इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के मंच से पूर्वोत्तर की कई हस्तियों ने कहा कि कोई अपने घर के अंदर बीफ खाता है या नहीं खाता है, यह उसकी मर्जी है. इसमें सरकार को दखल नहीं देना चाहिए और सरकार को यह नहीं तय करना चाहिए कि कोई क्या खाए या न खाए.
त्रिपुरा कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष प्रद्योत बिक्रम मानिक्य देबबर्मा ने कहा, 'पूर्वी भारत किसी एक संस्कृति से नहीं जुड़ा है, कुछ लोग बीफ, कुछ जगह लोग पोर्क, तो कुछ इलाके में लोग मिथुन मीट खाते हैं. लोग अपने घर के अंदर क्या खाते हैं, यह सरकार को नहीं तय करना चाहिए.'
प्रदयोत बिक्रम देबबर्मा ने कहा, 'बंगाली खान-पान का विस्तार हो रहा है, बंगाली दूसरे तरह के फूड को स्वीकार कर रहे हैं, जो टेस्टी हो. बंगाली समाज इस मामले में बहुत समावेशी है. त्रिपुरा के लोग बंगाली, नगा, मेघालय सब जगह के फूड को पसंद करते हैं. अब त्रिपुरा में आपको जगह-जगह नॉर्थ ईस्ट रेस्टोरेंट दिखते हैं. मैंने कभी बीफ नहीं खाया, लेकिन मेरे रिश्तेदार खाते हैं. मेरा हिंदू धर्म ऐसे मामले में किसी को कुछ भी नहीं दखल देता, यदि वह घर के अंदर कुछ खाता है. पूर्वी भारत के ब्राह्मण मटन और मछली खाते हैं.' देबबर्मा ने कहा कि बीफ के मामले में बीजेपी दोहरा रवैया अपना रही है. कांग्रेस उतना भेदभाव नहीं करती, जितना मौजूदा सरकार कर रही है.
रेस्टोरेंट चेन क्यूपीज की ओनर राखी दासगुप्ता ने कहा, ' लोग क्या खाएं या न खाएं यह सरकार को नहीं तय करना चाहिए, यह लोग खुद तय करें. दासगुप्ता ने कहा कि कोलकाता में बीफ हर जगह मिलती है और इस पर कोई रोक नहीं है.
मछली खाने की वजह से ज्यादा सुंदर होती हैं बंगाली औरतें!
एक्टर और पेंटर मोबानी सरकार ने लाइट मूड में कहा कि मछली खाने की वजह से ही बंगाली औरतें ज्यादा सुंदर होती हैं. ब्यूरोक्रेट अत्री भट्टाचार्य भोजन के मामले में बंगाली काफी समावेशी हैं. बिरयानी यहां का अब एक लोकप्रिय फूड हो चुका है. अत्री ने कहा कि मैं ऐसी पार्टी को वोट बिल्कुल नहीं दूंगा जो मुझे मेरी पसंद का खाना ही न खाने दे.
बलराम मलिक ऐंड राधारमन मलिक के ओनर सुदीप मलिक ने पश्चिम बंगाल की मिठाइयों पर जीएसटी लगाने का मसला उठाया. उन्होंने कहा कि पहले इन पर कोई टैक्स नहीं था.