लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी और कांग्रेस की ओर से राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ गई हैं. पर इस बीच एक उभार बिहार से भी हो रहा है. जेडीयू नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तीसरे मोर्चे की छतरी खोल ली है और गैर-कांग्रेसी गैर-भाजपाई दलों को बुलावा दे रहे हैं.
इस देश में तीसरे मोर्चे की प्रासंगिकता कितनी है और इसकी धुरी क्या है, इस पर बात करने गुरुवार को 'पंचायत आज तक' कार्यक्रम में पहुंचे जेडीयू अध्यक्ष शरद यादव.
वही शरद यादव जिन्हें जयप्रकाश नारायण ने आंदोलन के दौरान पहला टिकट स्टूडेंट लीडर के तौर पर दिया था. उस दौरान वह जबलपुर में इंजीनियरिंग पढ़ रहे थे. 1974 में हलधर चुनाव निशान पर लड़े और जीते. फिर जेल भेजे गए. बाद में बेस्ट सांसद चुने गए और विडंबना यह कि आज उनकी मौजूदगी में उसी संसद में मिर्ची स्प्रे इस्तेमाल हुआ.
इसलिए 'तीसरे मोर्चे की धुरी' और मुख्य मोर्चों की खामियों पर बात करने से पहले वह आज की घटना पर भी बोले.
आज संसद में मिर्च का स्प्रे फेंका गया. इस पर आपकी प्रतिक्रिया?
शरद: देश के 66 साल के इतिहास में ऐसी कोई दूसरी घटना नहीं याद आती. आज जो हुआ, वह लोकशाही पर ऐसी चोट है. मैं प्रधानमंत्री जी के पास गया था. सब मंत्री आ गए थे. मैंने उनसे कहा. हम जब 11 सांसद निकाल सकते हैं. ये सर्वोच्च अदालत से भी बड़ी अदालत है. इन पर ऐसा एक्शन होना चाहिए.
आज बहस चली कि सिक्योरिटी के लोग क्या कर रहे थे. अजीब बात है. हर समय गुनाह की तरफ नहीं देखकर इधर उधर देखना तो बाद की बात है. मैं आपसे कहूं कि पार्लियामेंट का जो स्टाफ है, देश में वैसा कोई कर्मचारी नहीं. लेकिन मर्यादा का कोई विकल्प नहीं.
ऐसा देश छोड़कर गए हैं बाप दादे. बीमारी कदम-कदम पर है. धीरज से बनाना होगा. आज पीएम की कैबिनेट के सभी साथी थे. कमलनाथ जी बैठे हुए थे. मैं साफ साफ कह आया. गुनाह किसका खूब बहस करो. मगर जिस आदमी ने, जो बहुत पैसे वाला है. सांसद है. बहुत गर्मी है पैसे की. उनके इस तरह एक्ट करने पर बाहर के लोग आश्चर्य करते हैं. बीमार लोगों का विक्टिम पार्लियामेंट है.
आज माइक तोड़ा, चाकू निकाला गया. स्प्रे निकाला गया. कौन है जिम्मेदार?
शरद: ये जो बाहर फैला है कि चाकू हाथ में था. मैं वहीं खड़ा था. क्योंकि स्पीकर ऊपर खड़ी थीं. चाकू नहीं था. एक नई चीज निकली है, उनके लिए जिनकी त्रासदी होती है. उनके लिए निकला है पेपर स्प्रे. मैं खड़ा रहा काफी देर. सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. उसके चलते वहां भगदड़ मच गई. कई उम्रदराज लोग थे. उन पर ज्यादा असर कर गया.
आप गार्ड पर सवाल उठा रहे हैं. इन्हीं ने आतंकवादी हमलों के दौरान जान बचाई. मुद्दा दूसरा है. हम लोगों को बोलने का मौका नहीं दे रहे.
और ये जो मीडिया आया है. ऐसा तमाशा आया है. दिल्ली को देश मान रहा है. ये अजीब बात है. सबसे आसानी से आपको यहां खबर मिल रही है, तो यहीं की दिखा रहे हैं. यहां लोग उंगली कटाकर क्रांतिकारी बन रहे हैं. क्रांति तो पूरा समाज के बदलने की है.
आहट तो कल ही होने लगी थी. रेल बजट पूरा नहीं पढ़ा जा सका. किस मुंह से चुनाव में जा रहे हैं?
शरद: 16वां चुनाव हो रहा है. पांचवी लोकसभा से मैं भी लड़ रहा हूं. हर बार चुनाव के चलते ये सब होने लगे. विध्वंस होने लगे. ये सब पहले तो कभी नहीं हुआ. ये बात मैंने संसद में भी कई बार बोली है. जैसे अशक्त जानवर पसर जाता है. वैसे ही यूपीए पसरी हुई सरकार है.
आप बताइए वो चंद्रशेखर राव आमरण-अनशन पर बैठा था. पूरी संसद ने आम सहमति से कहा. तेलंगाना बनाओ. कितना वक्त था. इन्होंने चुनाव के वक्त तय किया. अब किया तो पार लगाने की भी दम दिखानी चाहिए. ये जिस आदमी ने स्प्रे किया. ये कांग्रेस का आदमी है. ये भारी पैसे वाला है. ऐसा मुझे बताया गया.
आपसे पीएम ने क्या कहा?
