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e-एजेंडा: GDP का 10% छोड़िए, डेढ़ फीसदी भी नहीं है पीएम मोदी का पैकेजः ओवैसी

देश में कोरोना वायरस के संकट से निपटने के लिए लॉकडाउन लागू है. लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियों पर ब्रेक लग गया. जिसके कारण मोदी सरकार ने इकोनॉमी को रफ्तार देने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया.

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असदुद्दीन ओवैसी (फाइल फोटो)
असदुद्दीन ओवैसी (फाइल फोटो)

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  • मोदी सरकार 2.0 का एक साल पूरा
  • कोरोना संकट के कारण लॉकडाउन

मोदी सरकार 2.0 का एक साल पूरा हो चुका है. इस मौके पर आयोजित आजतक के खास कार्यक्रम e-एजेंडा में ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने शिरकत की. इस दौरान ओवैसी ने लॉकडाउन के दौरान मोदी सरकार के जरिए दिए गए आर्थिक पैकेज पर भी हमला बोला.

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देश में कोरोना वायरस के संकट से निपटने के लिए लॉकडाउन लागू है. लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियों पर ब्रेक लग गया. जिसके कारण मोदी सरकार ने इकोनॉमी को रफ्तार देने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया. हालांकि अब ओवैसी का कहना है कि मोदी सरकार का आर्थिक पैकेज जीडीपी का डेढ़ फीसदी भी नहीं है.

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यह भी पढ़ें: e-एजेंडा: मोदी सरकार बताए कि 10 दिन में 80 मजदूर ट्रेन में कैसे मर गए- ओवैसी

मोदी सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज का ऐलान करते हुए इसे भारत की जीडीपी का 10 फीसदी बताया था. इस पर ओवैसी ने कहा कि मोदी सरकार देश की आंखों में धूल झोंक रही है. कई विशेषज्ञों ने ये पाया है कि 20 लाख करोड़ का पैकेज असल में जीडीपी का डेढ़ फीसदी भी नहीं है.

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ओवैसी ने कहा कि क्या बैंक गरीब को लोन देगा? अगर बैंक लोन देता तो आज 25 करोड़ मजदूर सड़कों पर नहीं होते. देश की जीडीपी लगातार गिर रही है. 40 साल में जीडीपी पहली बार 3.1 हुई है. जनधन अकाउंट का फायदा हर मजदूर को मिलता तो आज पलायन नहीं देखने को मिलता.

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