सत्र: युवाओं के अच्छे दिन कब आएंगे?
वक्ता: प्रकाश जावड़ेकर,केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री
- दीपेंद्र सिंह हुड्डा,सांसद, कांग्रेस
- धर्मेंद्र यादव,सांसद, समाजवादी पार्टी
- चिराग पासवान,सांसद, लोक जनशक्ति पार्टी
- शताब्दि राय,सांसद, तृणमूल कांग्रेस
मोदी सरकार के 100 दिन पूरे हो गए हैं. कांग्रेस का आरोप है कि सिर्फ बीजेपी वालों के अच्छे दिन आए हैं, देश की जनता के नहीं. लेकिन बीजेपी कहती है कि योजनाएं अभी पाइपलाइन में हैं और अच्छे दिनों का असर दिखना शुरू हो गया है. लेकिन सवाल है कि वह देश जहां सबसे ज्यादा युवा रहते हैं, उसमें नौजवानों के अच्छे दिन कब आएंगे? आज तक के विशेष कार्यक्रम 'पंचायत आज तक' के दूसरे सत्र में इसी विषय पर चर्चा हुई. इस चर्चा में केंद्रीय सूचना-प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा, सपा नेता धर्मेंद्र यादव, एलजेपी सांसद चिराग पासवान और टीएमसी सांसद शताब्दी रॉय शामिल हुए.
सवाल: युवाओं के अच्छे दिन कब आएंगे?
प्रकाश जावड़ेकर: हमारी सरकार ने खूब फैसले लिए हैं. 10 साल से जनता
महंगाई से त्रस्त थी और हमने यूपीए सरकार में लटके 17 प्रोजेक्ट्स को झट से
मंजूरी दे दी. जब मैंने मनमोहन सिंह को राज्य सभा में यह बताया कि हमने
आपके कार्यकाल में पारित न हो पाए 17 प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दे दी तो उन्होंने
कहा कि आप इसके लिए बधाई के पात्र हैं. तो इस तरह जनता के अच्छे दिन
आए हैं.
सवाल: ऐसा लग रहा है कि देश में वन मैन आर्मी है?
प्रकाश जावड़ेकर: हम काम कर रहे हैं, ये टीम मोदी के 100 दिन हैं, ये जनता
के 100 दिन हैं. मोदी कह रहे हैं कि हिंदू मुस्लिम आपस में न लड़ें. वो हमें
पूरी आजादी देते हैं. मोदी कहते हैं कि सबकी सुनो लेकर करो वही जो देश हित
में हो. हमें सबसे बेस्ट पीएम मिला है.
मोदी की छवि को नुकसान पहुंचाने की असफल कोशिश है. लेकिन हम सीधे जनता से जुड़े हैं. लोगों को मोदी से एक कनेक्ट है. कितने साल बाद इस बार लोगों ने सुबह उठकर 15 अगस्त को प्रधानमंत्री का भाषण सुना.
दीपेंद्र सिंह हुड्डा (कांग्रेस सांसद): मैं प्रकाश जावड़ेकर से सहमत हूं कि जनादेश 5 साल के लिए मिलता है इसलिए 100 दिनों में किसी नतीजे पर नहीं पहुंचना चाहिए. अच्छे काम को सरकार दिखाए लेकिन अगर हम कमियां बताएं तो सरकार का दायित्व है कि वो उसे भी सामने रखे.
सबसे बड़ी समस्या महंगाई की है. पेट्रोल तो सस्ता किया, लेकिन हर महीने डीजल के दाम बढ़ा दिए. अगर पॉलिसी में कमी दिखे तो हमारी गलती लेकिन 10 साल से जो कटरा रेल मार्ग बन रहा था तो उसका फायदा 10 दिन में फीता काटकर मोदी ने ले लिया.
