भारत ने वेस्टइंडीज से सीरीज का पहला टेस्ट मैच 5 विकेट से जीत लिया है. इस तरह टीम इंडिया ने मेहमान टीम के सामने अपने दमखम का प्रदर्शन कर डाला है.
दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान पर खेले गए टेस्ट मैच में टीम इंडिया ने आखिरकार खुद को हर क्षेत्र में बेहतर साबित किया. इस तरह टेस्ट मैचों में भारत ने एक बार फिर से जीत की राह पकड़ ली है.
निर्णायक पारी में भारत की जीत में वीवीएस लक्ष्मण (58) और सचिन तेंदुलकर (76) के अर्द्धशतकों की अहम भूमिका रही. लक्ष्मण अंत तक आउट नहीं हुए.
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कोटला टेस्ट में चौथे दिन मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने अपना अर्द्धशतक तो पूरा कर लिया, पर वे शतकों का शतक बनाने से एक बार फिर चूक गए. सचिन 76 रन बनाकर ही पवेलियन लौट गए.
शानदार बैटिंग कर रहे सचिन को बिशू ने एलबीडब्ल्यू आउट किया. सचिन ने अपनी इस पारी में 10 चौके जड़े.
सचिन तेंदुलकर केवल 24 रन से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 100वां शतक बनाने से चूक गये, लेकिन उनकी रोमांचक अर्धशतकीय पारी से भारत ने पहले टेस्ट क्रिकेट मैच में वेस्टइंडीज को चौथे दिन ही पांच विकेट से हराकर तीन मैचों की श्रृंखला में 1-0 से बढ़त बनायी.
दर्शक भारत की जीत और तेंदुलकर के शतकों के शतक की दोहरी खुशी पाने के लिये फिरोजशाह कोटला के स्टेडियम में पहुंचे थे लेकिन यह स्टार बल्लेबाज 76 रन बनाकर आउट हो गया. भारत की जीत हालांकि तब तक सुनिश्चित हो गयी थी.
पहले दिन चंद्रपॉल के शतक ने संभाली विंडीज पारी
तेंदुलकर के अलावा तीसरे दिन वीरेंद्र सहवाग (55) और चौथे दिन वीवीएस लक्ष्मण (नाबाद 58) ने इसमें अपना योगदान दिया जिससे भारत चौथे दिन लंच के बाद 32वें मिनट में ही पांच विकेट पर 276 रन बनाकर इस मैदान पर सबसे बड़ा लक्ष्य हासिल करने के रिकार्ड की बराबरी करने में सफल रहा.
तेंदुलकर ने अपनी पारी में 148 गेंद खेली तथा दस चौके लगाये जबकि लक्ष्मण की 105 गेंद की पारी में छह चौके शामिल हैं. भारत की यह वेस्टइंडीज पर कोटला में पहली जीत है. इस तरह से उसने इस मैदान पर पिछले 24 साल से कोई टेस्ट मैच नहीं गंवाने का अपना रिकार्ड भी बरकरार रखा.
वेस्टइंडीज ने 1987 में 276 रन का ही लक्ष्य हासिल करके जीत दर्ज की थी जो कोटला पर भारत की आखिरी हार थी. भारत ने अपनी सरजमीं पर दूसरा सबसे बड़ा लक्ष्य भी हासिल किया. इससे पहले उसने 2008 में इंग्लैंड के खिलाफ चेन्नई में चार विकेट पर 387 रन बनाकर जीत दर्ज की थी.
दूसरे दिन रहा वेस्टइंडीज का दबदबा...
भारत ने जब सुबह पारी आगे बढ़ायी तो उसे जीत के लिये 124 रन चाहिए थे. उसके दो ऐसे बल्लेबाज क्रीज पर मौजूद थे, जिनके नाम पर कुल 27864 रन दर्ज थे. डेरेन सैमी के पहले ओवर में गेंद तेंदुलकर के पैड से लगकर सीमा रेखा पार गयी जबकि बाद में उनके बल्ले ने गेंद को बाउंड्री के दर्शन कराये.
अगला ओवर करने फिदेल एडवर्डस आये जो मेडन रहा लेकिन इस तेज गेंदबाज के अगले ओवर की पहली गेंद ही राहुल द्रविड़ (31) के डिफेन्स को तहस नहस कर गयी. द्रविड़ 140 किमी की रफ्तार से मूव करती गेंद पर ड्राइव करने के लिये आगे आ गये लेकिन वह कुछ कर पाते इससे पहले ही गेंद उनके विकेट उखाड़ चुकी थी. वह अपने तीसरे दिन के स्कोर में केवल एक रन जोड़ पाये.
लक्ष्मण ने पहली गेंद ही फ्लिक करके फाइन लेग पर चार रन के लिये भेजी जबकि सैमी के अगले ओवर में तेंदुलकर ने एक्स्ट्रा कवर और प्वाइंट के क्षेत्र से चौके जड़कर उनके महाशतक की उम्मीद में स्टेडियम में पहुंचे दर्शकों को रोमांचित कर दिया. तेंदुलकर ने एडवर्डस की गेंद थर्डमैन पर खेलकर अपना 62वां टेस्ट अर्धशतक पूरा किया. अब उन्हें एलन बोर्डर के सर्वाधिक अर्धशतक के रिकार्ड की बराबरी के लिये केवल एक और पचासे की जरूरत है.
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लक्ष्मण ने इस बीच कलाइयों की जादूगरी दिखाते हुए प्वाइंट और स्क्वायर लेग में चौके जमाये लेकिन हर कोई तेंदुलकर के बल्ले से रनों की बौछार देखना चाहते थे ताकि यहीं पर उनका महाशतक पूरा हो सके. लेकिन तभी बिशू की गुगली 15 हजार दर्शकों की आह निकाल गयी.
करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों का दिल तोड़ने वाले भारतीय मूल के बिशू भारत में अचानक ही खलनायक बन गये. उनकी यह गेंद विकेटों के आगे खड़े तेंदुलकर के पैड से टकरायी और अंपायर राड टकर ने कुछ देर सोचने के बाद उंगली उठा दी. अभी तक तेंदुलकर के एक-एक रन पर बल्लियों उछल रहे दर्शक सन्न रह गये.
लक्ष्मण ने इसके बाद सैमुअल्स पर एक रन लेकर टेस्ट क्रिकेट में 55वां और वेस्टइंडीज के खिलाफ 11वां अर्धशतक पूरा किया. भारत को जब जीत के लिये केवल एक रन चाहिए था तो युवराज सिंह (18) के पास विजयी रन बनाने का मौका था लेकिन सैमी ने उनके बल्ले और पैड के बीच से गेंद निकालकर विकेट उखाड़ दिये.
महेंद्र सिंह धोनी सैमी ने बाकी बची चार गेंद सहजता से खेली. लक्ष्मण ने क्रेग ब्राथवेट के अगले ओवर में तीसरी गेंद पर स्क्वायर लेग पर एक रन लेकर टीम को जीत दिलायी.