बीजिंग में कांस्य पदक जीतने वाले मुक्केबाज विजेंदर सिंह अपने तीसरे ओलंपिक के लिये तैयार हैं और देशवासियों की उम्मीदों के दबाव से चिंतित नहीं हैं.
भारतीय मुक्केबाजी के लिये बीजिंग ओलंपिक के कांस्य पदक ने स्वर्ण पदक का ही काम किया था. विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर देश को इस चैंपियनशिप में पहला पदक दिलाने वाले 25 वर्षीय उम्मीदों से भली भांति वाकिफ हैं लेकिन वह इससे बारे में ज्यादा नहीं सोचना चाहते.
हरियाणा के विजेंदर (75 किग्रा) ने कहा, ‘मैं समझ सकता हूं कि काफी उम्मीदें लगी होंगी लेकिन मैं इनके बारे में सोचना जारी नहीं रखना चाहता. मेरा काम ट्रेनिंग पर ध्यान लगाना है और बाकी काम भगवान पर छोड़ना है. मैं किसी भी बड़े टूर्नामेंट से पहले इन चीजों पर सोचना बंद कर देता हूं.’
विजेंदर ने इस बार काफी मुश्किल से ओलंपिक के लिये क्वालीफाई किया है, जिसमें वह पहले दो प्रयासों में विफल रहे थे और अप्रैल में एशियाई ओलंपिक क्वालीफायर के तीसरे और अंतिम मौके में ओलंपिक का टिकट कटा सके.
लेकिन विजेंदर इन प्रयासों को सकारात्मक रूप में ही देखना चाहते हैं.
उन्होंने कहा, ‘यह सीखने की प्रक्रिया का हिस्सा था. इससे मुझे प्रतिस्पर्धी के रूप में मजबूत बना दिया.’
उन्होंने कहा, ‘हां, उतार का दौर भी आता है लेकिन अंतरराष्ट्रीय एथलीट के लिये उतार चढ़ाव खेल का हिस्सा होता है. आप इससे बच नहीं सकते. मैं खुश हूं कि मैं इससे उबर सका.’
विजेंदर ने कहा, ‘अब मेरा लक्ष्य एक और ओलंपिक पदक है क्योंकि मुझे इसी के लिये याद रखा जायेगा. तीन बार का ओलंपियन बनना ठीक है लेकिन अगर दो बार पदक जीत जाउंगा तो यह इससे बेहतर होगा.’