प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी से सांसद हैं. वाराणसी के बारे में उन्होंने कहा था कि उन्हें वहां मां गंगा ने बुलाया है. गंगा की सफाई मोदी सरकार के एजेंडे में सबसे ऊपर है. सरकार बनी तो गंगा के लिए अलग मंत्रालय भी बना, लेकिन 100 दिनों बाद क्या-कुछ बदला? मोदी जापान की तर्ज पर वाराणसी को विकसित करने की बात करते हैं, लेकिन क्या मां की सेवा में एक पुत्र सही दिशा में है? पंचायत आजतक के चौथे सेशन 'स्वच्छ गंगा, साफ सुथरा शहर' में इन्हीं मुद्दों पर चर्चा हुई. चर्चा में शामिल थे बीजेपी सांसद मनोज तिवारी, वाटर एक्टिविस्ट राजेंद्र सिंह और कांग्रेस नेता सुबोध कांत सहाय.
सवाल: मोदी ने लाल किले से स्वच्छता का जिक्र किया. गंगा को लेकर सरकार क्या कर रही है?
मनोज तिवारी: लाल किले की प्राचीर से जब स्वच्छता, शौचालय और गंगा की बात हुई तो मुझे लगा कि नए भारत का निर्माण हो रहा है.
राजेंद्र सिंह (वाटर एक्टिविस्ट): जब लाल किले से स्वच्छा की बात हुई तो बहुत अच्छा लगा. सफाई के लिए बहुत मजबूत कानून भी है. पिछले 100 दिनों में अगर कानून का ठीक से पालन होता तो नदियों का भला होता. भारत के प्रधानमंत्री ने जिस तरह से स्वच्छता की बात की सुनकर अच्छा लगा. लेकिन 100 दिनों में कुछ हो जाता, कुछ दिख जाता तो अच्छा होता. अगर मोदी सरकार गंगा को लेकर वाकई चिंतित है तो मौजूदा कानूनों को सही से लागू कर दें. मोदी कह रहे हैं कि गंगा मां है. मगर 100 दिनों में उस मां के लिए बातों के अलावा कुछ नहीं किया.
मनोज तिवारी: कुछ चीजों को दिल खोलकर देखना चाहिए. आपने पहले कब देखा था कि कोई पीएम शपथ लेने के बाद गंगा के पास गया हो. मोदी जी सिर्फ फंड देकर गंगा साफ नहीं करवाएंगे, लोगों को इससे जोड़ेंगे.
सुबोध कांत सहाय: गंगा हमारे जीवन की लाइफ लाइन है. गंगा को भावात्मक जोड़ने के लिए पीएम की जरूरत नहीं बल्कि इंप्लिमेंटेशन की जरूरत है. कानून एक अलग चीज है और उसका इंप्लिमेंटेशन अलग चीज है. गंगा की स्वच्छता बरकार रहे यह राजीव जी द्वारा शुरू किया गया. गंगा की सफाई की चिंता सबसे पहले राजीव जी ने की थी. अगर कोई मुस्लिम गंगा की आरती नहीं करे तो हम यह नहीं कह सकते कि वो गंगा से जुड़ा हुआ नहीं है. सिर्फ धर्म से जोड़कर दिखावा करना ठीक नहीं है.
मनोज तिवारी: गंगा सबकी है. गंगा हिंदू-मुस्लिम की नहीं है.
सुबोध कांत सहाय: मैं भी यही कह रहा हूं. गंगा 130 करोड़ लोगों की है.
सवाल: हम गंगा को लेकर उठाए गए कदमों की बात कर रहे थे.
मनोज तिवारी : गंगा सिर्फ पूजा के लिए नहीं है. गंगा को जिस दिन हम हिंदू-मुस्लिम से ऊपर उठाएंगे तभी कुछ अच्छा होगा और यही काम पीएम ने किया. मोदी जी गंगा के पास पहुंचे और कदम उठाए.
सवाल: मोदी ने गंगा के लिए जो कदम उठाए क्या उनकी तारीफ नहीं होना चाहिए?
राजेंद्र सिंह: सरकार ने गंगा के लिए अलग से मंत्रालय बनाया ये बहुत अच्छी बात है. मंत्रालय का मंत्री एक महिला को बनाया ये और भी अच्छी बात है. लेकिन मैं यह कह रहा हूं कि मोदी को इन 100 दिनों में गंगा के लिए समय निकालना चाहिए था और NGPRA की एक बैठक लेनी चाहिए थी. बेटे का फर्ज है कि वो मां का इलाज बेस्ट डॉक्टर से करवाए.
मनोज तिवारी: मैं बताना चाहता हूं कि गंगा को लेकर तीन बैठकें हो चुकी हैं और चार मंत्रालयों को इससे जोड़ दिया गया है. नमामि गंगा प्रोजेक्ट के लिए दो हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा अलॉट हो चुके हैं.
सवाल: पर्यटन या जल जीवन में से किसे प्राथमिकता दी जाए?
राजेंद्र सिंह: गंगा माई है, कमाई नहीं. सरकार को इस सोच के साथ काम करना चाहिए. गंगा के लिए कंजरवेशन और मैनेजमेंट एक्ट की जरूरत है.