कोरोना वायरस से निपटने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग के साथ-साथ ज्यादा से ज्यादा टेस्ट करने की जरूरत है. भारत में कितनी तेजी से टेस्ट हो रहे हैं? और जिस स्पीड से टेस्ट हो रहे हैं क्या वो काफी है? आज तक के 'ई-एजेंडा' कार्यक्रम में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कुछ ऐसे ही सवालों के जवाब आंकड़ों के साथ दिए.
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, 'सरकार ने बेहद कम समय में एक लैबोरेटरी से 463 लैबोरेटरी बनाने का काम किया है. इसके अलावा, पहले रोजाना 2000 तक टेस्ट ही हो पा रहे थे, वहीं मौजूदा समय में 80,000 से ज्यादा टेस्ट रोजाना किए जा रहे हैं.'
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डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि भारत के पास मौजूदा समय में में 95,000 प्रतिदिन के हिसाब से टेस्टिंग करने की क्षमता है. पहले सरकार ने 31 मई तक 1,00,00 तक टेस्टिंग करने का वादा किया था, लेकिन आज टेस्टिंग के मामले में भारत किसी भी देश से पीछे नहीं है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कर्नाटक और उड़ीसा का उदाहरण देते हुए कहा कि कई राज्यों में बड़ी तेजी से टेस्ट किए जा रहे हैं. कर्नाटक में सरकार ने करीब 250 टेस्ट करने के लिए कहा था, लेकिन वहां गैर-प्रभावित इलाकों में भी 1000 से 8000 तक टेस्ट किए हैं. अच्छी बात ये है कि इन इलाकों में टेस्ट नेगेटिव आए हैं.
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दिल्ली जैसे बड़े शहरों में टेस्टिंग रिपोर्ट आने में 48 घंटे से ज्यादा का वक्त लग रहा है इस बारे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि लैबोरेटरीज़ के ऊपर फिलहाल काफी दबाव है. जिन इलाकों में मामले ज्यादा हैं वहां तेजी से टेस्ट करना भी एक चुनौती है. एक रिपोर्ट का नतीजा सामने आने में भी 5-6 घंटे का वक्त लग जाता है. हालांकि रिपोर्ट का समय कैसे कम किया जाए, इस बारे में भी सोचा जा रहा है.