आजतक के e-एजेंडा कार्यक्रम में प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर कांग्रेस सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी और पूर्व केंद्रीय मंत्री एंव भाजपा सांसद जयंत सिन्हा के बीच तीखी बहस हुई. मनीष तिवारी ने केंद्र सरकार पर जोरदार हमला बोला. लॉकडाउन के बाद देश में जो हालात हैं, उसके लिए तिवारी ने केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने जयंत सिन्हा से कई सवाल भी पूछे.
मनीष तिवारी ने कहा, ''ये त्रासदी केंद्र सरकार के कारण हुई है. लॉकडाउन लगाने का तरीका गलत रहा. 4 घंटे के नोटिस पर देश में लॉकडाउन लगा दिया गया. सरकार को पहले ये कहना चाहिए था कि अगले चार-पांच दिनों में देश में लॉकडाउन होगा. सभी लोग अपनी-अपनी जगह पर ही रहें. फिर भी जो लोग जाना चाहते हैं, उनके लिए घर जाने की व्यवस्था कराई जा रही है. उन्हें घर पहुंचाने के बाद लॉकडाउन लगाना चाहिए था.''
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जयंत सिन्हा ने मनीष तिवारी के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि यह राजनीति का वक्त नहीं है. हमें पता है कि लाखों मजदूर सड़क पर हैं. ऐसे में हमें राजनीति करने की जगह मिलजुलकर उनकी मदद करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि मैं इंसानियत के लिए भीख मांग रहा हूं कि ट्रेन चला दीजिए, ताकि सड़कों पर फंसे मजदूर अपना घर जा सकें. जयंत सिन्हा ने कहा कि केंद्र सरकार मजदूरों की हर संभव मदद कर रही है, अब राज्य सरकारों को अपने-अपने राज्यों के लिए और अधिक ट्रेन चलवाने की मांग करनी चाहिए.
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उन्होंने कहा, ''हजारीबाग में मैंने मुख्यमंत्री को 60 हजार लोगों की सूची भेजी है. वे सभी वापस झारखंड लौटना चाहते हैं. 6 लाख लोगों ने झारखंड सरकार से वापस लौटने की गुहार लगाई है. मैं चाहता हूं कि मुख्यमंत्री केंद्र सरकार से और ट्रेन चलवाने की मांग करें, ताकि जो लोग सड़कों पर फंसे हुए हैं वो वापस घर आ सकें.''
मनीष तिवारी ने जयंत सिन्हा से पूछा कि आखिर सरकार मजदूरों के खाते में पैसा क्यों नहीं डाल रही है. उन्होंने कहा कि जयंत सिन्हा को साफ-साफ स्वीकार कर लेना चाहिए कि उनकी सरकार ने गलती की है. इसके जवाब में जयंत सिन्हा ने कहा, ''हां मैं मानता हूं कि हमारी सरकार दोषी है. हमारी सरकार सही समय पर लॉकडाउन कर देश के करोड़ों लोगों की जान बचाने के लिए दोषी है. कुछ मजदूर सड़कों पर फंसे हैं. यह बड़ा दुखद है."
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बीजेपी सांसद जयंत सिन्हा ने कहा, " हम गांव में गरीबों और किसानों की मदद कर रहे हैं. उन्हें भोजन के रूप में अनाज और सत्तू बांट रहे हैं, उन्हें किट दिलवा रहे हैं जिसमें जरूरत के सामान हैं. कई योजनाओं के तहत हर गरीब और किसानों के खाते में करीब 10-11 हजार रुपये डाल चुके हैं." उन्होंने कहा कि प्रवासी मजदूरों को खाना और रहने की व्यवस्था की जा रही है. उनसे गुजारिश की जा रही है कि आप पैदल घर नहीं लौटें लेकिन उनके अंदर डर है. हमें उस डर को हटाना होगा.