चुनावी पराजय के मद्देनजर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को बदलने से इंकार करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उम्मीदवारों के गलत चयन, ढेर सारे नेता और संगठनात्मक कमजोरी को चुनाव में खराब प्रदर्शन का प्रमुख कारण बताया.
सोनिया ने यहां कांग्रेस मुख्यालय में बड़ी संख्या में पार्टी पदाधिकारियों से अलग-अलग मुलाकात की. बातचीत के करीब तीन घंटे के इस सिलसिले के बाद उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के परिणाम से केन्द्र में संप्रग सरकार को नुकसान पहुंचने की संभावनाओं को खारिज किया.
उन्होंने माना कि चुनाव परिणाम पार्टी के लिए सबक है जिसके बारे में वह पार्टी नेताओं के साथ विचार विमर्श करेंगी. उन्होंने आने वाले चुनावी समर के लिए पार्टीजन से पूरी तैयारी से जुट जाने को कहा.
सोनिया ने संवाददाताओं से कहा, ‘कांग्रेस पार्टी को उसकी उम्मीदों से कम समर्थन हासिल हुआ. हम पूरी विनम्रता से इसे स्वीकार करते हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या खराब चुनावी परिणाम से संप्रग सरकार का स्थायित्व प्रभावित होगा, सोनिया ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि परिणामों से संप्रग सरकार को नुकसान होगा.
प्रधानमंत्री के हटने और उनके स्थान पर कांग्रेस द्वारा किसी अन्य नेता को चुने जाने की संभावना पर उन्होंने कहा, ‘यह सवाल नहीं उठता.’ वह इस सवाल के जवाब को भी टाल गयीं कि 2014 के चुनाव में कांग्रेस का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार कौन होगा और कहा ‘यह 2012 है.’
इस सवाल पर कि क्या नेतृत्व की कमी के कारण पार्टी उत्तर प्रदेश में अच्छा प्रदर्शन करने में असफल रही, सोनिया ने कहा कि नेताओं की कमी की बजाय बहुत सारे नेता हमारी समस्या हैं. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में लोग बसपा से नाराज थे और उन्होंने सपा को विकल्प के रूप में देखा. यह पूछे जाने पर कि क्या उम्मीदवारों का गलत चयन उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की पराजय का कारण था, गांधी ने स्वीकार किया कि यह एक कारण था क्योंकि इसके परिणामस्वरूप अनेक विद्रोही उम्मीदवार खुद खड़े हो गये.
सोनिया ने कहा, ‘हमें इसकी समीक्षा करनी होगी. मुझे अपने सहयोगियों से बात करनी होगी.’ यूपी में पार्टी की असफलता के बारे में पूछे गये सवाल पर उन्होंने कहा कि राहुल पहले ही आपसे यूपी के बारे में बात कर चुके हैं. यूपी में हमारा संगठन कमजोर है, यह मुख्य समस्या है.
यह पूछे जाने पर कि क्या महंगाई के मुद्दे पर लोगों के गुस्से ने परिणाम को प्रभावित किया, सोनिया ने कहा, ‘हो सकता है. मंहगाई ने भी हो सकता है चुनावों पर असर डाला हो.’ कांग्रेस अध्यक्ष ने साथ ही इस बात पर जोर दिया कि पराजय के कारणों की विस्तार से पड़ताल किये जाने की आवश्यकता है.
नेहरू गांधी परिवार का प्रभाव माने जाने वाले उत्तर प्रदेश के रायबरेली और अमेठी में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बारे में सोनिया ने कहा कि ऐसा नहीं है कि वहां पार्टी की पहले कभी हार नहीं हुई है. ऐसा पहले भी हुआ है. ऐसा लगता है कि लोग हमारे वर्तमान विधायकों से संतुष्ट नहीं थे. अमेठी में जो उम्मीदवार दिया गया उसकी जीत हुई.
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि पार्टी के खराब प्रदर्शन की समीक्षा की जायेगी उन्होंने कहा, ‘प्रत्येक चुनाव परिणाम एक सबक है, चाहे हम हारें या जीतें, यह हमारे लिए सबक है.’ पंजाब के चुनाव परिणामों के बारे में सोनिया ने कहा कि अकाली दल के विद्रोही नेता मनप्रीत बादल की पंजाब पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने 23 सीटों पर कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया.
चुनाव प्रचार के दौरान पार्टी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा दिये गये विवादास्पद बयानों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मामला मेरी जानकारी में आया था लेकिन बाद में उन लोगों ने इसके बारे में सफाई दी थी.
चुनाव परिणामों पर घोटालों और भ्रष्टाचार के प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर सोनिया ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कांग्रेस ने जितना काम किया, उतना किस पार्टी ने किया है. उन्होंने कहा, ‘लोकपाल विधेयक लोकसभा में किसने लाकर पास कराया, हमने.’ सवालिया लहजे में उन्होंने पूछा ‘और राज्य सभा में इसे किसने रोका’ सोनिया ने आज जिन पार्टी नेताओं से बातचीत की उनमें पार्टी के नेता और उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा के प्रभारी शामिल थे.