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ओलंपिक से अब तक छह बार बैरंग लौटा है भारत

भारत को 27 जुलाई से लंदन में होने वाले ओलंपिक खेलों में अब तक के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की उम्मीद है लेकिन इस खेल महाकुंभ में अभी तक छह मौके ऐसे भी आए हैं जबकि भारतीय बिना पदक के बैरंग स्वदेश लौटी.

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भारत को 27 जुलाई से लंदन में होने वाले ओलंपिक खेलों में अब तक के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की उम्मीद है लेकिन इस खेल महाकुंभ में अभी तक छह मौके ऐसे भी आए हैं जबकि भारतीय बिना पदक के बैरंग स्वदेश लौटी.

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भारत ने ओलंपिक में अधिकृत तौर पर 1920 से भाग लेना शुरू किया था. वैसे 1900 में नार्मन प्रिचार्ड ने दो रजत पदक जीते थे जो भारत के नाम पर दर्ज हैं और इसलिए अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति की सूची में भारत का ओलंपिक में पदार्पण 1900 से माना जाता है.

इस तरह से देखा जाए तो भारत ने अब तक 22 ओलंपिक में भाग लिया है जिनमें उसके नाम पर केवल 20 पदक (प्रिचार्ड के दो पदक सहित) दर्ज हैं. भारत ने ये पदक 16 ओलंपिक खेलों में जीते. अब तक 1900 के अलावा केवल दो ओलंपिक (1952 और 2008) ही ऐसे आये जबकि भारत एक से अधिक पदक जीतने में सफल रहा.

भारत एंटवर्प में 1920 में और इसके चार साल बाद पेरिस में हुए खेलों में कोई पदक नहीं जीत पाया था. इसके बाद हाकी में हमेशा भारत का दबदबा देखने को मिला और इस खेल की बदौलत उसका नाम ओलंपिक पदक विजेताओं की सूची में दर्ज रहा. लेकिन सत्तर के दशक से हाकी में भी भारत की स्थिति कमजोर होने लगी. इसी बीच 1976 के मांट्रियल ओलंपिक में भारतीय दल बैरंग वापस लौटा था.

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मास्को में कई देशों के भाग नहीं लेने के कारण हाकी टीम ने स्वर्ण जीता लेकिन इसके बाद अगले तीन ओलंपिक खेलों 1984 में लास एंजिल्स, 1988 में सोल और 1992 में बार्सिलोना में भारत एक भी पदक हासिल नहीं कर पाया था. दूसरे विश्वयुद्ध के कारण 1940 और 1944 में ओलंपिक नहीं हो पाये. इसके बाद 1948 में लंदन में भारतीय हाकी टीम ने मेजबान ब्रिटेन को 4-0 से हराकर अपना दबदबा कायम रखा. हेलंसिकी में 1952 में पहली बार भारत दो पदक हासिल करने में सफल रहा था.

हाकी टीम ने जहां हालैंड को 6-1 से हराकर स्वर्ण पदक जीता वहीं कसाबा जाधव ने कुश्ती में कांसे का तमगा हासिल किया. हाकी टीम की बदौलत भारत 1956 मेलबर्न में पाकिस्तान को 1-0 से हराकर स्वर्ण पदक अपने नाम करवाने में सफल रहा लेकिन इसके चार साल बाद रोम में वह अपने इस पड़ोसी से फाइनल में इसी अंतर से हार गया. यह पहला अवसर था जबकि भारत को ओलंपिक में रजत पदक से संतोष करना पड़ा.

भारत ने तोक्यो ओलंपिक 1964 में पाकिस्तान को 1-0 से हराकर फिर से सोने का तमगा हासिल किया लेकिन इसके बाद अगले दो ओलंपिक में वह कांस्य पदक ही जीत पाया. मांट्रियल ओलंपिक में तो भारत हाकी में भी पदक हासिल नहीं कर पाया था. तब हाकी टीम छठे स्थान पर रही थी.

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इसके बाद 1980 में हाकी टीम ने फिर से सोने का तमगा हासिल किया लेकिन इसके बाद ओलंपिक में वह कभी पहले तीन स्थान हासिल नहीं कर पायी. यही वजह रही कि भारत अगले तीन ओलंपिक में बैरंग स्वदेश लौटा था. सिडनी ओलंपिक में कर्णम मल्लेश्वरी ने भारोत्तोलन में कांसे का तमगा हासिल किया तो एथेंस 2004 में निशानेबाज राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने रजत पदक जीतकर नया इतिहास रचा.

बीजिंग ओलंपिक 2008 में तो भारत तीन पदक जीतने में सफल रहा जिसमें निशानेबाज अभिनव बिंद्रा का स्वर्ण पदक भी शामिल है. बिंद्रा ओलंपिक में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने. इसी ओलंपिक में कुश्ती में सुशील कुमार और मुक्केबाजी में विजेंदर सिंह ने कांस्य पदक जीते थे.

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