पंचायत आज तक के आखिरी सेशन में लोकसभा चुनावों से पहले अहम चर्चा हुई. बीजेपी के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के खास माने जाने वाले अमित शाह और वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश आमने-सामने थे.
बीजेपी पर ध्रुवीकरण का आरोप लगता है?
अमित शाह: हम नहीं चाहते, चुनाव पोलराइज हों. विधानसभा के जैसे ही यूपी में चुनाव आए, सबने अल्पसंख्यकों के रिजर्वेशन की बात की. जबकि ये संविधानसम्मत नहीं है. बीजेपी छोड़ बाकी सबने इसका प्रयत्न किया.
अभी अभी सपा ने 21 आतंकवादियों को, जिनके खिलाफ देशद्रोह के मुकदमे लगे हैं. उन्हें वापस लेने के लिए कानून विभाग की सलाह ली. इस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रोक लगाई.
जयराम रमेश: ये आज कह रहे हैं कि इन्होंने कभी ध्रुवीकरण की राजनीति नहीं की. ये गलत है. मैं स्वागत करता हूं कि जीडीपी, शिक्षा, स्वास्थ, लिंगानुपात पर बात हो. हम स्वागत करते हैं. मगर ऐसा होता नहीं है.
ये संविधान विरोध की बात कर रहे हैं. केरल और कर्नाटक में अल्पसंख्यक को आरक्षण दिया गया है. ये वो अल्पसंख्यक हैं, जो पिछड़े हैं. और ये अचानक नहीं हुआ है. ये कई साल से हमारे घोषणापत्र में है. पर हम अभी तक सफल नहीं रहे.
सवाल (जयराम से): कांग्रेस पर आरोप लगता है कि आप मोदी की शक्ल दिखाकर अल्पसंख्यकों को खौफजदा कर रहे हैं. ये नकारात्मक राजनीति है.
जयराम: हमारी मजबूरी है, उन पर बात करना. क्योंकि वह बीजेपी के पीएम कैंडिडेट हैं. मेरी कोशिश रहती है कि तू तू मैं मैं के बजाय मुद्दों पर बात हो. मोदी फासिस्ट हैं या डिक्टेटर हैं या भस्मासुर हैं. ये राजनीति की भाषा है. मगर आप देखिए किस तरह उन्होंने असेंबली से विधायकों को बाहर हटाया है. 2004 में बीजेपी इंडिया शाइनिंग पर चली. अभी 2014 में गुजरात शाइनिंग पर चली. इस पर हम विचार करने को तैयार हैं. क्या खूबियां और खामियां हैं.
सवाल (अमित शाह से): कई कॉरपोरेट खुश हैं. मगर कई ह्यूमन डिवेलपमेंट इंडेक्स में आप पिछड़ रहे हैं?
अमित शाह: आंकड़ों के जंगल में मत उलझिए. सबको मेरी चुनौती है. गुजरात के किसी भी गांव में किसी भी समय थ्री फेज पावर 24 घंटे नहीं मिले, तो मोदी को वोट मत दीजिएगा. जब हमने टेकओवर किया 11 हजार गांवों में टैंकर से पानी जाता था. आज सिर्फ सात गांवों में जाता है. जब हमने टेकओवर किया, तब से अब तक 22 फुट पानी भूजल स्तर में ऊपर आया है. जंगल बढ़े हैं. हमारे टेकअप के बाद गरीबी और कुपोषण कम हुआ है. लगभग 35 फीसदी फर्क आया है. इन सबको आप विकास नहीं करेंगे. योजनाएं बनी हैं. कुछ ही सालों में हम इसमें भी नेशनल एवरेज को क्रॉस कर जाएंगे.
गुजरात में 98 फीसदी गांव रोड से जुड़ सकते हैं. एक भी गांव ऐसा नहीं, जिसमें तीन से कम स्कूल में कमरे बने हों. एक भी ऐसा कमरा नहीं, जिसमें टीचर न हो.
जयराम रमेश: ये तो कमर्शल की तरह हो गया. ये सही आंकड़े नहीं हैं
अमित शाह: जयराम भाई ये कोई कमर्शल बात नहीं है. अगर गरीब के घर बिजली पहुंच रही है. पानी पहुंच रहा है. 108 की सुविधा पहुंचाना. कोई कमर्शल बात नहीं है. आपने ह्यूमन इंडेक्स की बात है. हां हम पिछड़े हैं. उसमें 2006- 20012 तक के आंकड़ों में हमने सुधार किया है.
