भारत के क्यूबाई मुक्केबाजी कोच बी आई फर्नांडीज मुक्केबाजों की तैयारियों से काफी संतुष्ट हैं और उन्होंने भरोसा जताया कि अब तक का सबसे बड़ा मुक्केबाजी दल इन खेलों में पिछले प्रदर्शन में सुधार करते हुए कम से कम तीन पदक जीतेगा.
विजेंदर सिंह ने बीजिंग ओलंपिक खेलों में कांस्य पदक जीतकर देश को मुक्केबाजी में ओलंपिक का पहला पदक दिलाया था जिसके बाद देश में मुक्केबाजी के प्रति सकारात्मक बदलाव हुए और अब उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधायें मुहैया करायी जा रही हैं जिसमें विदेशों में ट्रेनिंग कम टूर्नामेंट शामिल हैं.
करीब दो दशक से भारतीय टीम से जुड़े फर्नांडीज ने कहा, ‘बीजिंग में विजेंदर के कांस्य पदक ने अन्य मुक्केबाजों को भी प्रेरित किया जिससे वे अपने ‘कोकून’ से बाहर निकलकर अपनी प्रतिभा सभी के सामने लाने के लिये बेताब हो गये हैं. इनमें जीतने की भूख है, इसकी झलक पिछले क्वालीफाइंग टूर्नामेंट और विश्व चैंपियनशिप में हमारे प्रदर्शन को देखकर मिल जाती है.’
वर्ष 1990 में टीम से जुड़े छप्पन वर्षीय फर्नांडीज से जब लंदन ओलंपिक में पदक की उम्मीदों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘मैं सभी मुक्केबाजों की तैयारियों से संतुष्ट हूं, सभी लंदन में अपना सर्वश्रेष्ठ करने को तैयार हैं. हमारे ज्यादातर मुक्केबाज पहली बार ओलंपिक में खेलेंगे जिसमें से आधे मुक्केबाज युवा हैं जो जोश से भरे हैं.
फर्नांडीज ने कहा, ‘युवा मुक्केबाजों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में अपने से मजबूत और ताकतवर प्रतिद्वंद्वियों को पराजित किया जिससे आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होती है. ये युवा आक्रामक हैं और हर कीमत पर जीत दर्ज करना चाहते हैं जो भारतीय मुक्केबाजी के लिये सकारात्मक चीज है.’
उनसे जब पूछा गया कि क्या वे अच्छे ड्रा की उम्मीद लगाये हैं जो स्पर्धा से एक दिन पहले 27 जुलाई को निकलेगा तो फर्नांडीज ने कहा, ‘ड्रा में देखते हैं क्या होता है. लेकिन कोई भी मुक्केबाज दबाव लेकर नहीं चल रहा है और इनके मनोबल को देखते हुए मुझे भरोसा है कि ये किसी को भी हरा सकते हैं.’
भारतीय टीम के सात मुक्केबाजों ने लंदन ओलंपिक के लिये क्वालीफाई किया है जो पिछले बीजिंग ओलंपिक को देखते हुए ढाई गुना है. उन्होंने कहा, ‘इन मुक्केबाजों ने यह सब हासिल करने के लिये कड़ी मेहनत की है, जिसमें इन्हें मिलने वाली सुविधाओं और प्रायोजकों का भी काफी योगदान है.’
यह पूछने पर कि उन्हें किससे पदक की उम्मीद है तो उन्होंने कहा, ‘मैं नाम नहीं बता सकता क्योंकि मुझे अपने हर मुक्केबाज पर पूरा भरोसा है. प्रत्येक मुक्केबाज में पदक जीतने की क्षमता है.’
तैयारियों के बारे में उन्होंने कहा, ‘हमने काफी सोच विचार कर अपना ट्रेनिंग कार्यक्रम तैयार किया था इसी के अंतर्गत हम ओलंपिक से 15 दिन पहले लंदन जा रहे हैं, मुझे पूरा भरोसा है कि इस सुनियोजित कार्यक्रम का निश्चित रूप से फायदा मिलेगा.’