इंडिया टुडे कॉनक्लेव के दूसरे दिन सेशन 'गुरु कूल- इज एंसिएंट विजडम इन सिंक विद मॉडर्न लिविंग?' में तीन दिग्गजों ने चर्चा की. मतलब आधुनिक जीवन शैली में प्राचीन ज्ञान के साथ कैसे मिलन संभव है? है या नहीं.
बाएं से: ऑथर और फाउंडेशन ऑफ एचएच द दलाई लाम एंड पब्लिक सर्विस ब्रॉडकास्टिंग ट्रस्ट के फाउडिंग ट्रस्टी राजीव मेहरोत्रा, आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर, दिल्ली के आर्कबिशप विंसेंट कॉन्सेसाओ और राजयोग टीचर ब्रह्मकुमार शिवानी ने इस सेशन में भाग लिया.
इस सेशन के मंथन में यह निकलकर आया कि आप खुश्ा रहें, बाकी सब खुद से ठीक हो जाएगा.
श्री श्री रविशंकर ने कहा कि आत्मा के संबंध में विचार रखे. श्री श्री रविशंकर ने कहा कि आजादी समय से पर है, यह गंगा के पवित्र पानी की तरह है. यह पुरानी होने के बजाय हमेशा ताजा रहती है.
आर्कबिशप ने बताया कि किस तरह से धर्म की भाषा लगातार विकसित हो रही है.
आर्कबिशप ने कहा कि हिंसा का जवाब प्यार से दिया जाना चाहिए. अपने पड़ोसी से प्यार करें, चाहे उनसे कितने भी मतभेद हों.
इंडिया टुडे कॉनक्लेव के दूसरे दिन सेशन 'गुरु कूल- इज एंसिएंट विजडम इन सिंक विद मॉडर्न लिविंग?' में बोलते हुए आर्कबिशप विंसेंट कॉन्सेसाओ
कॉनक्लेव में बोलते हुए सिस्टर शिवानी ने ज्ञान और विभिन्न फिलॉस्फीज के बारे में चर्चा की.
सिस्टर शिवानी ने कहा कि जो भी कोई बनाता है या जिस भी चीज को कोई विकीर्ण करता है, वह उसके पास लौट कर आ जाता है.
इंडिया टुडे कॉनक्लेव के दूसरे दिन सेशन 'गुरु कूल- इज एंसिएंट विजडम इन सिंक विद मॉडर्न लिविंग?' में बोलते हुए ब्रह्मकुमारी सिस्टर शिवानी.