सवाल (अमित शाह से): कई इंडेक्स में आप पिछड़ रहे हैं?
शाह: ये सैंपल सर्वे हैं. इन्हें जयराम जी की ही टीम बनाती है. सवाल ये नहीं है कि गुजरात में विकास हुआ है या नहीं. सब स्वीकार करते हैं. मैं स्वीकार करता हूं कि गुजरात में विकास हुआ.
1980 में गुजरात हिंदुस्तान में चौथे नंबर पर था. पर कैपिटा इनकम में. 2012 में गुजरात तीसरे नंबर पर है. तमिलनाडु आठवें नंबर पर था. पांचवे पर आया है. केरल सातवें से चौथे पर आया है. ये बात नहीं है कि गुजरात में विकास नहीं हो रहा. ये कहना कि हिंदुस्तान में सिर्फ गुजरात मॉडल काम करेगा. मैं इसका खंडन करता हूं. हमारे देश में केरल और तमिलनाडु का मॉडल है. बिहार में भी विकास दिखाई दे रहा है. आप उस गठबंधन सरकार का एक अंग थे.
मगर सोशल इंडेक्स पर आप कहां हैं. लिंग अनुपात में सब पंजाब और हरियाणा की बात करते हैं. 2011 की जनगणना में लिंगानुपात गुजरात का हरियाणा के बराबर हो गया. इसके लिए आप जिम्मेदार नहीं हैं. मगर पूरा सच तो बताइए.
सवाल (जयराम से): सच्चर कमेटी की मानें तो गुजरात के मुसलमान सबसे ज्यादा 73 फीसदी शिक्षत हैं. कमाई सबसे ज्यादा गुजरात के मुसलमानों की है. सरकारी नौकरी में सबसे ज्यादा मुसलमान गुजरात में हैं. ये आपकी सरकार के आंकड़े हैं और आप उनका खौफ दिखाते हैं.
जयराम: जो मोटे तौर पर आर्थिक स्थिति बेहतर है, वहां मुसलमान भी बेहतर हैं. जब सच्चर कमेटी की रिपोर्ट आई थी. तब मैंने विश्लेषण किया था. कर्नाटक, केरल वगैरह में ओवरऑल बेहतर था, तो मुसलमानों को भी हुआ. मगर महाराष्ट्र की बात करें तो दक्षिण भारत की तुलना में विकास नहीं हुआ.
मैं आपको एक सवाल पूछ रहा हूं. गुजरात के 182 विधायकों में से कितने मुसलमान हैं.
अमित शाह: गुजरात का चुनाव आ रहा है या देश का आ रहा है. चुनाव आ रहा है देश का. देश की जनता 10 साल के यूपीए शासन के आधार पर निर्णय करने जा रही है. उनके नेता, उनके काम पर जवाब मांगा जाएगा.
जयराम रमेश: चुनाव प्रचार में हम इन सब सवालों का तगड़ा जवाब देंगे.
गुजरात दंगों की एसआईटी जांच के सवाल पर.
जयराम रमेश: बरी करते हुए भी कोर्ट ने यही कहा कि मुकदमा नहीं चलाया जा सकता. मगर आपराधिक लिप्तता को नकारा नहीं जा सकता.
अमित शाह: जाकिया जाफरी केस में एसआईटी ने साफ साफ कहा कि प्रॉसीक्यूट करने लायक कुछ नहीं है. जाफरी ने आरोप लगाया है. आठ मामलों में. जिसमें बड़े हादसे हुए थे. उन्होंने कहा कि पूरा षडयंत्र है. उन्होंने आरोप लगाया कि स्टेट मशीनरी के बडे बड़े अफसर, मंत्री और सीएम शामिल हैं.
