सचिन तेंदुलकर ने पहली बार स्वीकार किया है कि 1999-2000 के मैच फिक्सिंग प्रकरण का असर उनके प्रदर्शन पर पड़ा और भारतीय टीम को कठिन तथा दर्दनाक दौर से गुजरना पड़ा क्योंकि ‘दर्शक उन्हें संदेह की नजर से देखने लगे थे. तेंदुलकर ने कहा कि भारत के 1999-2000 के आस्ट्रेलिया दौरे पर उनकी मनोदशा सही नहीं थी.
सचिन ने एक इंटरव्यू में कहा कि मुझसे कभी किसी ने संपर्क नहीं किया और ना ही टीम बैठकों में हमने इस बारे में कोई बात की. उन्होंने कहा कि मुझे याद है कि 1999-2000 में आस्ट्रेलिया दौरे पर हमारा खेलना मुश्किल हो गया था. श्रृंखला से पहले ऐसी बातें होने लगी थी और एक क्रिकेटर के तौर पर कोई यह सुनना नहीं चाहता.
तेंदुलकर ने कहा कि आप चाहते हैं कि खेल पाक साफ रहे. मैं चाहता था कि लोग हमें संदेह की नजर से ना देखें और खेल का मजा लें. इसके लिये खिलाड़ियों की मनोदशा सही होनी जरूरी थी जो उस समय नहीं थी.
उन्होंने कहा कि हमें मैच में लोग ताने मारते थे. मुझे और पूरी टीम को बहुत अपमान महसूस होता था. तेंदुलकर का मानना है कि अपनी धरती पर आस्ट्रेलिया को 2-1 से हराना निर्णायक मोड़ रहा. उन्होंने कहा कि मुझे यकीन था कि आस्ट्रेलिया के खिलाफ हमारे बेहतरीन प्रदर्शन से क्रिकेटप्रेमी अतीत की बातों को भूल जायेंगे और खेल का मजा लेने लगेंगे. भगवान की कृपा से हम ऐसा कर सके.
तेंदुलकर ने कहा कि हम मुंबई में पहला मैच हार गए लेकिन कोलकाता में दूसरा मैच विकट परिस्थितियों में जीतकर श्रृंखला में बराबरी की. आखिरी मैच जीतकर हमने श्रृंखला अपने नाम की. इससे क्रिकेट प्रेमी उस बुरे अध्याय को भूलने को मजबूर हो गए. मैच फिक्सिंग के भयावह दौर को याद करते हुए बाकर ने बताया कि दक्षिण अफ्रीकी बोर्ड से सटोरियो ने संपर्क किया था.
उन्होंने कहा कि सटोरियो ने हमसे सीधे संपर्क करके टीम बैठकों में खिलाड़ियों से उनकी पेशकश स्वीकार करने को कहा था. आईसीसी की कुछ बैठकों में मैने यह मसला उठाया भी लेकिन मुझसे गवाह और सबूत मांगे गए. इस पर बातचीत नहीं हुई.