भारत और वेस्टइंडीज के बीच मौजूदा टेस्ट श्रृंखला में खराब अंपायरिंग को लेकर विवाद में नया मोड़ आ गया जब पता चला कि दूसरे मैच के पहले दिन महेंद्र सिंह धोनी को नोबाल पर आउट दे दिया गया.
इससे एक बड़ा विवाद पैदा हो सकता है. टीवी रिप्ले को यह जांच करने के लिये कहा गया है कि फिडेल एडवर्डस की वह गेंद दिखाई गई थी या नहीं जो नोबाल थी. इसकी जगह कोई वैध गेंद तो नहीं दिखाई गई ताकि धोनी को आउट करार दिया जा सके.
धोनी को जमैका में पहले टेस्ट में भी नोबाल पर आउट दिया गया था. दूसरे मैच में एडवर्डस के 15वें ओवर और पारी के 59वें ओवर में धोनी ने मिडआन में शिवनारायण चंद्रपाल को कैच थमाया.
धोनी पवेलियन की ओर जाने लगे जब अंपायर इयान गूड ने उन्हें रुकने के लिये कहा. वह तीसरे अंपायर से जानना चाहते थे कि गेंद नोबाल तो नहीं थी.
रिप्ले में बताया गया कि एडवर्डस का अगला पैर क्रीज के भीतर था लेकिन यह वही गेंद नहीं थी बल्कि पिछली वैध गेंद थी जिसे टीवी रिप्ले पर दिखाया गया ताकि धोनी को आउट दिया जा सके. असली गेंद वाकई नोबाल थी.
उस समय भारत का स्कोर पांच विकेट पर 167 रन था. धोनी के आउट होने के बाद पूरी टीम 201 रन पर सिमट गई.
भारत ने शुरू से अंपायरों के फैसले की समीक्षा प्रणाली खास तौर पर ट्रैकर सिस्टम का विरोध किया है. धोनी के विकेट की दशा में प्रसारक के लिये रिप्ले दिखा रहे प्रोड्यूसर ने एडवर्डस की नोबाल की जगह गलती से कोई दूसरी गेंद दिखा दी.
भारतीय टीम सुरेश रैना (53) को गलत आउट दिये जाने से पहले ही खफा थी जिसने वीवीएस लक्ष्मण (85) के साथ पांचवें विकेट के लिये 117 रन जोड़े.
अंपायर असद रउफ ने रैना को कैच आउट करार दिया जबकि फारवर्ड शार्टलेग पर गेंद रैना के दस्तानों से नहीं बल्कि जांघ से टकराकर गई थी. रैना फैसले के विरोध में खड़े रहे जिसकी वजह से उन्हें मैच फीस का 25 प्रतिशत जुर्माना भरना पड़ा.
पहले टेस्ट में धोनी ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि अंपायरों के छह फैसले उनकी टीम के खिलाफ गए हैं. ये सभी फैसले अंपायर डेरिल हार्पर से जुड़े थे. हार्पर ने भारतीय टीम के विरोध के बाद तीसरे और आखिरी टेस्ट में अंपायरिंग से इनकार कर दिया.