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कैरियर में वापसी का श्रेय तेंदुलकर को: द्रविड़

राहुल द्रविड़ को खराब फार्म के कारण एक समय अपने कैरियर का अंत होने का डर सताने लगा था लेकिन उन्होंने साथी महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर की जुझारू क्षमता से प्रेरणा ली और न सिर्फ अपने कैरियर को दोबारा पटरी पर लाए बल्कि मौजूदा सत्र में सर्वाधिक टेस्ट रन बनाने वाले बल्लेबाज भी रहे.

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राहुल द्रविड़
राहुल द्रविड़

राहुल द्रविड़ को खराब फार्म के कारण एक समय अपने कैरियर का अंत होने का डर सताने लगा था लेकिन उन्होंने साथी महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर की जुझारू क्षमता से प्रेरणा ली और न सिर्फ अपने कैरियर को दोबारा पटरी पर लाए बल्कि मौजूदा सत्र में सर्वाधिक टेस्ट रन बनाने वाले बल्लेबाज भी रहे.

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द्रविड़ ने खुलासा किया कि लंबे समय तक खराब फार्म में कारण उन्हें लगा कि उनका कैरियर खत्म हो गया है और इस दौरान उन्होंने अपने ऊपर काफी दबाव बना लिया तथा सोचने लगा कि खेल को अलविदा कहने का सर्वश्रेष्ठ समय कौन सा होगा. लेकिन इस तरह के मुश्किल समय से तेंदुलकर किस तरह से निपटे, इस पर ध्यान लगाकर उन्होंने खुद में बदलाव ला दिया.

चार साल पहले भारत के पिछले आस्ट्रेलिया दौरे के बाद के समय को याद करते हुए द्रविड़ ने सिडनी मार्निंग हेराल्ड से कहा, ‘मैंने सोचा कि मैं आस्ट्रेलिया में अपना अंतिम टेस्ट खेल चुका हूं. अगर आप ऐसे खिलाड़ी हैं जिसने वर्षों से अपनी टीम के लिए काफी योगदान दिया है तो यह अहसास सामान्य नहीं है कि टीम आपको ढो रही है. मेरे लिए यह मुश्किल समय था.’

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द्रविड़ इसके बाद आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू दौरे पर भी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए लेकिन उन्हें टीम से बाहर नहीं किया गया और अंतत: वह अपनी पुरानी फार्म हासिल करने में सफल रहे. दायें हाथ के इस बल्लेबाज ने कहा कि फार्म में वापसी के लिए उन्हें तेंदुलकर से प्रेरणा मिली जो खुद कई बार जज्बे के साथ मुश्किल समय से पार पाने में सफल रहे.

उन्होंने कहा, ‘वह मुश्किल समय से गुजरा और इससे बाहर आ गया. यह मेरे लिए प्रेरणा था. मैं उसके साथ ड्रेसिंग रूम में था और जब मैं अपने सबसे खराब दौर में से एक से गुजर रहा था तब वह बेहतरीन फार्म में था.’

द्रविड़ ने कहा, ‘आप सोचते हैं कि अगर वह कर सकता है.. बेशक वह कहीं बेहतर खिलाड़ी है, एक महान खिलाड़ी लेकिन वह बाहरी चीजों के लिए अपने ऊपर दबाव नहीं डालता, वह संन्यास के बारे में काफी सवालों का जवाब नहीं देता, वह सिर्फ रन बनाने के अपने काम में जुटा रहता है.’

उन्होंने कहा, ‘मैं भी इस बारे में सोचने लगा था कि अलविदा कहने का कौन सा समय सही है और कौन सा गलत, क्या यह मेरा अंतिम दौरा है. मैं पिछले लगभग डेढ साल से सोच रहा था. मैं सिर्फ खेल रहा था और जब समय आया तो यह अपने आप आ गया.’

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