इस एसआईटी को बनाने में, उसका कार्यक्षेत्र तय करने में गुजरात सरकार का कोई रोल नहीं है. रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के पास जाती है. रिपोर्ट में लिखा जाता है कि प्रॉसीक्यूट करने लायक सबूत नहीं है. कोर्ट कहता है कि सही कोर्ट में दाखिल करिए. इसे चेलैंज भी किया जा सकता है. इसके बाद लोअर कोर्ट में फैसला आ गया. उसमें भी मोदी जी बरी हो गए. मगर कांग्रेस अभी भी मुद्दा उठा रही है. इसे ही हम ध्रुवीकरण कहते हैं. मगर इससे घोटाले का, महंगाई का, मुद्रा स्फीति का मुद्दा नहीं टाला जा सकेगा. प्लीज मुद्दों पर आ जाइए. जनता हिंदू मुस्लिम के मुद्दे से आगे निकल चुकी है. मगर आप अभी भी वहीं अटके हैं.
जयराम रमेश: असली एजेंडा तो आपका वहीं है. ये जीडीपी की बात तो मुखौटा है.
अमित शाह: अगर परफॉर्मेंस के आधार पर किसी एक पार्टी को सबसे ज्यादा जनादेश मिला है, तो वह बीजेपी को मिला है.
सवाल (अमित शाह से): कानून कचहरी एक तरफ, मानवता एक तरफ. जिसने जो भी किया. जिसकी भी गलती. मगर मुख्यमंत्री होने के नाते क्या नरेंद्र मोदी की ये जिम्मेदारी नहीं. कि एक बार दंगा पीड़ितों से मिलें.
शाह: जब दंगा हुआ, मोदी जी ने आठ मुस्लिम कैंपों का और सात हिंदू कैंपों का विजिट किया था. उस वक्त राहत शिविर में जितने भी माइनॉरिटी कमेटी के लोग थे सबसे मिले. तीन तीन घंटे बात की. इसका रेकॉर्ड है. मगर अपप्रचार चलाया जा रहा है. इसके लिए तो आरटीआई की भी जरूरत नहीं. मैं ही आपको उपलब्ध करा दूंगा.
जयराम: और उनके ऑफिस से तीन किलोमीटर दूर गुलबर्गा सोसाइटी है. वहां दंगा हो रहा है.
अमित शाह: आप गलतफहमी में जी रहे हैं. ऑफिस से तीस किलोमीटर दूर है. और रही कैंप की बात, तो वह दंगे के बाद बनाए गए.
सवाल (जयराम से): 2002 पर आप आग बबूला हो जाते हैं. मगर 84 के दंगों पर बताइए किसको सजा मिली? जयराम रमेश: 84 के दंगों का कोई समर्थन नहीं कर सकता. नरसंहार था. इंदिरा जी को कहा गया था, आप अपने सुरक्षा बल बदलिए. उन्होंने नहीं बदले. 2002 के दंगों का विचारधारा एक द्वेष का विचारधारा था.
अमित शाह: खुद राजीव गांधी ने कहा था कि बड़ा पेड़ गिरता है. तब धरती मिल रही है. बड़ा पेड़ मतलब इंदिरा जी. और धरती मतलब सिख.
जयराम रमेश: हमारे अध्यक्ष ने सात आठ साल पहले गोल्डन टैंपल में माफी मांगी थी
सवाल: मगर इंसाफ नहीं दिया
जयराम रमेश: हां, ये सही सवाल है. मगर मोदी के खिलाफ कोई सजा हुई क्या. माया कोडनानी के खिलाफ मामला चल रहा है.
अमित शाह: और उन्हें सजा हुई. गुजरात में ही मामला चलकर हुई. आप बताएं सज्जन कुमार और जगदीश टाइटलर मामले में क्या हुआ.
जयराम रमेश: अगर अदालत से सजा हुई तो नहीं बचेंगे. मोदी ने तो कभी माफी भी नहीं मांगी.
अमित शाह: मोदी जी ने बार बार कहा है कि अगर अपराध हुआ है, तो सिर्फ माफी से काम नहीं चलेगा. सीआरपीसी के तहत मामला दर्ज होना चाहिए.
कांग्रेस कैसे काम करती है. जब 84 का नरसंहार हुआ, तो मनमोहन सिंह जो उस वक्त वित्त मंत्रालय में काम करते थे. उनको पकड़कर माफी मंगवा दी.
जयराम रमेश: मनमोहन सिंह ने 2005 में सदन में माफी मांगी.
अमित शाह: उससे क्या फर्क पड़ता है. न्याय तो नहीं मिला न सिखों को. और मसला वही है कि चुनाव यूपीए की परफॉर्मेंस पर होगा. चुनाव चाहे ध्रुवीकरण पर हो या विकास के मुद्दों पर. आपकी हार तय है.
