इंडिया टुडे कॉनक्लेव के सत्र 'Global Indian Icon: India ignores till the world applauds?' में लोगों ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ फ्रीडा पिंटो और इरफान खान का स्वागत किया.
फ्रीडा ने कहा कि मैं अपने इस सपने के लिए सपना देखती रहती हूं कि भारतीय वही पुराना घिसा-पिटा रोल करना कब बंद करेंगे.
फ्रीडा ने कहा कि मैंने लगातार बड़े सपने देखना जारी रखा है, बजाए इसके कि मैं किसी भारतीय की तरह कोई छोटा-मोटा रोल करके गुमनामी में खो जाऊं. हालांकि फ्रीडा ने आगे कहा कि भारत में अब मेरे पसंद की फिल्में बनाई जा रही हैं.
'स्लमडॉग मिलेनियर' से ख्याति अर्जित करने वाली इस अभिनेत्री ने कहा कि भारत में थियेटर को जो प्रशंसा मिलनी चाहिए, वह नहीं मिल रही है. उन्होंने आगे कहा कि मैं भी भारतीय फिल्में पसंद करती हूं, मैंने कभी भारतीय फिल्मों को बुरा नहीं कहा है.
फ्रीडा ने कहा कि करियर को लेकर लोगों के पास प्लान 'ए' और प्लान 'बी' होता है. मेरे पास कोई प्लान नहीं था, लेकिन मेरा पैशन तो सिर्फ एक्टिंग करना है. मेरे पास कोई विकल्प भी नहीं था. मैं सोचती थी कि 25 साल तक अगर कुछ नहीं कर पाती तो मैं एक 'वेडिंग प्लानर' बन जाती.
अपने सशक्त अभिनय के लिए चर्चित इरफान खान ने कहा कि मैं एक अच्छा वक्ता नहीं हूं. मेरी बातों को समझने के लिए आपको बहुत मशक्कत करनी पड़ेगी. भारत और यहां की जीवनशैली के बारे में इरफान ने कहा कि हमारा देश बहुत ही उदार है.
इरफान ने कहा कि मैं जिस तरीके का काम चाहता हूं भारत में वही सबसे बड़ी समस्या है. जब तक मेरी फिल्में पैसा नहीं कमातीं, तब तक वह सिवाए विदेशों के और कहीं नहीं चलती हैं. लेकिन अब अंतर दिखने लगा है, मार्केंटिंग के बल पर अब मेरी फिल्में पैसा कमाने लगी हैं. इरफान ने कहा कि मैं अपने रास्ते पर चलना चाहता हूं और जब कभी भी आप अपने मन-मुताबिक रास्ते पर चलेंगे, आपको दिक्कत ही आएगी.