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हाईकोर्ट ने किंग्स इलेवन का आईपीएल करार रद्द करने पर रोक लगाई

बंबई उच्च न्यायालय ने किंग्स इलेवन पंजाब को राहत देते हुए क्रिकेट बोर्ड के इस आईपीएल फ्रेंचाइजी का करार रद्द करने पर रोक लगा दी.

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बंबई उच्च न्यायालय ने किंग्स इलेवन पंजाब को राहत देते हुए क्रिकेट बोर्ड के इस आईपीएल फ्रेंचाइजी का करार रद्द करने पर रोक लगा दी.

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न्यायमूर्ति एसजे वजीफदार ने कहा कि दस्तावेजों को देखते हुए किंग्स इलेवन का दावा मजबूत लगता है. यह विवाद अब नये पंचाट के पास जाएगा, क्योंकि पहले पंचाट की भूमिका निभा रहे बीएन श्रीकृष्णा ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था. किंग्स इलेवन हालांकि जनवरी में होने वाली खिलाड़ियों की नीलामी में हिस्सा ले पाएगा. किंग्स इलेवन को हालांकि बैंक गारंटी देने होगी, जिससे कि पंचाट का फैसला किंग्स इलेवन के खिलाफ जाने पर बीसीसीआई और फ्रेंचाइजी को होने वाले संभावित नुकसान की भरपाई हो सके.

न्यायमूर्ति वजीफदार ने साथ ही कहा कि किंग्स इलेवन को खिलाड़ियों के आईपीएल के पिछले सत्र के लंबित वेतन का भी भुगतान करना होगा. उन्होंने कहा, ‘‘यह राष्ट्रीय प्रतिष्ठा का सवाल है.’’ गौरतलब है कि बीसीसीआई और राजस्थान रायल्स के बीच विवाद में पंचाट की भूमिका निभाने वाले न्यायमूर्ति श्रीकृष्णा ने भी प्रथम दृष्टया रायल्स का करार रद्द करने को गैरकानूनी बताया था.{mospagebreak}

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अदालत ने किंग्स इलेवन के वकील दौरिस खम्बाटा के इस बयान को भी रिकार्ड किया कि अदालत या पंचाट की स्वीकृति के बिना मालिकों के शेयरधारक पैटर्न में बदलाव नहीं होगा और न ही शेयर बेचे जाएंगे. टीम के मालिकों में अभिनेत्री प्रीति जिंटा और उद्योगपति नेस वाडिया शामिल हैं. करार रद्द करने के फैसले का बचाव करते हुए बीसीसीआई ने कहा था कि क्रिकेट बोर्ड की सहमति के बिना किंग्स इलेवन का स्वामित्व पैटर्न बदला गया है तो करार के अहम नियम का उल्लंघन है.

बोर्ड ने किंग्स इलेवन को निर्देश दिया है कि वह नीलामी में चुने जाने वाले खिलाड़ियों के लिए एक करोड़ 80 लाख डालर और बीसीसीआई के लिए 35 लाख डालर की बैंक गारंटी एक महीने के अंदर जमा कराये. बीसीसीआई यह गारंटी चाहता था, क्योंकि उसे डर है कि फ्रेंचाइजी के रूप में किंग्स इलेवन को बदलने और नयी नीलामी नहीं करा पाने पर उसे राजस्व का नुकसान होगा. किंग्स इलेवन पुराने खिलाड़ियों को टीम के साथ बरकरार रखने के लिए आज की समय-सीमा को भी बढ़वाना चाहता था, लेकिन अदालत ने उसकी इस याचिका पर फैसला देने से इनकार कर दिया.

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