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केपटाउन: मैच ड्रॉ कराने में सफल रहा ‘रक्षात्मक’ भारत

वीरेंद्र सहवाग का बल्ला शाट मारना भूल गया था और सचिन तेंदुलकर के बल्ले से रन नहीं निकल रहे था. यह आलम था न्यूलैंड्स मैदान का जहां दुनिया में नंबर एक भारत बेहद रक्षात्मक रवैया अपनाकर गुरुवार को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ तीसरा और अंतिम टेस्ट क्रिकेट मैच ड्रॉ करवाने में सफल रहा.

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वीरेंद्र सहवाग का बल्ला शाट मारना भूल गया था और सचिन तेंदुलकर के बल्ले से रन नहीं निकल रहे था. यह आलम था न्यूलैंड्स मैदान का जहां दुनिया में नंबर एक भारत बेहद रक्षात्मक रवैया अपनाकर गुरुवार को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ तीसरा और अंतिम टेस्ट क्रिकेट मैच ड्रॉ करवाने में सफल रहा.

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भारत के सामने दक्षिण अफ्रीकी सरजमीं पर पहली बार श्रृंखला जीतकर नया इतिहास रचने के लिये 340 रन का लक्ष्य था लेकिन उसके बल्लेबाज शुरू से ही ड्रॉ की सोच के साथ मैदान पर उतरे और उन्होंने दिन भर में 82 ओवर में तीन विकेट पर 166 रन बनाकर तीन मैचों की श्रृंखला 1-1 से बराबर करवाना उचित समझा.

गौतम गंभीर ने ड्रॉ करवाने के भारतीय अभियान की अगुवाई की. उन्होंने लगभग साढ़े चार घंटे बल्लेबाजी करके 184 गेंद पर 64 रन बनाये. तेंदुलकर ने ढाई घंटे में 91 गेंद पर नाबाद 14 रन जबकि राहुल द्रविड़ ने भी इतने ही समय में 112 गेंद पर 31 रन बनाये. भारतीयों में केवल वीवीएस लक्ष्मण (नाबाद 32) का स्ट्राइक रेट (47.76) बेहतर रहा. {mospagebreak}

दक्षिण अफ्रीका ने 80 ओवर बाद नयी गेंद ली लेकिन केवल दो ओवर के बाद दोनों टीमें मैच ड्रा कराने पर सहमत हो गयी. भारत इस तरह से पहली बार दक्षिण अफ्रीका में श्रृंखला बराबर कराने में सफल रहा. दक्षिण अफ्रीका ने सेंचुरियन में खेला गया पहला टेस्ट मैच पारी और 25 रन से जीता था जिसमें तेंदुलकर ने 50वां शतक लगाकर इतिहास रचा था.

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भारत ने डरबन में लक्ष्मण के बेहतरीन प्रयास से दूसरा टेस्ट मैच 87 रन से जीतकर श्रृंखला बराबर करायी थी. अब दोनों टीमों के बीच एकमात्र ट्वेंटी-20 और फिर पांच एकदिवसीय मैचों की श्रृंखला खेली जाएगी. आलम यह था कि अपने विस्फोटक तेवरों के लिये मशहूर सहवाग लगभग एक घंटे पर क्रीज पर बिताने और 40 गेंद खेलने के बावजूद केवल 11 रन बना पाये.

श्रृंखला में कोई बड़ी पारी नहीं खेल सके सहवाग को चोटिल जाक कैलिस की जगह क्षेत्ररक्षण कर रहे जेपी डुमिनी ने जीवनदान भी दिया. सहवाग इसका फायदा नहीं उठा पाये और मोर्कल की गेंद पर पहली स्लिप में कप्तान ग्रीम स्मिथ को कैच देकर पवेलियन लौटे.{mospagebreak} गंभीर भी न्यूजीलैंड के खिलाफ 2009 में वेलिंगटन में अपने कारनामे को दोहराने के मूड में दिखे. तब उन्होंने लगभग साढ़े दस घंटे क्रीज पर बिताकर भारत की हार टाली थी. वह बीच में 31 गेंद तक 62 रन पर अटके रहे और इस बीच उन्हें दो जीवनदान भी मिले.

अपनी रक्षात्मक बल्लेबाजी के कारण ‘भारतीय दीवार’ का विशेषण पाने वाले द्रविड़ तो ऐसी परिस्थितियों में खेलने के आदी हैं और उन्होंने भी गंभीर के साथ क्रीज पर समय बिताने को ही तरजीह दी. इन दोनों ने कभी कभार ही आक्रामक शाट खेले और आफ स्टंप से बाहर जाती गेंदों को खेलने से बचते रहे.

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पहली पारी में 93 रन बनाने वाले गंभीर ने डेल स्टेन की गेंद को कट करके सीमा पार भेजकर अपना अर्धशतक पूरा किया. दक्षिण अफ्रीका की तरफ से दोनों पारियों में शतक जड़ने वाले कैलिस पसली में चोट के कारण मैदान पर नहीं उतर पाये और इसलिये बीच में स्मिथ ने पांचवें गेंदबाज की भूमिका निभायी. हैरिस की कुछ गेंदों को रफ एरिया से असमान उछाल मिली जिससे बल्लेबाजों को थोड़ी परेशानी भी हुई.

हैरिस ने द्रविड़ के खिलाफ पगबाधा की विश्वसनीय अपील की लेकिन अंपायर इयान गाउल्ड ने उसे ठुकरा दिया. रीप्ले से लग रहा था कि तब गेंद मिडिल स्टंप पर लग रही थी. द्रविड़ (31) को हालांकि चाय के विश्राम से कुछ देर पहले लोनवाबो सोतसोबे ने उन्हें आउट करके दक्षिण अफ्रीका को जरूरी सफलता दिलायी. द्रविड़ ने शार्ट पिच गेंद को रक्षात्मक रूप से खेलने का प्रयास किया लेकिन वह उनके बल्ले का किनारा लेकर तीसरी स्लिप में एशवेल प्रिंस के हाथों में चली गयी.

गंभीर एबी डिविलियर्स और एल्विरो पीटरसन ने जीवनदान भी दिये. गंभीर की इस संघषर्पूर्ण पारी का अंत आखिर में स्टेन ने किया जिनके लेग साइड की तरफ जा रहे बाउंसर पर बल्ला अड़ाने के चक्कर में उनका ग्लब्स लग गया और विकेट के पीछे बाउचर ने उसे कैच में तब्दील कर दिया. तेंदुलकर भी अंगद की तरह पांव जमाने के उद्देश्य से ही क्रीज पर उतरे थे. बीच में उन्होंने 25 और फिर 34 गेंद खेलकर कोई रन नहीं बनाया. लक्ष्मण ने हालांकि इस बीच कुछ अच्छे शाट लगाये जिनमें सोतसोबे के एक ओवर में लगाये गये दो चौके भी शामिल हैं.

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