सिगरेट के पैकेट पर लिखा रहता है कि धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. सिगरेट बच्चों के लिए भी वर्जित है लेकिन दिल्ली के बच्चों के लिए इससे बचना मुश्किल है. अनजाने में ही वे हर दिन दस सिगरेट पीने के बराबर गंदगी सांस के साथ अंदर ले रहे हैं.
इंडिया टुडे की डाटा इंटेलीजेंस यूनिट (DIU) ने पाया कि दिल्ली में रहने वाला हर नागरिक सांस लेने के साथ प्रतिदिन औसतन 10 सिगरेट पीने के बराबर हानिकारक तत्व प्रदूषित हवा के साथ अंदर खींच रहा है.
DIU ने 20 अक्टूबर से लेकर 21 नवंबर (5 PM) तक के दिल्ली के प्रदूषण संबंधी आंकड़ों का विश्लेषण किया. हमने पाया कि दम घोंटने वाली हवा में सांस लेने के साथ ही हर आदमी ने एक महीने में औसतन 340 सिगरेट पीने के बराबर प्रदूषक तत्वों को अवशोषित किया. इस दौरान दिल्ली की हवा में प्रदूषण कारक पार्टिकुलेट मैटर 2.5 (PM 2.5) का स्तर काफी ज्यादा रहा, जिसका प्रभाव कई सिगरेट पीने के बराबर है.
अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ बर्कले, कैलिफोर्निया में भौतिकी के प्रोफेसर रिचर्ड मुलर के विश्लेषण के मुताबिक, एक दिन में 22 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर PM 2.5 की मात्रा एक सिगरेट पीने के बराबर है.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के आधार पर DIU ने पाया कि दिल्ली में 20 अक्टूबर से 21 नवंबर (5 PM) के बीच सभी निगरानी स्टेशनों पर PM 2.5 का स्तर प्रतिदिन औसतन 227 रहा जो कि 10 सिगरेट पीने के बराबर है.
सबसे खतरनाक दिन कौन सा रहा?
हर दिन के हिसाब से अगर 24 घंटे का PM 2.5 का स्तर देखें तो दिवाली के आसपास के दिन काफी खतरनाक रहे. इस साल 27 अक्टूबर को दिवाली मनाई गई और ठीक उसी समय PM 2.5 का स्तर उल्लेखनीय ढंग से बढ़ गया. 27 अक्टूबर को दिल्ली की हवा में 9 सिगरेट के बराबर जहर था, जो कि अगले दिन बढ़कर 14 सिगरेट के बराबर हो गया.
दिवाली के सात दिन बाद तक लगातार हवा की गुणवत्ता काफी जहरीली रही. दिवाली के बाद वाले हफ्ते में दिल्ली के लोग प्रति दिन अपनी सांसों के साथ 16 सिगरेट के बराबर जहर खींच रहे थे. 3 नवंबर को हालत और बदतर हुई जब PM 2.5 का स्तर 24 घंटे के लिए औसतन 582 पहुंच गया, जो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के 25 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर के मानक से 23 गुना ज्यादा है. 3 नवंबर को दिल्ली के नागरिकों की सांसों के साथ औसतन 26 सिगरेट पीने के बराबर जहर उनके फेफड़े में भर गया.
स्वास्थ्य पर असर
इससे पहले इंडिया टुडे की DIU की ओर से प्रकाशित एक लेख में सामने आया था कि दिल्ली की जहरीली हवा के कारण यहां के लोगों की उम्र करीब 17 साल तक कम होने की संभावना है.
इसके लिए DIU ने दिल्ली की हवा में मौजूद PM2.5 के स्तर की एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स (AQIL) के साथ तुलना की. प्रदूषण की वजह से न सिर्फ दिल्ली वासियों की उम्र कम हो रही है, बल्कि प्रदूषणजनित रोगों के चलते मृत्यु दर में भी बढ़ोत्तरी देखने को मिली है. भारत में वायु प्रदूषण के चलते मृत्यु दर 1,00,000 लोगों पर 134 है, जबकि वैश्विक औसत 1,00,000 पर 64 है.
राज्यसभा में पहुंचा प्रदूषण का मुद्दा
पिछले हफ्ते पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी ऑन अर्बन डेवलपमेंट की ओर से बुलाई गई मीटिंग में न पहुंचने पर कई नेताओं को सोशल मीडिया पर ट्रोल किया गया. सोशल मीडिया पर दिन भर इन नेताओं की खबर ली गई.
इसके अलावा सोमवार को संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में भी दिल्ली के वायु प्रदूषण के मसले पर चर्चा हुई. पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सदन में कहा कि दिल्ली के प्रदूषण से निपटने के लिए कई उपायों को सूचीबद्ध किया है, इसके अलावा आपात स्तर पर शहरी जंगल विकसित करने की आवश्यकता है.