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ट्रोल्स के ल‍िए चेतन भगत ने बताई पपीता थ्योरी, बोले-इस्तेमाल करो, खुश रहोगे

चेतन भगत बकवास राइटर है. मुझे पढ़ना नहीं है. ऐसा लोग बोलते हैं? क्या ऐसी बातों से आप परेशान होते हैं? इससे आपको गुस्सा आता है. चेतन भगत ने इसपर कहा कि हां, लोग उन्हें रोज ऐसा बोलते हैं. लेकिन मेरी थ्योरी है, आपको भी बता देता हूं. मेरी पपीता थ्योरी है लाइफ में.

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चेतन भगत (क्रेडिट: अरुण ठाकुर / इंडिया टुडे)
चेतन भगत (क्रेडिट: अरुण ठाकुर / इंडिया टुडे)

14 सितंबर को इंडिया टुडे माइंड रॉक्स 2024 का शानदार आगाज बेंगलुरू में हुआ. इस बड़े इवेंट में चेतन भगत ने शिरकत की. भारत के सबसे फेमस और सफल लेखकों में से एक चेतन ने अपने करियर, किताबों और जिंदगी के बारे में बातचीत की. इस दौरान लेखक ने बताया कि वो कैसे सोशल मीडिया ट्रोल्स को हैंडल करते हैं. आइए बताएं उन्होंने क्या कहा.

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कैसे ट्रोल्स को हैंडल करते हैं चेतन भगत?

चेतन भगत बकवास राइटर है. मुझे पढ़ना नहीं है. ऐसा लोग बोलते हैं? क्या ऐसी बातों से आप परेशान होते हैं? इससे आपको गुस्सा आता है. चेतन भगत ने इसपर कहा कि हां, लोग उन्हें रोज ऐसा बोलते हैं. अगर आप 15 साल पहले मुझसे ये बात पूछते कि तो मैं डिफेन्सिव हो जाता और कहता हां ऐसे क्यों, मेरी इंग्लिश अच्छी है. लेकिन अब मेरी थ्योरी है, आपको भी बता देता हूं. मेरी पपीता थ्योरी है लाइफ में. ये वो फल है, कि देखो केले सबको पसंद है, आम सबको पसंद है लेकिन पपीता ऐसी चीज है जो कई लोगों को अच्छा लगता है और कुछ को नहीं लगता है. इसमें पपीते की तो गलती नहीं है. अगर कोई पपीते को कह दे कि मुझे पपीते से प्यार है तो वो क्या करे. मुझे इससे नफरत है तो पपीता कोई केला थोड़ा न बन जाएगा. वो केला बनने की कोशिश करेगा और खराब हो जाएगा. तो मैं पपीता हूं. तुम्हें पसंद है ठीक है, नहीं है, तो कुछ और कहा लो. हम सबको लाइफ में पपीता थ्योरी अप्लाई करनी चाहिए. सबलोग आपको पसंद नहीं करेंगे. ये ठीक है, सबको क्यों पसंद आना है तुम्हें? मुझे लगता है हमें इससे खुश रहना चाहिए नहीं तो सारे के सारे केले बनकर रह जाओगे. तो क्या फायदा होगा. 

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सोशल मीडिया पर बोले चेतन

हम सोशल मीडिया के जमाने रह रहे हैं. ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम यहां तक कि स्नैपचैट. सबकुछ बाइट साइज है. बुक साइज कम से कम 200 पेज का होता है. तो आपके कुछ दिन किताब पढ़ने में लग जाते हैं. शायद किताबें भी अब छोटी लिखी जा रही हैं. क्या आपको सोशल मीडिया की वजह से अडजस्ट करने की जरूरत पड़ती है. इसपर चेतन भगत ने कहा कि हां, मुझे कुछ हद तक ये करना पड़ता है. मेरी नई किताबें छोटी हैं. किताबों का अपना चार्म है, जो इंस्टाग्राम रील्स में नहीं है. मुझे पब्लिशिंग इंडस्ट्री और रीडर्स से एक शिकायत है. कोई किताब उठता है न तो उसे जज करते हैं. अरे तू चेतन भगत पढ़ता है, तू सलमान रुशदी नहीं पढ़ रहा. क्लास सिस्टम बना रहे हैं ऐसे लोग.

सारा दिन बैठकर रील्स देखते रहो. उसमें कोई नहीं कहता कुछ. जैसे ही कोई किताब उठाता है उसे कहते हैं कि अरे यार ये तो ये पढ़ रहा है इससे हाई लिटरेचर पढ़ा करो. वो क्या करता है वो किताब बंद करता और रील्स पर वापस चला जाता है. तो दोस्तों पढ़ना जरूरी है. किताबों को पढ़ना, किताबों को पढ़ना होता है. लोग कहते हैं कि हम वीडियो देखते हैं बुक नहीं पड़ते. ये पता है कैसी बात हुई कि गाड़ी है तो पांव क्यों चलाने हैं. पैदल नहीं चलता मैं, मैं तो गाड़ी में ही जाता हूं. तुम लोग बेवकूफ हो क्या? आपको अपना दिमाग लगाना होगा. और किताब पढ़ने से ये होगा. जो किताब पढ़ता है उसे पढ़ा-लिखा बोलते हैं. किसी को बोला आजतक अच्छा रील देखने वाला आदमी.

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तुम्हारे दिमाग का दही हो रहा है. तुम्हारे दिमाग का भर्ता बना रहा है वो. मार्क जुकरबर्ग भैया करोड़ों कमा रहे हैं. तुम्हें नूडल्स बेच-बेचकर इंस्टाग्राम पर. टी-शर्ट बेच-बेचकर. और तुम्हें लग रहा है कि मैं बहुत कूल हूं मैं किताबें नहीं पड़ता रील्स देखता हूं. तुम प्रोडक्ट हो. तुम्हारा इस्तेमाल हो रहा है. रीडिंग वापस आ रही है. जैसे लाइव इवेंट्स वापस आ रहे हैं. देखो कैसे कॉन्सर्ट हो रहे हैं और उसके बारे में पता चलता है और फिर मिनटों में 10 हजारों टिकट बिक जाते हैं. लोगों को समझ आ रहा है कि जो वीडियो की दुनिया है ये फेक है और ये आपके दिमाग के लिए कुछ नहीं करती है. ये आपको रिलैक्स करने के लिए कुछ नहीं करती है. आप बैठे हो तो किताब पढ़ो. 

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