कोरोना वायरस के संक्रमण की रफ्तार पर ब्रेक लगाने के लिए केन्द्र सरकार ने देशव्यापी लॉकडाउन लागू किया है. लॉकडाउन के शुरुआती दो चरणों में उद्योग-व्यापार, सब पूरी तरह ठप रहे. इसी वजह से अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 लाख करोड़ के पैकेज का ऐलान करते हुए आत्मनिर्भर भारत योजना लॉन्च की. आत्मनिर्भर भारत का निर्माण कैसे होगा और इसके सामने क्या चुनौतियां हैं, इसी विषय को लेकर आयोजित ई-एजेंडा आजतक के मंच पर मोदी सरकार के मंत्री और दो राज्यों के मुख्यमंत्री अपनी बात रख रहे हैं. रोटी, कपड़ा और 'जहान'! सत्र में केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने अपनी बात रखी.
आर्थिक पैकेज पर चर्चा करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 20 लाख करोड़ का पैकेज 130 करोड़ की जनता वाले देश में जब घोषित होता है तो देश के हर वर्ग में उम्मीदें जगती हैं. लॉकडाउन की घोषणा जब हुई थी तब सरकार की प्राथमिकता थी कि कोई भी गरीब भूखा ना सोए. इसके लिए एक लाख 70 हजार करोड़ का एक पैकेज प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत घोषित किया गया. तीन महीने का राशन 80 करोड़ नागरिकों तक पहुंचाने का प्रयास भारत सरकार ने किया. सरकार ने 20 करोड़ महिलाओं के खाते में तीन महीने तक पैसा पहुंचाया.
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स्मृति ईरानी ने आगे कहा कि तीन लाख करोड़ की बैंक की गारंटी देना 45 लाख एमएसएमई की यूनिट्स के लिए, अगर छोटा सा गणित करें कि एक यूनिट में अगर 10 लोग भी काम करते हैं तो इसका मतलब है कि साढ़े 4 करोड़ नागरिकों को सशक्त करना. ब्याज में राहत देना, किसान क्रेडिट कार्ड की जो घोषणा हुई, वन नेशन वन राशन कार्ड की घोषणा होना, ये सारे कदम तब उठाए जा रहे हैं जब देश में लॉकडाउन चल रहा है. फसलें बोई भी गईं और फसल काटी भी गई. अर्थव्यवस्था लगातार चल रही है. यह आर्थिक पैकेज सभी वर्ग के लिए लाभकारी होगा.
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आत्मनिर्भर भारत पर अपनी राय रखते हुए स्मृति ईरानी ने कहा कि वर्षों से यही चर्चा होती थी कि हिंदुस्तान में अगर कोई रॉ मैटेरियल आया तो उसे एक असेंबली की दृष्टि से देखा जाए. हिंदुस्तान आज पूरी दुनिया के लिए फार्मा केंद्र बन गया. पूरी दुनिया को भारत ने हाइड्राक्सीक्लोक्वीन दवाई भेजी. इस दौरान उन्होंने पीपीई इंडस्ट्री का उदाहरण भी दिया.
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स्मृति ईरानी ने कहा कि पीपीई देश में पहले एक भी नहीं बनता था. बाहर से हर साल 50 हजार पीपीई किट इंपोर्ट होते थे क्योंकि देश में इतनी की ही दरकार हुआ करती थी. लोगों का मानना था उसका मैटेरियल हिंदुस्तान में बन नहीं सकता था. बन भी गया तो वो स्टिच नहीं हो सकता था और बन स्टिच भी हो गया तो इंटरनेशनल स्टैंडर्ड के अनुकूल नहीं होगा. एक मार्च को देश में एक भी पीपीई किट का ना होना और आज दिन में तीन लाख पीपीई किट हमारी ही कंपनियां बना रही हैं.
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उन्होंने कहा आज मुझे गर्व है कि लॉकडाउन में एक इंडस्ट्री जीरो से पनपी और आज उसकी कीमत सात से आठ हजार करोड़ है. जहां 200 से ज्यादा कंपनियां हैं. लॉकडाउन के समय ऐसी संभावना पैदा करके हिंदुस्तान ने दुनिया के सामने मिसाल पेश की है. दाम में भी काफी अंतर है.