केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को 2011-12 के लिए आर्थिक समीक्षा लोकसभा में प्रस्तुत करते हुए वित्त वर्ष 2012-13 के दौरान 7.6 फीसदी विकास दर रहने का अनुमान व्यक्त किया है.
समीक्षा के अनुसार चालू वित्त वर्ष के दौरान महंगाई दर 6.5 से सात फीसदी के बीच रहने का अनुमान व्यक्त किया गया है, जबकि आगामी वित्त वर्ष में कड़ी मौद्रिक नीतियों एवं सरकार द्वारा किए गए अन्य उपायों के चलते इसमें और भी कमी आने का अनुमान व्यक्त किया गया है.
समीक्षा के अनुसार चालू वित्त वर्ष के दौरान देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 6.9 फीसदी की रफ्तार से बढ़ेगा. देश की अर्थव्यवस्था की विकास दर में चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के 6.9 फीसदी की तुलना में तीसरी तिमाही में 6.1 फीसदी की दर से वृद्धि हुई है.
वित्त मंत्री ने कहा, '6.9 फीसदी की धीमी रफ्तार के बावजूद भारत विश्व की सबसे तेज वृद्धि करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक रहेगी क्योंकि सभी बड़े देशों के साथ उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं की रफ्तार कम हुई है.' समीक्षा के अनुसार अगले वित्त वर्ष में औद्योगिक उत्पादन में सुधार की सम्भावना है.
पेश है आर्थिक सर्वेक्षण की प्रमुख विशेषताएं:
- चालू वित्त वर्ष के दौरान विकास दर के 6.9 प्रतिशत रहने का अनुमान.
- 2012-13 में विकास दर 7.6 प्रतिशत और 2013-14 में 8.6 प्रतिशत तक पहुंचने की सम्भावना के साथ सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि में स्थिरता का अनुमान.
- कृषि और सेवा क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन जारी. कृषि क्षेत्र में 2.5 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान. सेवा क्षेत्र में 9.4 प्रतिशत तक की वृद्धि का अनुमान और जीडीपी इसकी हिस्सेदारी 59 फीसदी हुई.
- कर संग्रहण में सुधार जारी रहने के कारण औद्योगिक वृद्धि दर चार से पांच प्रतिशत तक रहने की उम्मीद.
- चालू वित्त वर्ष में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर उच्च रही, लेकिन वर्ष के अंत तक इसके कम होने के स्पष्ट संकेत हैं, इससे निवेश की गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा, जिसका विकास पर सार्थक प्रभाव पड़ेगा.
- थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर जनवरी 2012 में गिरकर 1.6 प्रतिशत रह गई है, जो फरवरी 2010 में 20.2 प्रतिशत थी. महंगाई को नियंत्रित करने वाले उपायों का यह परिणाम है.
- भारत विश्व की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में बना हुआ है. देश का राजकोषीय रेटिंग 2007-12 में 2.98 प्रतिशत बढ़ा.
- वित्तीय सुदृढ़ीकरण जारी है. बचत और पूंजी निर्माण के बढ़ने की आशा है.
- चालू वित्त वर्ष के पूवार्ध में निर्यात में 40.5 प्रतिशत की दर से और आयात में 30.4 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई. विदेशी व्यापार बढ़ने से, विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि होगी, जिससे विदेशी ऋण को चुकाने में मदद मिलेगी.
- इस वित्त वर्ष में सामाजिक सेवाओं पर केंद्रीय व्यय बढ़कर 18.5 प्रतिशत हो जायेगा, जो 2006-07 में 13.4 प्रतिशत था.
- 2010-11 में मनरेगा के अंतर्गत 5.49 करोड़ परिवारों को लाया गया.
- सतत विकास और जलवायु परिवर्तन को उच्च प्राथमिकता दी जायेगी.