लोकपाल विधेयक के मुद्दे पर गठित मसौदा समिति में पिता-पुत्र शांति भूषण और प्रशांत भूषण को शामिल करने संबंधी योगगुरु बाबा रामदेव की आलोचना को गांधीवादी विचारक अन्ना हज़ारे ने खारिज कर नामित सदस्यों को बदलने की संभावना से इनकार कर दिया और कहा कि उनका ध्यान प्रभावी भ्रष्टाचार निरोधी उपाय करने पर केंद्रित है.
बाबा रामदेव की आलोचनाओं को खारिज करते हुए हज़ारे ने कहा कि वह योगगुरु से बातचीत करेंगे क्योंकि इस समय भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में देश को एकसाथ आगे ले जाना महत्वपूर्ण है.
समिति में पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी को क्यों शामिल नहीं किया गया, इस पर 73 वर्षीय गांधीवादी कार्यकर्ता ने कहा कि मैं बाबा रामदेव से अनुरोध करूंगा कि वे इस तरह से विचार नहीं करें. हम सभी मिलकर इस देश को आगे ले जायेंगे. उनके मन में भी देश के प्रति प्यार है. मैं उनसे कहूंगा कि किसी व्यक्ति विशेष के बारे में नहीं सोचें और सिर्फ देश को ध्यान में रखें.
हज़ारे ने कहा कि मैं उनसे अनुरोध करूंगा. मैं उनके चरण स्पर्श कर कहूंगा कि हमें देश के लिये यह करना है. मसौदा बनाने के लिये कानून की समझ का होना महत्वपूर्ण है. इसके लिये विशेषज्ञों की जरूरत है. {mospagebreak} समिति महज दो महीने के लिये है. आंदोलन से जुड़े मुख्य कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल को भी समिति का सदस्य नामित किया है.
किरण बेदी ने कहा कि मुद्दा किसी व्यक्ति को लेकर नहीं है, बल्कि हम चाहते हैं कि एक मजबूत विधेयक तैयार हो. भारतीय राजस्व सेवा अधिकारी रहे केजरीवाल ने शनिवार रात कहा था कि उन्होंने रामदेव से बात की थी और गलतफहमी दूर हो चुकी है.
किरण मीडिया से अनुरोध कर रही हैं कि वह हज़ारे के अभियान को भी उतनी ही कवरेज दे जितनी क्रिकेट विश्व कप को दी गयी थी. उन्होंने कहा कि वह समिति का हिस्सा बिल्कुल नहीं होना चाहती थीं. वह चाहती हैं कि विशेषज्ञ अपना काम करें.
उन्होंने कहा कि यह ए-प्लस टीम है. सिर्फ वे ही लोग समिति का हिस्सा हो सकते हैं, जो सरकार के कामकाज के बारे में जानकारी रखते हैं और जो एक ऐसा कानून बनाने में मदद कर सकते हैं जो व्यापक पैमाने पर फैले भ्रष्टाचार से लड़ने के सभी पहलुओं पर ध्यान देता हो.
हज़ारे ने कहा कि उन्होंने समिति में शामिल होने से शुरुआत में इनकार कर दिया था. उन्होंने कहा कि कौन समिति में रहेगा और कौन नहीं रहेगा, यह महत्वपूर्ण नहीं है. जाने माने वकील शांति भूषण ने कहा कि उनके पुत्र प्रशांत ने खुद ही हम दोनों के एक ही समिति में होने का मुद्दा उठाया था लेकिन उन्होंने कहा कि हज़ारे ने ही कहा है कि इस समिति में विशेषज्ञों का होना जरूरी है.
रामदेव ने सवाल किया था कि समिति में भाईभतीजावाद क्यों है. क्यों पिता एवं पुत्र, दोनों को समिति में शामिल किया गया है.