अनुभवी बल्लेबाज शिवनारायण चंद्रपाल ने भारतीय गेंदबाजों को परेशान करने की अपनी बहुचर्चित आदत का फिरोजशाह कोटला पर जबर्दस्त मुजाहिरा करके नाबाद शतक जमाया जिससे वेस्टइंडीज पहले टेस्ट क्रिकेट मैच में शुरुआती झटकों से उबरकर अच्छे स्कोर की तरफ बढ़ने में सफल रहा.
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दर्शक सचिन तेंदुलकर का बहुप्रतीक्षित 100वां अंतरराष्ट्रीय शतक देखने आये थे लेकिन कोटला में पहला दिन चंद्रपाल के नाम रहा. उन्होंने तब क्रीज पर कदम रखा जब वेस्टइंडीज 72 रन पर तीन विकेट गंवाकर संघर्ष कर रहा था. चंद्रपाल ने नाबाद 111 रन बनाये और इस बीच किशोर सलामी बल्लेबाज क्रेग बेथवेट (63) के साथ चौथे विकेट के लिये 108 रन की साझेदारी भी की.
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चंद्रपाल के बेजोड़ प्रदर्शन से वेस्टइंडीज ने पहले दिन का खेल समाप्त होने तक पांच विकेट पर 256 रन बनाये. बायें हाथ के बल्लेबाज चंद्रपाल ने अपनी पारी में 167 गेंद खेली हैं तथा सात चौके और दो छक्के लगाये हैं. इस बीच उन्होंने भारत के खिलाफ सातवां और कुल 24वां शतक पूरा किया. उनके साथ दूसरे छोर पर विकेटकीपर बल्लेबाज कार्लटन बा 19 रन पर खेल रहे हैं. ये दोनों अब तक 56 रन की साझेदारी कर चुके हैं.
भारतीय गेंदबाजों में केवल स्पिनर ही प्रभावित कर पाये लेकिन चंद्रपाल के सामने वे भी बेअसर रहे. बायें हाथ के स्पिनर प्रज्ञान ओझा ने अब तक 29 ओवर में 58 रन देकर तीन जबकि अपना पहला टेस्ट मैच खेल रहे आफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने 79 रन देकर दो विकेट लिये हैं. ओझा ने कीरेन पावेल (14) और किर्क एडवर्डस (15) को पहले सत्र में ही पवेलियन भेज दिया था लेकिन दूसरे सत्र में भारत को केवल एक विकेट मिला. अपना पहला मैच खेल रहे रविचंद्रन अश्विन ने लंच के बाद पहले ओवर में ही डेरेन ब्रावो (12) के रूप में अपना पहला विकेट लिया.
चंद्रपाल हमेशा भारत के खिलाफ सफल रहे हैं और आज भी कोई अतिशयोक्ति नहीं रही. कोटला पर रन बनाना मुश्किल नहीं था और बायें हाथ के इस बल्लेबाज ने ढीली गेंदों का इंतजार करके सहजता से रन बटोरे. इस बीच उन्होंने अश्विन और ओझा की गेंदों को छह रन के लिये भी भेजा.ब्रेथवेट ने हाल में कहा था वह विकेट पर टिकना और गेंद छोड़ने की कला सीख रहे हैं तथा यहां पहले दो सत्र में उन्होंने अपनी इस प्रतिबद्धता का अच्छा नमूना पेश किया. उन्होंने अपनी पारी में 212 गेंद खेली जब तब एक छोर संभाले रखा जबकि टीम को इसकी जरूरत थी.
पिच के मिजाज को देखते हुए सुबह कैरेबियाई कप्तान डेरेन सैमी ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया. पावेल ने ईशांत शर्मा के पहले ओवर में ही दो चौके जड़कर सकारात्मक शुरुआत की. ईशांत के साथ उमेश यादव ने नयी गेंद संभाली जो टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण करने वाले विदर्भ के पहले खिलाड़ी भी बने. यादव का पहला स्पैल हालांकि प्रभावशाली नहीं रहा और उन्हें लाइन पकड़ने में परेशानी हुई.
धोनी ने दसवें ओवर में ही बायें हाथ के स्पिनर ओझा को गेंद सौंप दी. जिनके शुरुआती दो ओवर घटनाप्रधान रहे. पावेल ने उनके पहले ओवर की आखिरी गेंद पर वापस कैच उछाला लेकिन ओझा उसे लपक नहीं पाये. ओझा ने अपनी यह गलती टीम को महंगी नहीं पड़ने दी. उनके अगले ओवर की अंतिम गेंद हल्का टर्न लेकर पावेल के पैड से टकरायी और कुमार धर्मसेना ने कुछ देर विचार करने के बाद उंगली उठा दी. स्टेडियम में मौजूद लगभग आठ हजार दर्शकों ने तहेदिल से इस विकेट का स्वागत किया.
अश्विन ने भारत के दूसरे सत्र की अच्छी शुरुआत दिलायी. ब्रावो बांग्लादेश वाली फार्म बरकरार रखने में नाकाम रहे. वह अश्विन की तेज आफ ब्रेक को नहीं समझ पाये और बैकफुट पर चले गये. वह उसे कट कर पाते इससे पहले उनके विकेट बिखर चुके थे. वेस्टइंडीज ने इस सत्र में इस एक विकेट के एवज में 32 ओवर में 90 रन जोड़े. भारत को आखिर में चाय के विश्राम के बाद वह सफलता मिली जिसकी उसे ढाई घंटे से तलाश थी.
ओझा की गेंद खेलने के लिये ब्रेथवेट फ्रंटफुट पर आ गये थे लेकिन वह उनको चकमा दे गयी और धोनी ने बड़ी खूबसूरती से स्टंप आउट कर दिया. तीसरे अंपायर ने भी धोनी को ही सही ठहराया जिससे वह भारत की तरफ से सर्वाधिक शिकार करने वाले विकेटकीपर बने. उन्होंने सैयद किरमानी (198) का रिकार्ड तोड़ा. धोनी ने जल्द ही 200वां शिकार भी हासिल कर लिया.
अश्विन ने अच्छी फार्म में चल रहे सैमुअल्स को देर तक नहीं टिकने दिया. दायें हाथ का यह बल्लेबाज उनकी स्लाइडर को समझ पाता इससे पहले वह उनके बल्ले को चूमकर धोनी के दस्तानों में समा चुकी थी. इस बीच चंद्रपाल के करारे स्वीप शाट से शार्ट लेग पर खड़े गौतम गंभीर की कोहनी पर चोट भी लगी जिसके कारण उन्हें मैदान छोड़ना पड़ा. चंद्रपाल ने इसके बाद ओझा की गेंद पर एक रन लेकर अपना सैकड़ा पूरा किया.