लोकसभा का चुनावी बिगुल बजा तो बीजेपी ने भ्रष्टाचार के बाद महंगाई को हथियार बनाया. बढ़ती कीमतों से जनता की ढीली होती जेब पर नरेंद्र मोदी के शब्दों ने मरहम लगाया. एनडीए की सरकार बनी, लेकिन महंगाई बढ़ी और बढ़ती रह गई. टमाटर लाल हुआ तो सरकार ने रेल भाड़ा भी बढ़ा दिया. सरकार के 100 दिन पूरे हो गए हैं, महंगाई अब भी मुद्दा है. तब बीजेपी के लिए और अब कांग्रेस व अन्य दलों के लिए.
पंचायत आजतक के छठे सेशन 'महंगाई के 100 दिन' में बात जनता के इसी दुखती रग की हुई. चर्चा में शामिल हुए बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी, सीपीएम नेता वृंदा करात और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी.
सवाल: मोदी सरकार के 100 दिन और महंगाई घटी नहीं, बढ़ती गई?
मुख्तार अब्बास नकवी: 100 दिन कम हैं किसी भी सरकार के आकलन के लिए. हमारी सरकार ने विरासत का ढोल नहीं पीटा बल्कि पहले दिन से काम शुरू कर दिया.
वृंदा करात: मोदी सरकार में अच्छे दिन आ रहे हैं, लेकिन सिर्फ उद्योगपतियों के. मेड इन इंडिया मजदूरों के लिए यहां जगह नहीं. महिलाएं फूड इंफ्लेशन से परेशान हैं. महिलाएं कह रही हैं कि पहले रसोई में प्याज काटते हुए आंसू आते थे, लेकिन अब बाजार में दूर से ही प्याज देखकर रोना आता है.
सवाल: महंगाई किसकी विरासत है? 100 दिन में 100 कदम और आगे बढ़ गई महंगाई ये अलग बात है. इसके लिए कौन जिम्मेदार है?
अभिषेक मनु सिंघवी: महंगाई कम करने का कोई जादुई बटन है क्या? इनके तीन महीने के कार्यकाल में लगातार महंगाई बढ़ रही है तो क्यों नहीं ये जादू वाला बटन दबा देते. बहुमत लाने का ये मतलब नहीं कि आप सोचने लगे कि पिछली सरकार बेकार थी और उसने कुछ नहीं किया. जितना विकास यूपीए वन और टू ने किया उतना 57 सालों में किसी सरकार ने नहीं किया.
वृंदा करात: मेरा मानना है कि बीजेपी सरकार और कांग्रेस सरकार एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. इनकी नीतियां एक सी है जो कॉरपोरेट घरानों के समर्थन में और आम जनता के विरोध में है. और मेरी इस बात से जनता पूरी तरह से सहमत है.
मुख्तार अब्बास नकवी: हम एक साल पूरा होने पर आजतक के ही कार्यक्रम में मोदी सरकार के नतीजों पर अगले साल बात करेंगे. बहरहाल, वृंदा जी यूपीए पार्ट वन का हिस्सा थीं इसलिए उस सरकार की कारगुजारियों के लिए वो भी जिम्मेदार हैं.
वृंदा करात: यूपीए वन में नरेगा और आदिवासियों के लिए जो भी योजनाएं आईं वो हमारी बदौलत लागू हुईं. और जो कुछ थी सही हुआ उसके पीछे हम थे.
अभिषेक मनु सिंघवी: नकवी जी बोलने में माहिर हैं. मोदी सरकार के दौरान बयान बहुत अच्छे-अच्छे आते हैं. मगर कथनी और करनी में बड़ी खाई है. ये लोग ये नहीं बताएंगे कि ये किनकी नीतियों को आगे ले जा रहे हैं. ये जन धन योजना की बात कर रहे हैं. हमारे कार्यकाल में 37 फीसदी बैंक अकाउंट्स में बढ़ोतरी हुई. ये जिस आधार योजना का विरोध कर रहे थे आज उसी से बैंक एकाउंट जोड़ने का फैसला ले रहे हैं.
वृंदा करात: क्या बैंक एकाउंट खोलना ही वित्तीय सुरक्षा का सबूत है, भले ही उस अकाउंट में एक भी पैसा न हो.
अभिषेक मनु सिंघवी: 100 दिन कम होते हैं. आप इन्हें छह महीने या एक साल और दीजिए और फिर नतीजों की बात कर सकते हैं. लेकिन फिर भी मैं यही कहूंगा कि इन 100 दिनों में कुछ दिखा नहीं. हां, बड़बोलापन और दिखावा खूब हुआ. मोदी किसी मामले पर नहीं बोले. योगी आदित्यनाथ पर भी चुप हैं.
मुख्तार अब्बास नकवी: आप बहुत काबिल हैं. आप हमारी संवैधानिक व्यवस्था जानते हैं कि कौन सरकार में बैठेगा और कौन विपक्ष में. लेकिन दुखद बात है कि आपको विपक्ष भी नहीं मिला. फिर भी आप संसद की कार्यवाही बाधित कर रहे हैं, जिसके पीछे आपका हिडन एजेंडा है. और वो हिडन एजेंडा ये है कि ऐसा करके आपको नेता प्रतिपक्ष का दर्जा मिल जाए.
अभिषेक मनु सिंघवी: हमारी बदौलत संसद में इस बार 85 फीसदी काम हुआ, क्योंकि हम हल्ला नहीं करते और इसी को सकारात्मक विपक्ष कहा जाता है. हमने सदन की कार्यवाही चलने दी, शोर-शराबा नहीं किया. लेकिन जब बीजेपी सत्ता में थी तो सदन नहीं चलने देती थी.
वृंदा करात: मैं मानती हूं कि 100 दिन में आप रोजगार नहीं पैदा कर सकते, लेकिन आप तो पहले से मौजूद रोजगार को खत्म कर रहे हैं. मैं मानती हूं कि मनरेगा में बहुत खामियां हैं, लेकिन आपने तो 100 दिन की रोजगार गारंटी को ही खत्म करना शुरू कर दिया.
मुख्तार अब्बास नकवी: हमने 100 दिनों में 10 साल के पॉलिसी पैरालिसिस को खत्म किया.
सिंघवी: बीजेपी ने एफडीआई का विरोध किया था अब उसी का समर्थन कर रहे हैं.
नकवी: देखिए, इंश्योरेंस में एफडीआई और रिटेल में एफडीआई में बहुत फर्क होता है. हम एफडीआई रिटेल के खिलाफ थे, हैं और रहेंगे.