हमारे ऊपर आरोप भी लगे हैं. कोर्ट ने भी जांच की. मगर आप तो डिस्कस ही नहीं करना चाहते. अपने ऊपर लगे आरोप.
जनता के सवाल
सवाल (जयराम से): क्या आप आश्वासन देंगे कि 84 दंगों के गुनहगारों को सजा मिलेगी. कोर्ट ने सिर्फ तारीख दी है?
जयराम: हां, सजा मिलेगी
सवाल (अमित शाह से): मोदी का मुसलमानों के लिए फ्यूचर प्लान क्या है?
शाह: मेरी पार्टी सबके समान विकास में यकीन करती है. जब गांव में बिजली पहुंचती है, पानी पहुंचता है, तो फायदा सबको मिलता है. हिंदू और मुसलमान को भी. मैं नहीं चाहता कि विकास हिंदू या मुसलमान के आधार पर. हम सरकार धर्म के हिसाब पर नहीं चलाना चाहते.
सवाल (जयराम से): लोग अभी राहुल गांधी के विचार डाइजेस्ट नहीं कर पाते. 2014 में कैसे कर पाएंगे?
जयराम रमेश- राहुल गांधी केजरीवाल से भी दो साल छोटे हैं. युवा नेता हैं .राजनीति के मैराथन मैन हैं. वह 100 मीटर दौड़ने नहीं आए. हम अभी 2014 का चुनाव लड़ रहे हैं. संगठन में बदलाव की वह जो बात कर रहे हैं. वह सिर्फ इस चुनाव के नजरिए से मत देखिए. आगे तक का प्लान है.
हम यह स्वीकार करते हैं कि कई जगहों पर संगठन कमजोर है.
किरण खेर का सवाल, जयराम रमेश से: मेरी एक इल्तिजा है. मनमोहन सिंह ने 84 के लिए माफी मांगी. सोनिया और राहुल ने माफी नहीं मांगी है. आप कहते हैं कि गुजरात के लोअर कोर्ट से इंसाफ नहीं मिलते. दिल्ली के लोअर कोर्ट से किसे इंसाफ मिले. कम से कम उनके लिए मुआवजा तो तय कर दें. इतने बुरे हाल में रह रहे हैं.
जयराम रमेश: बिल्कुल सहमत हूं. मुआवजा और इंसाफ मिलना चाहिए. ये गलत है. हम पर कलंक है. 84 गलत था. 2002 गलत था. मेरे हाथ में जो है, वो मैं करता. विलंब हुआ है. इंसाफ नहीं मिला है.
अमित शाह: मित्रों, एक जमाना था, जब जनसंघ और बीजेपी सुशासन प्रशासन की बात करते थे. तब तुलनात्मक अध्ययन के लिए हमारा शासन नहीं था. पंचायत से संसद तक कांग्रेस थी. अब ये स्थिति नहीं है. छह साल केंद्र में सरकार चली. 17 प्रांतों में हम भागीदार रहे सत्ता के. आज जनता के सामने दोनों पार्टियों की परफॉरमेंस है. दोनों पार्टियों के नेता भी उपलब्ध हैं. मेरा आज तक के जरिए देश से यह आग्रह है कि आप ये तय करें प्रदर्शन के आधार पर कि सत्ता किसे मिलनी चाहिए.
जहां तक यूपीए के 10 साल के शासन का सरकार है. हर मोर्चे पर विफल रही. करप्शन के मुद्दे पर मैं कहूंगा कि संविधान रचे जाने के बाद से इतनी करप्ट सरकार कभी नहीं आई. कोलगेट, 2जी स्पेक्ट्रम, वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर, आदर्श, कॉमनवेल्थ. मित्रों इतने घपले हुए इस सरकार में कि ऐसे तीन कार्यक्रम कम पड़ जाएंगे. हर घोटाले में सीएजी की रिपोर्ट और अनुशंसा मौजूद है. बिजली, पेट्रोल, गैस, डीजल. जयराम रमेश के मुताबिक कमर्शल बातें हैं. खाने पीने की जिन चीजों में महंगाई हुई, जनता के सामने है. सरहदों की सुरक्षा, महिलाओं की सुरक्षा, हर जगह विफल रही है.
