लंदन ओलंपिक के लिये भारत का अब तक का सबसे बड़ा आठ मुक्केबाजों का दल रिंग में मिलने वाली चुनौती के लिये पूरी तरह तैयार हैं जिनमें से सात का यह पहला ओलंपिक होगा लेकिन सभी को अब सिर्फ अपनी बाउट शुरू होने का इंतजार है.
भारतीय मुक्केबाजी दल में बीजिंग ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाले विजेंदर सिंह और पांच बार की महिला विश्व चैंपियन एम सी मैरीकाम जैसे अनुभवी शामिल हैं जबकि इसमें 50 प्रतिशत युवा खिलाड़ी हैं.
भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (एआईबीए) के महासचिव पीकेएम राजा ने कहा, ‘हमारे सभी मुक्केबाजों में पदक जीतने की क्षमता है. हमारे 70 प्रतिशत मुक्केबाजों ने लंदन के लिये क्वालीफाई किया है जो एक उपलब्धि ही है.’
विजेंदर सिंह (75 किग्रा) का मानना है कि इस बार उन पर इतना दबाव नहीं है क्योंकि बीजिंग ओलंपिक में कुछ ही मुक्केबाज क्वालीफाई कर पाये थे.
उन्होंने कहा, ‘अब जिम्मेदारी इन युवाओं ने बांट ली है. निश्चित रूप से मैं पिछले प्रदर्शन से बेहतर करना चाहता हूं और पूरी उम्मीद है कि हमारा मुक्केबाजी दल शानदार प्रदर्शन करेगा.’
युवाओं में एशियाई खेलों के स्वर्ण पदकधारी विकास कृष्ण (69 किग्रा), 2010 युवा एशियाई चैंपियनशिप के रजत पदकधारी सुमित सांगवान (81 किग्रा), 2010 युवा ओलंपिक के रजत पदकधारी शिव थापा (56 किग्रा) और एल देवेंद्रो सिंह (49 किग्रा) 18 से 20 वर्ष की उम्र के हैं. इन आठ में से सात युवाओं का यह पहला ओलंपिक होगा.
एआईबीए और प्रायोजक कंपनी मोनेट इस्पात एवं एनर्जी लिमिटेड द्वारा मुक्केबाजों के ओलंपिक जाने के लिये रवानगी कार्यक्रम का आयोजन किया गया.
भारतीय कोच जी एस संधू ने कहा, ‘मैं अगले साल रिटायर हो जाउंगा और मैं चाहता हूं कि मेरे मुक्केबाज ओलंपिक में बेहतरीन सफलता हासिल करें.’
यह पूछने पर कि गुरूदक्षिणा में क्या लेना चाहेंगे तो उन्होंने कहा, ‘ओलंपिक पदक से बड़ी गुरूदक्षिणा कुछ नहीं होगी जो मुझे बीजिंग में तो मिल चुकी है.’
विजेंदर जब पूछा गया कि क्या वह युवाओं को किसी तरह की सीख देते हैं तो उन्होंने कहा, ‘हम विदेश में होते हैं तो एक दूसरे से ज्यादा बातचीत करते हैं और कोई समस्या हो तो उसका निदान करते हैं.’
तैयारियों के बारे में उन्होंने कहा, ‘क्वालीफाई होने के बाद से ही हम तैयारियों में जुटे हैं. हाल में 15 दिन का डबलिन का दौरा करके लोटे हैं.’
ओलंपिक में पहली बार शामिल हुई महिला मुक्केबाजी में देश का प्रतिनिधित्व करने वाली एम सी मैरीकाम ने कहा, ‘मैं खुश हूं कि मैं ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली पहली महिला मुक्केबाज हूं. मैं अपना सर्वश्रेष्ठ करूंगी, बाकी सब भगवान के हाथ है.’
मैरीकाम को पदक सुनिश्चित करने के लिये सिर्फ दो बाउट जीतने की जरूरत होगी जिससे उनसे सभी को काफी उम्मीदें हैं.
राजा ने कहा, ‘मैरीकाम के पास बढ़िया मौका है. वह पांच बार की विश्व चैंपियन है और मौजूदा चैंपियन किम राइकोनेन को हरा चुकी है.’
भारत के क्यूबाई कोच बी फर्नांडीज ने कहा, ‘मुझे सभी मुक्केबाजों की तैयारियों को देखते हुए बीजिंग ओलंपिक से अच्छे प्रदर्शन का पूरा भरोसा है. मुक्केबाजों ने कड़ी मेहनत की है. सभी पूरी तरह से फिट हैं और अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहते हैं.'
राजा ने कहा, ‘हमारे तीन मुक्केबाजों ने विश्व चैंपियनशिप के जरिये लंदन के लिये क्वालीफाई किया जो पहली बार हुआ. हमारे मुक्केबाजों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इतना शानदार प्रदर्शन दिखाया और यह सब बीजिंग ओलंपिक में विजेंदर के कांस्य पदक के बाद हुआ. मुझे इस बार पिछले प्रदर्शन में सुधार की उम्मीद है.’
एल देवेंद्रो सिंह (49 किग्रा) ने कहा, ‘मैं सिर्फ रिंग में उतरने का इंतजार कर रहा हूं. मेरी पूरी कोशिश रहेगी कि मैं अपने प्रदर्शन को बरकरार रखूं.’
विकास कृष्ण (69 किग्रा) ने कहा, ‘मुझे पूरा भरोसा है कि मैं अपनी लय को जारी रखकर देश के लिये सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करूंगा. अब सिर्फ रिंग में मुक्के जमाने का इंतजार है.’