दौरान एक मजेदार बात शेयर करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि पार्टी से संबंधित फैसले को लेकर अभी भी कई बार जब पार्टी कार्यकर्ता फोन करते हैं तो हड़बड़ी में अध्यक्ष जी बोल जाते हैं मगर फैसले तो नड्डा जी ही लेते हैं.