पंजाब में जन्में शतायु मैराथन धावक फौजा सिंह लंदन में ओलंपिक मशाल रिले के दौरान आकर्षण का केंद्र रहे. इस दौरान उनके अलावा ओलंपिक पदक विजेताओं और जानी मानी हस्तियों ने ओलंपिक मशाल को थामा.
सफेद पोशाक और सफेद पगड़ी पहने फौजा सिंह ने जब मशाल थामी जो उनके सैकड़ों प्रशंसकों ने उनका हौसला बढ़ाया जिसमें उनकी तस्वीर वाली पीली टीशर्ट पहले सिख समुदाय के लोग भी शामिल थे.
वर्ष 1911 में जन्में 101 बरस के फौजा सिंह ने खुद को व्यस्त रखने के लिए 86 बरस की उम्र में दौड़ना शुरू किया था.
फौजा सिंह ने इसके बाद से अपने आयु वर्ग के लोगों के बीच कई रिकॉर्ड बनाए. वह छह बार लंदन मैराथन, दो बार कनाडा मैराथन और एक बार न्यूयार्क मैराथन में दौड़े.
उनकी उपलब्धियों से रोमांचित उनके प्रशंसकों और दर्शकों ने रिले में आज उनके प्रतिनिधित्व को ‘ऐतिहासिक लम्हा’ करार दिया.
आठ साल पहले एथेंस में भी ओलंपिक मशाल थामने वाले फौजा सिंह अब 2016 ओलंपिक से पहले भी मशाल थामना चाहते हैं जब वह 105 बरस के होंगे.
फौजा सिंह के प्रयासों का जश्न मनाने के लिए सिख समुदाय के सैकड़ों लोगों ने मशाल रिले के रूट के दौरान 16 स्थानों पर लंगर का आयोजन भी किया.
ग्रीनविच से वैलथेम फारेस्ट की यात्रा के दौरान कई ओलंपियन ने मशाल को थामा जिसमें नाडिया कोमानेची भी शामिल थी. इसके अलावा विभिन्न क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने वाले भारतीय मूल के कौशाली त्रिवेदी (23), नताशा सिन्हा (15), प्रिया राजगोर (20) और दृष्टि शाह (16) को भी रिले में शामिल होने का मौका मिला.
रिले के दौरान 143 मशाल धावकों ने मशाल को थामा जिसमें फौजा सिंह सबसे अधिक उम्र के थे. सबसे कम उम्र के धावक 12 वर्षीय चेस्टर चैम्बर्स थे.
खेलों के उलटी गिनती के तहत ओलंपिक मशाल रिले के सात दिवसीय लंदन दौरे का पहला दिन था.
रिले के दौरान मौसम साफ रहा और धूप छाई रही जिससे ओलंपिक के दौरान मौसम साफ रहने की उम्मीद भी बढ़ गई है.