जैसे श्रीकृष्ण ने कहा था, विजय ही विजय है. यूपीए के लिए एक ही बात कही जा सकती है. विफल ही विफल है. हम श्रीमान मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ने जा रहे हैं. हमने उन्हें लोगों के सामने प्रस्तुत कर दिया है. कांग्रेस भले ही न बोले. मगर राहुल गांधी कांग्रेस की तरफ से हैं. तुलना करूंगा तो जयराम जी ऐतराज करेंगे. हमने उन्हें प्रत्याशी बनाया है. एक साधारण कार्यकर्ता से पीएम कैंडिडेट तक पहुंचने वाला, बारंबार जनादेश पाने वाला राजनेता हैं.
सवाल (अमित शाह से): आप पर तंत्र के बेजा इस्तेमाल का आरोप लगता है. स्नूपगेट का मामला आया. चिंता ये है कि क्या अमित शाह और मोदी, अगर दिल्ली आते हैं, तो कहीं ऐसा तो नहीं कि तंत्र का इस्तेमाल कर सिटीजंस की निगरानी होगी. ये साहेब कौन है?
अमित शाह: जिस तरह से पूरी दंगों की राजनीति नरेंद्र मोदी के इर्द गिर्द बुनने का प्रयास किया गया. अंततोगत्वा देश की सर्वोच्च अदालत से भी कुछ नहीं निकला. मुझे जबरन एनकाउंटर में फंसाने की कोशिश की गई. कुछ नहीं निकला. इसी तरह स्नूपगेट के लिए एक जूडिशल कमीशन हमने बनाया. मैं इस मंच से पूरे देश की जनता को कहना चाहता हूं. जिस दिन रिपोर्ट आएगी. इसमें भी प्रचार के अलावा कुछ नहीं निकलेगा. सरकार के हर नॉर्म्स के हिसाब से काम हुआ है.
सवाल (जयराम से): आप मानेंगे कि चार्जशीट में मोदी बरी हुए हैं.
जयराम: अमित शाह ने करप्शन के मामलों में सीएजी की रिपोर्ट का जिक्र किया. गुजरात सरकार पर भी कई रिपोर्ट आए. स्टेट पेट्रोलियम कॉरपोरेशन पर रिपोर्ट आए. ये डबल स्टैंडर्ड नहीं होने चाहिए.
अमित शाह- कोई सरकार कोर्ट को कार्रवाई नहीं कर सकती. अगर मोदी ने कुछ भी गलत किया होता तो आपकी एनजीओ ब्रिगेड हमारे पीछे पड़ जाती.
जयराम रमेश- बीजेपी आरोप लगाती थी कि सीबीआई कांग्रेस ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन है. ये तो मायूस हो गए कि इनका नाम चार्जशीट में नहीं आया. अब ये जनता के सामने आरोप कैसे दोहराएंगे.
अमित शाह- सीबीआई ने एहसान नहीं किए गए. पहली चार्जशीट पर कोर्ट ने पैरा वाइज रिमार्क मांगे हैं. उस पर सीबीआई ने जवाब दाखिल नहीं किया.
सवाल (अमित शाह से): स्नूपगेट में जो टेपरेकॉर्डर सामने आए. उसमें आवाज किसकी है?
अमित शाह: जूडिशल कमीशन जब मुझे बुलाएगा और मैं जाऊंगा और अपनी बात रखूंगा. कमीशन की मर्यादा है, इसलिए बाहर कुछ नहीं कहूंगा.
सवाल (अमित शाह से): ऐसा क्यों है कि 84 के बाद भी सिख कौम की आस्था कांग्रेस के साथ है. कई बार पंजाब में हमारी सरकार बनी. लेकिन मुसलमान उसी तर्ज पर बीजेपी के साथ क्यों नहीं आए. क्या इसलिए कि आपका आदर्श हिंदू राष्ट्र है, जिसमें मुसलमानों के लिए कोई जगह नहीं है.गोलवलकर जी ने किताब में लिखा, देश के हिंदुओं को हिटलर से सबक लेना चाहिए. इस पर आपका क्या कहना है?
अमित शाह: मैंने गोलवलकर की किताब पढ़ी है. ऐसा कहीं नहीं लिखा और दूसरा सवाल, इस बार मुसलमान भाइयों के वोट से ही मोदी जी की सरकार बनने जा रही है.