किसी ने सच ही कहा है कि मन के हारे हार है, मन के जीते जीत. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में समाजवादी पार्टी (सपा) को छोड़कर प्रमुख राजनीतिक दलों के दफ्तरों में सोमवार को कुछ ऐसा ही नजारा दिखा.
चुनावी सर्वेक्षणों के बाद सपा कार्यालय में जहां सत्ता पाने की सुगबुगाहट के बीच होली आने से पहले ही त्योहार सरीखा माहौल दिखा तो बाकी दलों के दफ्तरों में कमोबेश अटकलों का बाजार ही गर्म था.
सबसे पहले बात सत्ताधारी दल बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की. यूं तो बसपा के कार्यालय में चहल पहल आम दिनों में भी नहीं दिखती लेकिन मतगणना के एक दिन पहले यहां कुछ छुटभैये नेता जरूर नजर आए, जो अटकलों की दुनिया में गोता लगा रहे थे. कुछ नेता वहां मौजूद कार्यकर्ताओं को यही समझाने की कोशिश कर रहे थे कि मतदान बाद सर्वेक्षणों से निराश होने की जरूरत नहीं है, जीत हमारी होगी इसलिए मंगलवार को मतगणना केंद्र पर पूरी मुस्तैदी के साथ डटे रहना है.
बसपा नेता से यह पूछने पर कि सपा कार्यालय में तो होली से पहले ही होली का माहौल दिखाई दे रहा है लेकिन यहां तो हाल कुछ अलग ही है, तो उसने हंसते हुए कुछ यूं जवाब दिया, 'वे लोग खुशफहमी में हैं और कोई यदि खुशफहमी में रहना चाहे तो उसे रोका भी नहीं जा सकता. मंगलवार को दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. सारी खुशफहमी धरी की धरी रह जाएगी.'
कांग्रेस के प्रदेश कार्यालय की बात करें तो यहां हमेशा ही बड़ी-बड़ी गाड़ियों की लम्बी कतारें दिखाई देती थीं लेकिन सोमवार का माहौल एकदम उलट दिखा. यहां के एक कर्मचारी से पूछने पर कि क्या बात है छुट्टी जैसा माहौल दिख रहा है तो उसने कहा, 'हां मतगणना की तैयारियों में लोग व्यस्त हैं.' उससे जब यह पूछा कि चुनावी सर्वेक्षणों में तो पार्टी को काफी कम सीटें मिलती दिख रही हैं कहीं उसी का असर तो नहीं तो उसने कहा, 'राहुल बाबा के आने के बाद बड़ी उम्मीदें थीं लेकिन लगता है सपना इस बार भी अधूरा ही रह जाएगा.'
भाजपा कार्यालय में माहौल उतना उदास तो नहीं था लेकिन नेता ये उम्मीद लगाए हुए हैं कि पार्टी 150 के आंकड़े तक पहुंच सकती है. यहां नेता विधानसभावार एक-एक सीट पर हार जीत का लेखा जोखा लगा रहे थे, लेकिन बसपा और सपा के कार्यालयों के उलट यहां मतगणना से एकदिन पूर्व की गहमागहमी दिख रही थी.
अंत में बात समाजवादी पार्टी की. उसके कार्यालय में तो अलग तरह का माहौल दिखा. वहां मौजूद हर व्यक्ति उत्साह से भरा दिखाई दे रहा था. ऐसा लग रहा था जैसे सपा ने परिणाम आने से पहले सच में ही अपने आप को विजेता मान लिया है. कार्यालय में मौजूद एक नेता से पूछा कि क्या बात है यहां तो उत्सव जैसा माहौल दिखायी दे रहा है, तो उन्होंने कहा कि बस विजयी शंखनाद होने की देर है, सब कुछ तैयार है.