भारतीय व विदेशी निवेशकों ने साल 2015 में स्टार्टअप यानी नये विचारों के साथ शुरू की जाने वाली नई कंपनियों में बड़ा भरोसा जताते हुए ई-कॉमर्स सहित इस तरह के नये उद्यमों में कुल मिला कर 8.4 अरब डॉलर के बड़े निवेश किये. ये निवेश लगभग 1000 सौदों के जरिए किये गये.
निवेशकों ने भले ही इन स्टार्टअप में इतना बड़ा निवेश किया हो लेकिन इसके साथ ही इनके भारी भरकम मूल्यांकन को लेकर सवाल पूछे जाने लगे हैं. भारतीय स्टार्टअप के लिए अपने खजाने को खोलने वाली हस्तियों में रतन टाटा व एन आर नारायणमूर्ति जैसे दिग्गज तथा अलीबाबा व सॉफ्टबैंक जैसी प्रमुख वैश्विक कंपनियां शामिल हैं. घरेलू प्रौद्योगिकी व स्टार्टअप ब्लॉक ट्रेक डॉट इन के आंकड़ों के अनुसार इस साल (2015) के दौरान 8.4 अरब डॉलर मूल्य के 936 सौदे किए गए. जबकि 2014 में 304 सौदों के जरिए पांच अरब डॉलर का निवेश किया गया था.
नए साल भी उत्साह बने रहने की उम्मीद
स्टार्टअप उद्योग को साल 2016 भी काफी उत्साहजनक रहने की उम्मीद है हालांकि विशेषज्ञ व निवेशकों को मूल्यांकन के मोर्चे पर सुधार की अपेक्षा है. इसके साथ ही नये साल में निवेशकों का ध्यान ई-कॉमर्स से परे कृषि क्षेत्र सहित नये क्षेत्रों पर केंद्रित होने की उम्मीद की जा रही है. इस साल स्टार्टअप निवेश के लिहाज से फ्लिपकार्ट व स्नैपडील जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों तथा टैक्सी बुकिंग सेवा ओला का बोलबाला रहा.
इंडियन एंजल नेटवर्क (आईएएन) की अध्यक्ष पदमजा रूपारेल ने कहा, ‘2015 में प्रौद्योगिकी व ई-कॉमर्स क्षेत्र चर्चा में रहा और इस समय हमारा देश-दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ा स्टार्टअप परिदृश्य है.’ उन्होंने कहा कि दुनिया की 68 यूनिकोर्न (एक अरब डॉलर से अधिक मूल्य वाली कंपनियों) में से 11 भारतीय हैं. यह अलग बात है कि कंपनियों के इतने उंचे मूल्यांकन पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं.
टाटा ग्रुप के पूर्व प्रमुख रतन टाटा, इंफोसिस के संस्थापक एन आर नारायणमूर्ति व एंजल निवेशक टी वी मोहनदास पई आदि उद्योग जगत के दिग्गजों ने ई-कॉमर्स कंपनियों के ऊंचे मूल्याकंन पर सवाल उठाया है. अनेक स्टार्टअप में निवेश कर चुके रतन टाटा ने इस साल कहा कि ‘मूल्यांकन’ नहीं बल्कि ‘मूल्य’ के आधार पर सारा खेल चल रहा है. पई का भी मानना है कि आने वाले कुछ वर्षेां में केवल 10 प्रतिशत स्टार्टअप ही सफल होंगे.