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'परीक्षाओं की पवित्रता हर कीमत पर बनी रहनी चाहिए', पेपर लीक के मुद्दे पर बोले कर्नाटक के शिक्षा मंत्री मधु बंगारप्पा

कर्नाटक के प्राइमरी एंड सेकेंडरी एजुकेशन मिनिस्टर मधु बंगारप्पा ने बताया कि सरकारी स्कूलों को लेकर कुछ परेशानियां अतीत में जरूर रही हैं. लेकिन हमने काफी हद तक इन परेशाानियों को दूर किया है और शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए काफी काम किया है.

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माइंड रॉक्स इवेंट में कर्नाटक के शिक्षा मंत्री मधु बंगारप्पा. (Photo: Aajtak)
माइंड रॉक्स इवेंट में कर्नाटक के शिक्षा मंत्री मधु बंगारप्पा. (Photo: Aajtak)

इंडिया टुडे के 'माइंड रॉक्स' इवेंट में कर्नाटक के प्राइमरी एंड सेकेंडरी एजुकेशन मिनिस्टर और शिवमोगा के सोराबा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक मधु बंगारप्पा ने शिरकत की. वह कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री में बतौर प्रोड्यूसर, डिस्ट्रीब्यूटर और एक्टर भी सक्रिय हैं. मॉडरेटर नागार्जुन संग बातचीत में उन्होंने राजनीति से लेकर सिनेमा तक हर मुद्दे पर अपने विचार रखे और सवालों के जवाब दिए. मधु बंगारप्पा ने ऍल पचिनो (Al Pacino) और कमल हासन (Kamal Haasan) को अपना फेवरेट एक्टर बताया. 

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कन्नड़ सिनेमा से अपने पसंदीदा अभिनेता और अभिनेत्री के बारे में पूछे जाने पर बंगारप्पा ने कहा कि वह खुद इसी फिल्म इंडस्ट्री से आते हैं, इसलिए सभी एक्टर और एक्ट्रेस उनके फेवरेट हैं. बतौर शिक्षा मंत्री अपनी महत्वपूर्ण उपलब्धियों के बारे में पूछे जाने पर मधु बंगारप्पा ने कहा, 'हमारे राज्य में सरकारी शिक्षण संस्थानों में जितना स्टाफ काम करता है, उसका 35 से 40 परसेंट मेरे डिपार्टमेंट से आते हैं. पूरे राज्य में प्राइमरी और सेकेंडरी एजुकेशन के लिए करीब 46000 सरकारी स्कूल हैं और 7 से 8 हजार के करीब एडेड स्कूल हैं. इन सभी स्कूलों में काम करने वाले शिक्षकों और कर्मचारियों की सैलरी का जिम्मा मेरे डिपार्टमेंट के पास है.'

शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए काफी काम किया

मधु बंगारप्पा ने बताया कि इन स्कूलों में करीब 57 लाख छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं. वहीं अगर प्राइवेट स्कूलों और 12वीं तक के छात्र-छात्राओं को जोड़ दें तो मेरे विभाग के अंतर्गत करीब 1 करोड़ 8 लाख स्टूडेंट्स आते हैं. हां सरकारी स्कूलों को लेकर कुछ परेशानियां अतीत में जरूर रही हैं. लेकिन हमने काफी हद तक इन परेशाानियों को दूर किया है और शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए काफी काम किया है.' 

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यह पूछे जाने पर कि कई बार ऐसी तस्वीरें आती हैं जिनमें सरकारी स्कूलों की बिल्डिंग टूटी दिखती हैं, टॉयलेट में पानी नहीं रहता और कई तरह की दिक्कतें दिखाई देती हैं. इस पर मधु बंगारप्पा ने कहा, 'मैं कहना चाहता हूं कि राज्य में जब हजारों की संख्या में स्कूल भवन हैं, मीडिया किसी एक या दो स्कूल में जाकर वहां के हालात दिखाती है. मैं यह नहीं कह रहा कि ये एक या दो स्कूल जरूरी नहीं हैं. लेकिन 46000 की संख्या में से कुछ स्कूल हो सकते हैं जहां ऐसी दिक्कतें हों. मुझे अभी मंत्री के रूप में कार्यभार संभाले हुए 15 महीने ही हुए हैं. इन 15 महीनों में भी हमने बहुत बड़े स्तर पर कदम उठाए हैं.'

