सहारा समूह ने क्रिकेट बोर्ड और आईपीएल से नाता तोड़ने के अपने फैसले को सही करार देते हुए कहा कि दोनों पक्षों के बीच संबंध इतने तनावपूर्ण हो गए थे कि साथ चलना अब बहुत मुश्किल था.
सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ‘संबंध तोड़ने का हमारा फैसला गलत नहीं है. हमने बहुत बर्दाश्त किया. कोई रिश्ता सिर्फ एक मसले पर नहीं टूटता है. हमारा लंबा संबंध रहा है. इसमें कई मसले जुड़े रहे और यह कई दिनों से चल रहा था.’
उन्होंने कहा, ‘कई बातें थी लेकिन बीसीसीआई ने नीलामी की शुरुआत करने जैसी छोटी सी बात पर ध्यान नहीं दिया. सहारा ने जब बोली पहली बार लगाई थी तब भी उन्होंने नहीं सुनी. दूसरी टीमों के लिये नियम तोड़े गए लेकिन हमें न्याय नहीं मिला.’
सुब्रत रॉय ने कहा कि सहारा ने मध्यस्थता के जरिये मामला सुलझाने के लिये बीसीसीआई से संपर्क किया था और मध्यस्थ का भी प्रस्ताव रखा था लेकिन क्रिकेट बोर्ड ने दिलचस्पी नहीं ली. उन्होंने कहा, ‘हमने मध्यस्थ का नाम भी सुझाया था.’
उन्होंने कहा कि मैचों की संख्या 94 से घट गई लेकिन पुणे वारियर्स ने फ्रेंचाइजी खरीदने के लिये बीसीसीआई को 25 प्रतिशत अधिक भुगतान किया. उन्होंने कहा, ‘पहले 94 मैचों के आधार पर गणना की गई थी. गेट मनी और विज्ञापन से मिलने वाला पैसा 25 प्रतिशत अधिक होता. हमने 25 प्रतिशत अधिक भुगतान किया.’
सुब्रत राय ने कहा कि वह किसी को दोष नहीं देना चाहते लेकिन बीसीसीआई और आईपीएल से नाता तोड़ने का फैसला उन्होंने इसलिये लिया क्योंकि यह भावनात्मक मसला है. उन्होंने कहा, ‘मैं किसी को दोष नहीं दे रहा. मुझे लगा कि ऐसा करने से हमें खुशी मिलेगी. यह भावनात्मक मामला है. हम सारा पैसा गांवों में खेलों के विकास में लगायेंगे.’