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पंचायत आजतक 2014

पंचायत आजतक में मनीष तिवारी, राहुल मेहरा और सुशील मोदी में तकरार

पंचायत आजतक में मनीष तिवारी, राहुल मेहरा और सुशील मोदी में तकरार
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पंचायत आज तक' के पांचवे सेशन का विषय था '60 साल, 60 महीने, 60 दिन'. जाहिर है, इस समयावधि का मतलब तीन अलग-अलग पार्टियों से है. बीजेपी की ओर से थे बिहार की इकाई के शीर्ष नेता सुशील मोदी, कांग्रेस से थे केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी और आम आदमी पार्टी का मोर्चा युवा प्रवक्ता राहुल मेहरा ने संभाल रखा था.
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बीजेपी के पीएम उम्मीदवार कहते हैं कि कांग्रेस को इस देश ने 60 साल दिए, उन्हें बस 60 महीने का वक्त दिया जाए. इस पर 'पंचायत आज तक' के पांचवे सेशन (60 साल, 60 महीने, 60 दिन) में आम आदमी पार्टी के नेता राहुल मेहरा ने कहा कि उनकी पार्टी की सरकार पर हमलों की बौछार करने से पहले कम से कम 60 दिन तक तो धैर्य रखा जाए.
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मनीष तिवारी से पूछा गया कि मनीष जी, मोदी दावा कर रहे हैं और उन्हें सुनने के लिए लोग इकट्ठा हो रहे हैं. क्या आपको वाकई लगता है कि जो वह गुजरात में कर गए और अब देश में करने का दावा कर रहे हैं, वह सच होगा? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि पहली बात, सुशील मोदी जी हम लोगों से छात्र और युवा आंदोलन में वरिष्ठ रहे हैं. बात काटते अच्छा नहीं लगता. सही कहा उन्होंने. इन्होंने 6 साल सरकार चलाई और ऐसी चलाई कि अगले 10 साल मौका नहीं मिला.
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राहुल मेहरा से सवाल किया गया कि केजरीवाल सरकार ने 60 दिन मांगे थे. आधा वक्त हो गया. कुछ भी नहीं कर रहे. मेहरा ने कहा, मीडिया ने तो हमें 60 मिनट भी नहीं दिए. गाज गिरानी शुरू कर दी. मगर हम स्वागत करते हैं. जो पुरानी राजनीति थी कि लोगों का यकीन उठ चुका था. हमने लोगों का थोड़ा बहुत विश्वास जगाया है. हम तो कह रहे हैं कि पांच साल की सरकार है. हमें बस चार महीने दे दीजिए.
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सुशील मोदी से सवाल किया गया कि मोदी हर जगह कहते हैं, जैसे गुजरात में किया. देश भर में करूंगा. केंद्र में आपकी अभी तक अधिकतम 182 सीटें आई हैं. संभावना है कि सरकार बनाने के लिए आपको गठबंधन पर निर्भर रहना होगा. कैसे करेंगे? सुशील मोदी ने कहा, मसला अहमदाबाद या दिल्ली का नहीं है. अगर नरेंद्र मोदी 180 पर रुक गए तो हम बेहतर सरकार नहीं दे पाएंगे. खुद मोदी भी ये बात मानते हैं. इसलिए हमने मिशन 272 लॉन्च किया. कई साझेदारों से बेहतर सरकार चलाना मुश्किल होता है.
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सुशील मोदी ने कहा कि  मनमोहन सरकार तो महाकमजोर रही. 200 के आसपास में भी अच्छी सरकार चल सकती है. ये हमने साबित किया. मनमोहन सरकार के लिए हम मनमोहन को दोषी नहीं मानते. सोनिया गांधी को दोषी मानते हैं. पावर किसी के पास और काम किसी को सौंप दिया. मनमोहन के पास निर्णय लेने की शक्ति नहीं थी.
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मेहरा ने कहा कि मनीष जी आप तो वरिष्ठ मंत्री हैं. हम नौसिखिए हैं. हमें काम तो करने दीजिए. जुम्मा जुम्मा 45 दिन हुए हैं. नोट करिए मनीष जी. 20 प्वाइंट बता रहा हूं. अगर आप कहते हैं कि आम आदमी से जुड़ना अराजकता है, तो यही सही.
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मेहरा ने कहा कि बीजेपी की मंशा साफ आ रही है. पांच उदाहरण, कैसे बीजेपी कांग्रेस भाई-भाई हैं. ये दोनों प्रो करप्शन हैं. 45 साल से जनलोकपाल लिए बैठे हैं. सामने मुखौटे हैं, पीछे इकट्ठे हैं. दूसरा, इनके सारे के सारे नेता क्रिमिनलाइजेशन को फेवर करते हैं. वुमन रिजर्वेशन के मुद्दे पर ये लोग कुंडली मारे बैठे हैं.
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मनीष तिवारी ने कहा कि कारगिल, लाहौर, कंधार. सब इनके टाइम पर हुआ. जहां आप घोटालों की बात कर रहे हैं. अटल राज में माइग्रेशन घोटाले से लेकर पेट्रोल पंप आवंटन तक लंबी लिस्ट है. विपक्ष के आरोप बेबुनियाद हैं. यूपीए की सोनिया जी चेयरपर्सन हैं. उनकी एक राय है, जिसे सरकार गंभीरता से लेती है. मगर ये आरोप कि 10 साल में बैकसीट ड्राइविंग हुई है. गलत है. सुशील जी का दोष नहीं है. ये संघ और बीजेपी की कार्यप्रणाली होगी, जिसे वह समझते होंगे. ये इनकी अपनी समझ होगी. मगर कांग्रेस पर लगा इल्जाम बेबुनियाद है.
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मनीष तिवारी से सवाल पूछा गया कि आपको केजरीवाल की कथनी करनी में फर्क लगता है? मनीष ने कहा कि मैं इस बात में नहीं पड़ना चाहता. ये दिल्ली की जनता तय करेगी. आपके श्रोता ने 1984 के दंगे का अहम सवाल उठाया था. जब दिल्ली और देश के बाकी हिस्सों में जो हुआ, वह शर्मनाक और निंदनीय है. उसका एक इतिहास है. 1980-95 का जो दौर था. जिसमें लगभग तीस हजार लोग आतंकवाद की आग में जलकर भस्म हो गए. मेरे पिता सांसद थे. उन्हें 3 अप्रैल 1984 को चंडीगढ़ में गोली मार दी गई थी. शायद ही कोई परिवार हो, जो अछूता रह गया. बहुत मुश्किल से हमने वो जख्म भरे. हम ये नहीं कहते कि सजा नहीं होनी चाहिए. मगर एक वक्त है, जब आपको आगे बढ़ना होगा.
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