शरद: उन्होंने कहा कि मैं सब कुछ करूंगा, फिर मैं वहां चला आया. मैंने कहा भी कि रहने दो यहां. मनमोहन सिंह भले ही ताकतवर न हों. मगर पीएम की कुर्सी पर बैठे हैं. संविधान ने उन्हें ताकत दी है. अब कोई चारा नहीं है हमारे सामने. 70-80 दिन में तो चुनाव हो जाएगा. हमने कहा कि इस संसद में पास मत करो ये बिल. इन्होंने जिन एमपी को निकाला, वे अंदर बैठे हैं. पूरा आंध्र कितना खूबसूरत सूबा था. पूरी तरह से बेचैन हो गया.
आज तमाशा बना दिया है. कोई कुली के साथ खड़ा दिख रहा है. कोई चुस्की ले रहा है. लोकतंत्र सबसे ज्यादा इस देश के गरीब के लिए जरूरी है. डॉ. लोहिया ने कहा कि लोकशाही का मतलब वोट का राज, छोट का राज.
आप बताओ कि 47 के पहले हम लोग कहीं आ रहे थे. जब बीजेपी ने रास्ता बदल दिया, अटल जी के समय. हमने अपने विवादास्पद सवाल अलग किए. वाजपेयी ने जब हम हम अलग थे कहा. जॉर्ज साहब, हेगड़े साहब और नीतीश कुमार आए. 17 साल साथ रहा. अब वह कहते हैं कि हम हटे नहीं. अरे ये किसी तर्क से नहीं चलता समाज को एक साथ रखना. ये जमीर और आत्मा से चलता है.
आपने लोहिया का जिक्र किया. उनसे पूछा गया था कि पीएम ताकतवर है या प्रेसिडेंट, उन्होंने कहा था नेहरू जिस पद पर होंगे. वही पावरफुल है. विचारधारा खत्म हो रही है. व्यक्ति आगे आ रहा है. कांग्रेस में तो शुरू से ही एक ही बंबू पर तंबू टांगने की परंपरा रही है. बीजेपी में ये नया शुरू हुआ है. ये उनकी तासीर नहीं है.
आप बताइए न यहां प्रेजिडेंशियल इलेक्शन है. इतनी विसंगतियों के चलते लोकशाही ही यहां सबसे अच्छा विकल्प है.
चीजें ऐसी क्यों बंट गई, जहां आप यहां बैठे हैं. वह वहां खड़े हैं?
शरद: सुशील मोदी के साथ तो हमारा कोई विवाद ही नहीं हुआ. विवाद तो दिल्ली में हो गया. अब जब गंगोत्री में गड़बड़ हो गई, तो फिर नीचे कैसे ठीक हो. इस देश के लोकतंत्र में एक से एक दौर आएगा. कोई और रास्ता नहीं है, इसके सिवा. ये कहना कि सब गड़बड़ हैं. दागी नेताओं की गिनती है. अब आपको बताऊं 32 केस मेरे ऊपर हैं. कांग्रेस ने ज्यादातर केस लादे. अब अगर आप अत्याचारी सरकार के खिलाफ लड़ेंगे तो केस लगेंगे ही.
अभी एक नए-नए परिवर्तन की बात कर रहे हैं. बंद तो इन्होंने एक चूहा भी नहीं किया. आपने जो कही, सीधी बात है. 172 का जिक्र जरूर करिए. मगर संसद में बैठे अच्छे लोगों का भी जिक्र करिए. हर पार्टी में बहुत से अच्छे लोग हैं. जीवन भर से ईमानदार लोग. कम्युनिस्ट पार्टी में तो. मैं इतनी बार मंत्री रहा. कोई आज तक नहीं आया. गलत काम के लिए. ऐसे ऐसे काम किए मैंने जो कानून विरोधी थे. मगर कांग्रेस में कई इतने अच्छे लोग थे. एक अवस्थी जी थे. एजुकेशन मिनिस्टर थे. मेरे खिलाफ चुनाव भी लड़े. उनको इतना तंग हमने किया. आज कोई आदमी नहीं, जिसको हम तंग न करें, वो दुरुस्त न करे. सुबह भी आती है, अंधेरे के बाद. आप अंधेरा ही अंधेरा दिखा रहे हैं. आम आदमी पार्टी मर्यादा का मान नहीं रख रही. देखिए नॉर्थ ईस्ट के बच्चों के साथ क्या कर रहे हैं.
ये देश आल्हा ऊदल पढ़ता है. गप्प पढ़ता ओढ़ता-सोता है. इसे लोकतंत्र ही स्वस्थ कर सकता है.
और ये जो तीसरा मोर्चा बन रहा, इस पर...
शरद: हम फेल हुए हैं, मगर हमें सरकार बनाने में देर नहीं लगती. गरीबी जातियों के अनुसार नीचे आती है. पानी का गुण जाति का गुण है. प्रणव बाबू का हमने क्यों समर्थन किया. 2014 में मेंढक नहीं कुछ और तुलने जा रहा है.
आपने बिहार में दो सीएम दिए. यूपी में दिए. बुजुर्गों में आपका नाम आने वाला है. आप अभी से 2014 छोड़कर 2016 -17 के लिए थर्ड फोर्स की तैयारी क्यों नहीं करते. तब सुबह-रात का तर्क नहीं देना पड़ेगा.
शरद: आप जो कह रहे हैं, वह निश्चित तौर पर होगा. हम लोकतंत्र बचाएंगे. 2014 में आपने जो बताया. उसके आगे भी जो कोशिश होगी. हमने संघर्ष किया. जब इंदिरा जी ने छह साल की संसद की, तब हमने इस्तीफा दे दिया. ये दृश्य बार बार देखने पड़ेंगे. बुद्ध ने कहा है कि व्यक्ति-व्यक्ति नहीं बनेगा, जगत बनेगा.