भारत में राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन को बतौर खेल प्रशासक अपने कैरियर की सबसे बड़ी चुनौती बताने वाले आयोजन समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी का कहना है कि समापन समारोह के बाद ही वह बता पायेंगे कि इस चुनौती का सामना करने में वह कामयाब रहे या नहीं.
कलमाड़ी ने कहा, ‘निश्चित तौर पर यह मेरे लिये सबसे बड़ी चुनौती है और मुझे चुनौतियों का सामना करना पसंद है. इसमें मैं सफल रहा या नहीं, इसका जवाब मैं 14 अक्टूबर को समापन समारोह के बाद दूंगा.’
उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों को कम महत्वपूर्ण बताने वालों को भी करारा जवाब देते हुए कहा कि हमने बड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करके इसकी मेजबानी हासिल की है और हमें इसकी कद्र करनी चाहिये.
भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष ने कहा, ‘पहले राष्ट्रमंडल खेल सिर्फ विकसित देशों में होते थे. हमने कनाडा को पछाड़कर खेलों की मेजबानी हासिल की. हमें इस पर फख्र होना चाहिये. यह कहना गलत है कि ये खेल महत्वपूर्ण नहीं है. खिलाड़ियों के लिये हर खेल की अहमियत होती है. एशियाड 1982 के बाद भारत में यह पहला सबसे बड़ा खेल आयोजन है.’
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा खेलों के सिलसिले में पिछले दिनों बुलाई गई बैठक में ना बुलाये जाने को भी तूल नहीं देते हुए पुणे से कांग्रेस के इस सांसद ने कहा कि इसके पीछे कोई निहित संदेश नहीं है.{mospagebreak}
कलमाड़ी ने कहा, ‘कई बार बैठक में कुछ लोग होते हैं और कुछ नहीं. कई बार हम होते हैं और दूसरे नहीं. इसमें ज्यादा मायने खोजने की जरूरत नहीं है.’
उल्लेखनीय है कि खेलगांव की स्थिति पर सीजीएफ अध्यक्ष माइक फेनेल के कैबिनेट सचिव को लिखे पत्र के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने स्थिति का जायजा लेने के लिये बैठक बुलाई थी जिसमें खेलमंत्री एम एस गिल, खेलों के संचालन के लिये गठित मंत्रि समूह के अध्यक्ष जयपाल रेड्डी और दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित भी मौजूद थी.
भारत में ओलंपिक के आयोजन को अपना सपना बताने वाले कलमाड़ी फिलहाल इस बारे में बात नहीं करना चाहते. उन्होंने कहा, ‘अभी मेरा पूरा ध्यान राष्ट्रमंडल खेलों पर है. ओलंपिक के बारे में बाद में बात करेंगे.’