पूरे देश में होली की उमंग के बीच लोगों पर सियासत का रंग भी गहरा चढ़ता नजर आ रहा है. पांच राज्यों में चुनाव पूरे होने के बाद अब जनता की निगाहें इस बात की ओर टिकी हैं कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कौन आसीन होगा.
खासकर उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री कौन बनेगा, इस बात पर अभी भी सस्पेंस कायम है. वैसे प्रदेश में सरकार बनाने के लिए मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव के साथ राज्यपाल से मुलाकात कर चुके हैं. यह तो यह है कि 12 मार्च को शपथ ग्रहण समारोह होगा, पर पार्टी ने अभी मुख्यमंत्री का नाम नहीं घोषित किया है.
लखनऊ में बुधवार को समाजवादी पार्टी की मीटिंग से गायब रहने पर आजम खान ने चौंकाने वाला बयान देते हुए कहा कि उन्हें कुछ नहीं कहना है, वे अपने लोगों से मुलाकात कर रहे हैं.
दूसरी ओर, उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव में खंडित जनादेश प्राप्त होने के चलते सरकार के गठन पर अनिश्चितता बरकरार है. कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) दोनों दल सरकार बनाने के लिए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और निर्दलीय विधायकों को अपनी तरफ लुभाने में जुट गए हैं.
कांग्रेस का कहना है कि विधानसभा की 70 सीटों में से सर्वाधिक 32 सीटें जीतने पर सरकार बनाने के लिए पहले उसे आमंत्रित किया जाना चाहिए. कांग्रेस को साधारण बहुमत पाने के लिए तीन विधायकों की कमी है.
वहीं, भाजपा का कहना है कि वह भी सरकार बनाने की दौड़ में है और बहुमत जुटाने के लिए वह गैर-कांग्रेसी विधायकों से सम्पर्क में है.
ज्ञात हो कि नवनिर्वाचित विधानसभा में तीन निर्दलीय, बसपा के तीन और उत्तराखण्ड क्रांति दल-पंवार का एक सदस्य है. राज्य में सरकार बनाने में ये विधायक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.
इस बीच, नई दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि पार्टी के पास संख्याबल है और सरकार बनाने के लिए उसे आमंत्रित किया जाना चाहिए.
उधर, चुनावों में 31 सीटों पर जीत दर्ज करने वाली भाजपा ने भी निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार बनाने का दावा किया है. राज्य में सरकार बनाने की रणनीति पर चर्चा करने के लिए भाजपा के पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह और अनंत कुमार बुधवार को देहरादून पहुंच चुके हैं.