वित्त मंत्रालय में प्रिंसिपल इकोनॉमिक एडवाइजर (PEA) संजीव सान्याल ने कहा कि कोरोना संकट से निपटने का भारत का तरीका दूसरे देशों से अलग है और हम धीरे-धीरे राहत के कदम उठा रहे हैं. जरूरत पड़ने पर और राहत पैकेज का ऐलान किया जाएगा. हमने इकोनॉमी से पहले स्वास्थ्य इमरजेंसी को प्राथमिकता दी है.
ई-कॉन्क्लेव के जम्प स्टार्ट इंडिया सेशन में 'फाइटिंग द इकोनॉमिक वायरस' टॉपिक पर इंडिया टुडे के न्यूज डायरेक्टर राहुल कंवल से बात करते हुए संजीव सान्याल ने कहा, 'सबको पता है कि लॉकडाउन से इकोनॉमी को नुकसान हो रहा है, बिजनेस पर काफी दबाव है, इसमें कोई अचरज की बात नहीं है. हमारे पीएम ने कहा कि पहले हेल्थ इमरजेंसी पर जोर देंगे, इसके बाद इकोनॉमी की इमरजेंसी को देख रहे हैं. हम धीरे-धीरे लॉकडाउन हटा रहे हैं.'
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धीरे-धीरे और पैकेज का होगा ऐलान
सान्याल ने कहा, 'दूसरे देशों से हमारा एप्रोच अलग है. दूसरे देशों ने बड़े ट्रिलियन डॉलर पैकेज दिए हैं. हमने सिस्टम को कुशन दिया है. लोगों के जेब में सीधा पैसा दिया जा रहा है. रिजर्व बैंक ने नकदी बढ़ाने की कोशिश की है यह एक तरह का कुशन है हम धीरे-धीरे कई पैकेज का ऐलान करेंगे. हम हालात की गंभीरता को समझते हैं हमारे पास फिस्कल और मॉनिटरी संसाधन है.
जरूरत पड़ने पर बढ़ सकता है मोरेटोरियम
उन्होंने कहा, 'हम ऐसे माहौल में हैं जहां कुछ भी पता नहीं है कि आगे क्या होगा. यह बहुत कठिन समय है. जो लोन मोरेटोरियम दिया गया है वह कुशन की तरह है. इसे बढ़ाया जा सकता है, हमें फीडबैक लेकर फिर चरण दर चरण आगे बढ़ना होगा.
क्या जीएसटी में राहत मिलेगी
सान्याल ने कहा, 'हमने सभी प्रमुख इंडस्ट्रियलिस्ट से बात की है और उनका फीडबैक लिया है. अगर हम हॉस्पिटलिटी से जीएसटी हटा दें, तो क्या इससे हॉस्पिटलिटी सेक्टर आगे बढ़ जाएगा? इस दौर में क्या लोग यात्राएं करेंगे, होटलों में ठहरेंगे?'
उन्होंने कहा कि डिमांड पर काफी दबाव है, ग्लोबल और घरेलू दोनों तरह की मांग पर दबाव है. हमारा निर्यात सेक्टर समस्या में है. दूसरे देशों के मुकाबले भारत में मौद्रिक, राजकोषीय गुंजाइश ज्यादा है.
आगे क्या होगा
सान्याल ने कहा कि कोरोना के बाद वाले दौर में आगे इकोनॉमी को गति देने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश को आगे बढ़ाया जा सकता है. लिक्विडिटी, मॉनिटरी सपोर्ट देना जरूरी है. एमएसएमई बहुत समस्या में हैं और इसकी वजह से जॉब लॉस की आशंका है. लेकिन यह सब इतना आसान नहीं है.
उन्होंने कहा, 'हर कोई एक-दूसरे पर निर्भर है, एमएसएमई भी बड़ी कंपनियों पर निर्भर है. एमएसएमई को क्रेडिट मिलने में दिक्कत है. वे बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार देते हैं. इसलिए हमें इकोनॉमी में कैशफ्लो बनाए रखना है. छोटी कंपनियों को कर्ज मिलने में दिक्कत है, इसलिए उन पर खास ध्यान देना होगा.'
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सान्याल ने कहा, 'लेबर आदि के लिए हमने डायरेक्टर ट्रांसफर सिस्टम शुरू किया है. व्यापक समस्या यह है कि स्लोडाउन है. जब तक ग्रोथ वापस नहीं होगी लेबर की मुश्किल दूर नहीं होगी. कोरोना के बाद वाले दौर में हमें अपनी इकोनॉमी को नए सिरे से आगे बढ़ाना होगा पूरी दुनिया में नई व्यवस्था बनेगी, सप्लाई चेन बदल जाएगा. कंज्यूमर बिहेवियर बदल जाएगा.
इंडिया अवसर का फायदा कैसे उठाए
कोरोना के बाद वाले दौर का भारत कैसे फायदा उठा सकता है कि इसके बारे में सान्याल ने कहा कि दुनिया में सप्लाई चेन बदलेगी ओर कई देश इससे बाहर हो जाएंगे. यह हमारे लिए अवसर है. हमें इसका फायदा उठाना होगा. हम जरूरी नियम-कायदों, टैक्स को बदलेंगे. यूपी सरकार ने इस दिशा में कई घोषणाएं की हैं. हम भी कई तरह के टैक्स को सरल बनाएंगे. प्रधानमंत्री इस बारे में उच्चस्तरीय बैठकें करते रहे हैं.
उन्होंने कहा कि यह मानना ठीक नहीं होगा कि सिर्फ ई-कॉमर्स चलेगा. लॉकडाउन में किराना दुकानें लोगों के सबसे ज्यादा काम आई हैं.