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श्रीप्रकाश जयसवाल को चुनाव आयोग की क्लीन चिट

चुनाव आयोग ने आचार संहिता के कथित उल्लंघन मामले में केंद्रीय कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जयसवाल को क्लीन चिट दे दी. आयोग ने अपने फैसले में कहा कि वह इस बात को लेकर संतुष्ट है कि इस तरह का बयान देकर श्रीप्रकाश जयसवाल का मतदाताओं को डराने या धमकाने का कोई इरादा नहीं था.

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श्रीप्रकाश जयसवाल
श्रीप्रकाश जयसवाल

चुनाव आयोग ने आचार संहिता के कथित उल्लंघन मामले में केंद्रीय कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जयसवाल को क्लीन चिट दे दी.

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आयोग ने अपने फैसले में कहा कि वह इस बात को लेकर संतुष्ट है कि इस तरह का बयान देकर श्रीप्रकाश जयसवाल का मतदाताओं को डराने या धमकाने का कोई इरादा नहीं था. इसलिए आयोग ने इस मामले को आगे न न बढाने का निर्णय किया है. आयोग ने जयसवाल के जवाब और उनके भाषण के वीडियो रिकार्डिंग की सीडी देखने के बाद अपनी बैठक में उन्हें क्लीन चिट देने का निर्णय किया.

गौरतलब है कि आयोग ने 24 फरवरी को जयसवाल को उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन संबंधी उनकी टिप्पणियों को लेकर आचार संहिता के कथित उल्लंघन के लिए नोटिस जारी किया था और उनसे 29 फरवरी तक जवाब देने को कहा था.

जयसवाल ने बुधवार को दाखिल किये गये अपने जवाब में आरोपों से इनकार किया था और कहा था कि उनके बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है और उन्होंने दावा किया कि उन्होंने मतदाताओं को कभी नहीं धमकाया है.

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आयोग ने अपने नोटिस में कहा था कि उसे प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि उपरोक्त बयान देकर मतदाताओं को डराने का प्रयास किया गया है कि या तो उनकी पार्टी कांग्रेस को वोट दें या उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन का सामना करें और ऐसा बोलकर उन्होंने आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन किया है.

आयोग की यह कार्रवाई भाजपा और समाजवादी पार्टी की शिकायतों के मद्देनजर सामने आयी है. भाजपा ने शिकायत की थी कि जयसवाल ने इस तरह का बयान देकर चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन किया है.

कानपुर से कांग्रेस सांसद जयसवाल ने 23 फरवरी को उत्तर प्रदेश के पांचवें चरण के मतदान के दौरान अपना वोट डालने के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा, ‘अगर कांग्रेस को बहुमत मिलता है तो वह सरकार बनाएगी. अगर हमें स्पष्ट बहुमत नहीं मिला तो हम विपक्ष में बैठेंगे और मुझे राष्ट्रपति शासन के अलावा और कोई विकल्प नजर नहीं आता.’

जयसवाल के भाषण की सीडी देखने के बाद आयोग की यह राय थी कि भाषण का लहजा और उसका संदर्भ मतदाताओं को डराने या धमकाने वाला प्रतीत नहीं होता.

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