scorecardresearch
 

इटली बताकर लीबिया में छोड़ा, नौकरी के नाम पर ठगे गए 13 लाख... 17 भारतीयों की दर्दभरी दास्तां

अच्छी नौकरी की तलाश में लीबिया जाकर फंसे 17 भारतीयों की स्वदेश वापसी हो गई है. इन भारतीयों को ट्रैवल एजेंट ने इटली में नौकरी दिलाने का वादा किया था. लेकिन बाद में लीबिया ले जाकर छोड़ दिया. ये भारतीय वहां कैसे फंस गए? उनके साथ वहां क्या-क्या हुआ? और कैसे उन्हें वहां से छुड़ाया गया? जानते हैं...

Advertisement
X
ट्रैवल एजेंट ने 13-13 लाख रुपये ऐंठ लिए थे.
ट्रैवल एजेंट ने 13-13 लाख रुपये ऐंठ लिए थे.

क्या हो कि कोई विदेश में अच्छी नौकरी का लालच देकर लाखों रुपये ऐंठ ले. इसके बाद ऐसी जगह ले जाकर छोड़ दे, जहां गृहयुद्ध जैसे हालात हों. वहां माफिया आपको बंधक बना ले. और बिना खाना-पानी दिए जमकर काम करवाए. उसके बाद जब माफिया के चंगुल से बचें तो गैरकानूनी तरीके से देश में घुसने का इल्जाम लगाकर जेल में डाल दिया जाए. 

Advertisement

ये सोचकर ही कोई भी सहम उठे. लेकिन ऐसा 17 भारतीयों के साथ हुआ है. वो महीनों तक ऐसी ही हालत में रहे. फिलहाल इन्हें छुड़ा लिया गया है. अच्छी बात ये है कि सभी सकुशल भारत लौट आए हैं. 

इनके भारत लौटने पर ट्यूनीशिया में भारतीय दूतावास ने X (पहले ट्विटर) पर पोस्ट कर बताया कि इन 17 में से ज्यादातर पंजाब और हरियाणा के थे. इन्हें इस साल फरवरी में लीबिया में बंधक बना लिया गया था. फिलहाल सभी 20 अगस्त को सुरक्षित वापस भारत लौट आए हैं.

भारतीय दूतावास ने बताया कि इटली में अच्छी नौकरी का लालच देकर ट्रैवल एजेंट ने इनसे ठगी की और बाद में इन्हें लीबिया पहुंचा दिया. लीबिया में माफियाओं ने इन्हें बंधक बना लिया था.

कैसे चंगुल में फंसे थे ये सब?

Advertisement

ट्रैवल एजेंट्स ने इन युवाओं की मजबूरी का फायदा उठाया. इन्हें अच्छी नौकरी का लालच दिया, उनसे पैसे ऐंठे और बाद में लीबिया ले जाकर छोड़ दिया. 

आम आदमी पार्टी से राज्यसभा सांसद विक्रमजीत सिंह ने बताया, '13-13 लाख रुपये लेकर इनसे बोला कि हम इटली में बढ़िया नौकरी दिलवाएंगे. इनको पहले दुबई ले गए. फिर इजिप्ट ले गए. फिर लीबिया जैसे देश में छोड़ दिया. आपको पता है लीबिया में हालात कैसे हैं.'

उन्होंने बताया कि कुछ लोगों ने उनकी टीम से संपर्क किया और सारी बात बताई. फिर उन्होंने ही इन भारतीयों के रहने के लिए वहां होटल में इंतजाम किया. 

विक्रमजीत सिंह ने आगे बताया, होटल से किसी ने पुलिस कमिश्नर को खबर कर दी. इसके बाद ये लोग वहां जेल में चले गए.

एक महीने से जेल में बंद थे 

लीबिया में भारतीय दूतावास काफी समय से बंद है. ऐसे में ट्यूनीशिया की दूतावास से संपर्क किया गया. 26 मई को ट्यूनीशिया में भारतीय दूतावास को इस मामले की जानकारी मिली. छुड़ाए गए लोगों ने बताया कि उन्हें लीबिया के ज्वारा शहर में माफियाओं ने बंधक बना लिया था. इन लोगों को ट्रैफिकिंग के जरिए यहां लाया गया था.

Advertisement

इसके बाद 13 जून को लीबिया के अधिकारियों ने भारतीयों को वहां से छुड़ा लिया. लेकिन इन्हें राजधानी त्रिपोली के जेल में बंद कर दिया. अधिकारियों ने उन पर गैरकानूनी तरीके से लीबिया में दाखिल होने का आरोप लगाया था.

इस तरह भारत लौटे 17 भारतीय

इन 17 में से 12 लोग पंजाब और हरियाणा के रहने वाले हैं. लीबिया के अधिकारी इन भारतीयों को छोड़ने को तैयार नहीं थे.

बाद में ट्यूनीशिया के राजदूत और भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के दखल के बाद लीबिया ने उन्हें छोड़ने की बात मानी.

इन लोगों से जालसाजों ने पासपोर्ट भी छीन लिए थे. इसलिए उनको भारत वापस लाने के लिए इमरजेंसी सर्टिफिकेट जारी किए. उनकी टिकट भी भारतीय दूतावास ने करवाई थी.

कैसी थी लीबिया में उनकी जिंदगी?

इन लोगों ने 13-13 लाख रुपये इस उम्मीद से दिए थे कि उनकी जिंदगी बदल जाएगी. लेकिन उनके सपने तब टूट गए, जब उन्हें अरबी भाषा में लिखा हुआ वर्क परमिट मिला.

हरियाणा के कुरुक्षेत्र के रहने वाले राहुल शर्मा भी उन 17 भारतीयों में से एक थे. उन्होंने बताया, 'चार महीने पहले मैं लीबिया गया था, लेकिन वहां बंधुआ मजदूर के रूप में हमें बेच दिया गया. न हमें खाना मिलता था और न पानी. घंटों काम करवाया जाता था. कई बार तो हम रोटी के एक टुकड़े पर ही जिंदा रहते थे. खाना-पीना और टॉयलेट करना, सब एक ही जगह था.'

Advertisement

पंजाब के डेरा बस्सी के रहने वाले संदीप भी ऐसी ही दर्दनाक कहानी सुनाते हैं. वो बताते हैं कि लीबिया में उन्हें पांच हजार दीनार में बेच दिया गया. फोन और पासपोर्ट ले लिए गए. जब काम करने से मना करते थे, तो पीटा जाता था. वहां की जेल भी बदतर थी.

ऐसे ही एक पीड़ित ने न्यूज एजेंसी से बात करते हुए अपील की कि कोई भी अपने बच्चों को ट्रैवल एजेंट के जरिए विदेश न भेजे. लीबिया तो बिल्कुल भी नहीं. 

एक पीड़ित ने दावा किया कि उसने लीबिया में चार महीने खराब हालात में गुजारे हैं. उसका दावा है कि लीबिया में जेल अधिकारियों ने चार-पांच दिन तक खाना भी नहीं दिया था.

(इनपुटः अनमोल नाथ बाली)

 

Advertisement
Advertisement