1962 में चीन से युद्ध हारने के बाद रामधारी सिंह दिनकर की लिखी कविता पढ़कर आम आदमी पार्टी के नेता और कवि कुमार विश्वास ने हिन्दी पर बहस को एक नए मुकाम पर पहुंचाया और दिनकर के शब्दों में शांति की नीति का विरोध किया.
Kumar Vishwas reciting poem of Dinkar Jee