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नंबर वन होने का दबाव नहीं है: दीपिका

लंदन ओलंपिक खेलों में भारत की तरफ से पदक की प्रबल दावेदार मानी जा रही दीपिका कुमारी ने कहा कि उन पर दुनिया की नंबर एक तीरंदाज होने का दबाव नहीं है और वह किसी भी परिस्थिति में पदक जीतने के लिये प्रतिबद्ध हैं.

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दीपिका कुमारी
दीपिका कुमारी

लंदन ओलंपिक खेलों में भारत की तरफ से पदक की प्रबल दावेदार मानी जा रही दीपिका कुमारी ने कहा कि उन पर दुनिया की नंबर एक तीरंदाज होने का दबाव नहीं है और वह किसी भी परिस्थिति में पदक जीतने के लिये प्रतिबद्ध हैं.

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दीपिका ने कहा, ‘यह मेरा पहला ओलंपिक है और इसलिए मैं आत्मविश्वास से ओतप्रोत हूं. मुझ पर किसी भी तरह का दबाव नहीं है. मुझे पता है कि मैं अभी दुनिया की नंबर एक तीरंदाज हूं और मुझसे काफी अपेक्षाएं की जा रही हैं लेकिन इसका मुझ पर किसी तरह का दबाव नहीं है.’

उन्होंने कहा, ‘नंबर एक बनने से मेरा आत्मविश्वास बढ़ा है लेकिन मैं इससे बहुत अधिक खुश नहीं हूं. मुझे सबसे ज्यादा ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने पर ही मिलेगी. वैसे अभी हमारा लक्ष्य पदक हासिल करना है क्योंकि हमें पता है कि विश्व कप आदि में अच्छे प्रदर्शन से जब तीरंदाजी भारत में महत्वपूर्ण खेल बन गया है तो फिर ओलंपिक पदक इस खेल को किस उंचाई पर पहुंचाएगा.’

दीपिका ने इस साल तुर्की के अंताल्या में महिला रिकर्व के व्यक्तिगत वर्ग में दक्षिण कोरिया की ली सुंग जिन को हराकर स्वर्ण पदक जीता था. इसी के दम पर वह बाद में दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी भी बनी.

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रांची की इस 18 वर्षीय तीरंदाज ने माना कि कोरियाई खिलाड़ी पर जीत से उनका मनोबल बढ़ा है लेकिन अब भी इस एशियाई देश के तीरंदाजों को ही अपना कड़ा प्रतिद्वंद्वी मानती हैं.

यह युवा खिलाड़ी लंदन के ऐतिहासिक लॉर्डस मैदान पर तीरंदाजी करने को लेकर भी उत्साहित हैं लेकिन उनका मानना है कि वहां की परिस्थितियों से सामंजस्य बिठाना भी महत्वपूर्ण होगा.

दीपिका ने कहा, ‘लंदन में मौसम लगातार बदल जाता है और इसलिए हमारे लिये वहां की परिस्थितियों से सामंजस्य बिठाना महत्वपूर्ण होगा. तीरंदाजी प्रतियोगिता लॉर्ड्स में होगी और इससे हर कोई रोमांचित है.’

दीपिका ने कहा कि अभी वह अपनी कमजोरियों को सुधारने पर ध्यान दे रही हैं. अभी हमारा पूरा ध्यान ट्रेनिंग और अपनी तकनीक में जितना संभव हो सकते सुधार करने पर है. मैं अपनी कमियों को सुधारने की कोशिश कर रही हूं.

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