फूड इनफ्लेशन लगातार बढ़ता जा रहा है. पेट्रोल तो सस्ता कर दिया लेकिन पेस्टिसाइड के दाम डबल कर दिए. किसानों की सुध नहीं ली जा रही है. बिजली महंगी हो चुकी है. किसान पर बोझ बढ़ गया है और गरीब आदमी को चीजें महंगी मिल रही है.
प्रकाश जावड़ेकर: हम ग्रोथ रेट को 8.4 और उसके आगे भी ले जाएंगे. हम इस दिशा में आगे बढ़ चुके हैं.
सवाल: यूपी में अखिलेश को बड़ा मौका मिला. यूपी के लोग अब कह रहे हैं कि
इससे अच्छी तो मायावती थीं.
धर्मेंद्र यादव (सांसद, सपा): यूपी का जो विकास अब हो रहा है वैसे कभी नहीं
हुआ. यूपी एक बड़ा राज्य है. बड़ी चुनौतियां हैं, समस्याएं भी बड़ी हैं, जिन्हें
ठीक करने में समय लगेगा. यूपी का लगातार औद्योगिक विकास हो रहा है.
राज्य में निवेश बढ़ा है. यूपी में इलेक्ट्रिक जनरेशन और फोर लेन का जो काम
हो रहा है वो देश में कहीं नहीं हो रहा है. हम यूपीए की तरह एक दिन में जादू
की छड़ी घुमाकर चीजें ठीक करने का दावा नहीं करते. आपने खुद कहा था कि
मोदी आएंगे तो चीजें ठीक हो जाएंगी, अब जब चीजें ठीक नहीं हो रही है तो
सवाल तो उठेंगे ही.
एनडीए की सरकार बनने के बाद युवाओं के और खराब दिन आ गए हैं. जैसे ही एनडीए की सरकार बनी दिल्ली में छात्रों के तमाम सेंटरों में लाठियां भांजी गई.
सवाल: अखिलेश को सीधे आपने सीएम बना दिया, जबकि मोदी के पास तीन
बार सीएम बनने का अनुभव था. आपको नहीं लगता कि अखिलेश को
जिम्मेदारी देने में जल्दबाजी हुई इसलिए गलतियां हुईं?
धर्मेंद्र यादव: कोई जल्दबाजी नहीं हुई. अखिलेश अपना काम कर रहे हैं. यूपी के
अंदर कोई भी ऐसी योजना नहीं है जो किसानों, जनता और कर्मचारियों के हित
में न हो. हम इस बात से इनकार नहीं करते कि हमें पांच सीटें और एनडीए को
यूपी में 73 सीटें मिलीं. दरअसल, जनता एनडीए के हसीन सपनों में बह
गई.
सवाल: आपने खूब हवाई किले बनाए?
प्रकाश जावड़ेकर: जनता की ताकत को नजरअंदाज करना ठीक नहीं है. हम काम
कर रहे हैं और नतीजे दिखने शुरू भी हो गए हैं.
सवाल: खबरें आईं कि ममता मोदी के खौफ में लेफ्ट से दोस्ती करना चाहती
है?
शताब्दी रॉय (सांसद, टीएमसी): ये खबरें मीडिया की बनाई हुईं हैं. ऐसा कुछ नहीं
है. वैसे मैं यह कहना चाहती हूं कि कुर्सी ही हीरो है और विलेन है. कुर्सी की
साइड बदलते ही लोग बदल जाते हैं. सब कहते थे कि मनमोहन बात नहीं करते
और मोदी खूब बात करते थे, लेकिन मोदी भी कुर्सी पर जाकर चुप हो गए.
मोदी से सबको बहुत उम्मीदें हैं. आप जीडीपी की बात करते हैं, लेकिन गांव वालों
को नहीं पता कि जीडीपी क्या होता है. उन्हें मतलब है कि महंगाई कम हो और
रोजगार की संभावनाएं बढ़ें. लेकिन हुआ कुछ भी नहीं.