'क्रिकेट के भगवान' कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर जैसे ही अपना 50वां टेस्ट शतक पूरा किया, देश और दुनिया में फिर से एक पुरानी बहस छिड़ गई. अब फिर से यह सवाल उठने लगा है कि बल्लेबाज के तौर पर सचिन की उपलब्धियां ज्यादा बड़ी हैं या डॉन ब्रेडमैन की.
आपकी नजर में सचिन ज्यादा बड़े बल्लेबाज हैं या डॉन ब्रेडमैन? इसी मुद्दे पर आपके प्रिय एंकर विक्रांत गुप्ता ने लाइव चैट के दौरान द. अफ्रीका के सेंचुरियन से आपका जवाब दिया.
खेल को दिल से समझना हो या दिमाग से, एक चेहरा जो जेहन में घूमता है वो है विक्रांत गुप्ता का. क्रिकेट की बारीकियां हों या फिर पर्दे के पीछे का खेल, नतीजे का पूर्वानुमान हो या फिर खिलाड़ी के दिल का हाल, विक्रांत गुप्ता का सटीक विश्लेषण एक सुलझे हुए पत्रकार की परिभाषा को बयां करता है.
लाहौर से लॉर्ड्स, न्यूजीलैंड से नीदरलैंड्स और कोलंबो से कैरेबियन... क्रिकेट के हर मैदान से ड्रेसिंग रूम की तस्वीर को अपने ही अंदाज में पेश करने वाले विक्रांत की खेल पत्रकारिता में पहचान एक तेज-तर्रार संवाददाता और गंभीर एंकर की है. उनका सपना भारत के लिए खेलना था और पंजाब की रणजी टीम तक भी वो पहुंच गए लेकिन उस सपने ने उड़ान भरी 13 साल के खेल पत्रकारिता करियर के दौरान. उन्होंने खेल और खिलाड़ियों की हर हलचल को करीब से महसूस किया.
पहले अखबार में उनकी लेखनी और बाद में टेलीविजन में उनके तेवरों ने खेल पत्रकारिता को अलग ही आयाम प्रदान किए. मुहम्मद अजहरुद्दीन से लेकर सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली से लेकर महेंद्र सिंह धोनी तक भारतीय क्रिकेट की कई पीढ़ियों को कवर चुके विक्रांत भारतीय क्रिकेट के कई ऐतिहासिक लम्हों के गवाह रहे हैं.
2003 में दक्षिण अफ्रीका में भारतीय टीम के साथ वर्ल्ड कप में खुशी के पल भी बिताए तो 2007 में वेस्टइंडीज में नाकाम टीम इंडिया के दुख भी साझा किए. 35 साल बाद वेस्टइंडीज और न्यूजीलैंड में ऐतिहासिक जीत के अलावा 15 साल बाद टीम इंडिया के पाकिस्तान दौरे का शायद ही कोई पहलू हो जो विक्रांत की नजरों से छिपा रहा हो. टेस्ट क्रिकेट की गंभीरता से लेकर ट्वेंटी-20 के रंग के साथ जीना विक्रांत का पेशा ही नहीं, शौक भी है.