शिक्षा बजट 33000 करोड़ से 47000 करोड़ पहुंचा है

मधु बंगारप्पा ने कहा, 'मेरे मंत्री बनने से पहले विभाग का बजट 33000 करोड़ रुपये था. अंतरिम बजट में 37000 करोड़ का बजट हमें मिला, जो अब 44000 करोड़ पहुंच गया है. हमने अपने स्टाफ को 7वें वेतन आयोग का लाभ भी दिया है. अगर यह खर्च भी जोड़ लें तो प्राइमरी एंड सेकेंडरी एजुकेशन डिपार्टमेंट का बजट 50000 करोड़ रुपये है. इंफ्रास्ट्रक्चर बिल्डिंग के लिए आपको पैसे खर्च करने पड़ते हैं, यह फ्री में नहीं होता. राज्य सरकार से मिले बजट के अलावा मेरी कोशिश सीएसआर फंड के जरिये भी विकास कराने की है. बहुत लोग सपोर्ट भी कर रहे हैं. कर्नाटक पब्लिक स्कूल काफी लोकप्रिय है. हमारे मुख्यमंत्री ने अब यह नियम बनाया है कि सीएसआर फंड का ज्यादातर हिस्सा शिक्षा के क्षेत्र में खर्च होगा.'

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मधु बंगारप्पा ने कहा कि एक साल में हम 2000 से 2500 करोड़ रुपये तक का सीएसआर फंड इकट्ठा करने का प्रयास कर रहे हैं. हम कर्नाटक पब्लिक स्कूलों की संख्या को वर्तमान 300 से बढ़ाकर 800 ले जाएंगे. अभी एक स्कूल में 1000 से 1200 के आसपास बच्चे पढ़ते हैं. पढ़ाई और सुविधा के मामले में केपीएस किसी भी प्राइवेट स्कूल से कम नहीं है. हमारा ध्यान क्वालिटी, इक्वलिटी और एक्सेसिबिलिटी पर है. राजनीति के बारे में बात करते हुए बंगारप्पा ने कहा कि मैं चाहता हूं ज्यादा से ज्यादा युवा पॉलिटिक्स में आएं. यह पूछे जाने पर कि क्या आप पूर्व मुख्यमंत्री (सारेकोप्पा बंगारप्पा) के बेटे हैं, इसलिए राजनीति में आपके लिए आना आसान था?

परीक्षाओं की पवित्रता हर कीमत पर बनी रहनी चाहिए

मधु बंगरप्पा ने कहा, 'पूर्व सीएम का बेटा होने के नाते राजनीति में आना मेरे लिए जरूर आसान रहा, लेकिन यहां सर्वाइव करना मुश्किल है. राजनीतिक परिवार से होने के नाते मैं पॉलिटिक्स में आसानी से आ जरूर सकता हूं, लेकिन सफल अपने दम पर ही होना पड़ेगा. मैं 9 चुनाव लड़ा हूं, 7 में हार मिली है और सिर्फ दो बार जीता हूं.' पेपर लीक के सवाल पर उन्होंने कहा, 'परीक्षाओं की पवित्रता हर कीमत पर बनाई रखी जानी चाहिए. सबसे अच्छा तरीका है कि परीक्षा कराने वाली एजेंसियों के काम में मंत्रियों को दखलंदाजी नहीं करनी चाहिए.'

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ऐसा क्या किया जाए कि बच्चों को पढ़ाई बोझ लगने की बजाय उन्हें इसमें मजा आए? इस सवाल के जवाब में मधु बंगरप्पा ने कहा, 'बच्चों के लिए स्कूल बैग ही बड़ा बोझ होता है. हमने टेक्स्ट बुक्स को दो पार्ट में डिवाइड कर दिया है. साथ ही किताबों को भी हल्का बनाया है. साथ ही हमने महीने के हर तीसरे शनिवार को बैगलेस डे घोषित किया है. इस दिन बच्चों को बिना बैग के स्कूल आना होता है.' नेशनल एजुकेशन पॉलिसी लागू करने की बजाय कर्नाटक सरकार ने कहा है कि हम स्टेट एजुकेशन पॉलिसी बनाएंगे. आखिर ऐसा क्यों? इस सवाल के जवाब में मधु बंगारप्पा ने कहा, 'कुछ मामलों में शिक्षा का भगवाकरण हो रहा है. इसलिए हमने फैसला किया कि हम ऐसा पाठ्यक्रम लागू करेंगे जिसमें कर्नाटक के बारे में बच्चों को ज्यादा से ज्यादा जानने को मिले.'

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