इंडिया टुडे कॉनक्लेव के 12वें साल के पहले वक्ता के रूप में पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन के नाम से चर्चित डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा कि लोकतंत्र के लिए सबसे जरूरी और अपरिहार्य है कि देश के नागरिकों को हमेशा सशक्त किया जाता रहे.
इसके पहले सत्र का विषय था, 'Reinventing Democracy: The Youth Experiment'. इस विषय पर बोलते हुए कलाम ने कहा कि हमलोग मिलकर लोकतंत्र को और बेहतर बनाएंगे.
उन्होंने कहा कि बरगद के उस पेड़ की शक्ति उन सभी बीजों की शक्ति के बराबर है जो उस पेड़ के साथ हैं. और लोकतंत्र भी उस बरगद के पेड़ की तरह है. उन्होंने आगे कहा कि लोकतंत्र में एक सशक्त व्यक्ति ही हमेशा आगे बढ़ता है.
उन्होंने आगे कहा कि लोकतंत्र में एक सशक्त व्यक्ति ही हमेशा आगे बढ़ता है.
भारत रत्न से नवाजे जा चुके कलाम ने कहा कि इस देश के हर नागरिक को सम्मान के साथ जीने का अधिकार है, वास्तव में यही लोकतंत्र का मूल मंत्र है. यही हमारे संविधान की धुरी है.
कलाम ने कहा, लोकतंत्र देश के हर नागरिक को उसके अपने शक्ति के हिसाब से अवसर प्रदान करता है.
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, भारतीय लोकतंत्र में कई मुश्किले हैं लेकिन इसे अवसर के रूप में देखा जाना चाहिए. हमारा लोकतंत्र जिस तरीके से मुश्किलों को संभालता है वह पूरे मानवता के लिए सीख है.
वर्तमान नेताओं को सीख देते हुए कलाम ने कहा कि राजनेताओं को अपने पार्टी के लिए 30 फीसदी और विकास के लिए 70 फीसदी समय देना चाहिए लेकिन भारत में इसका ठीक उलट देखने को मिलता है.
उन्होंने कहा कि राष्ट्र हमेशा से राजनीतिक तंत्र से बड़ा होता है.
उन्होंने कहा कि राष्ट्र हमेशा से राजनीतिक तंत्र से बड़ा होता है. सच्चा लीडर वही होता है जो सफलता तो राष्ट्र के नाम कर देता है लेकिन असफलता को अपने माथे कर लेता है.
अपने संबोधन के अंत में कलाम ने सभी को अपना ईमेल आईडी दिया और कहा कि अपने सवाल मुझे लिखते हुए हिचके नहीं. मुझे इनका जवाब देते हुए ज्यादा खुशी होगी...
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